-आरबीएसके चिकित्सक, फार्मासिस्ट तथा एएनएम को जन्मजात विकृतियों से संबंधित बच्चों को चिह्नित करने का दिया निर्देश।

-45 प्रकार की बीमारियों का समुचित इलाज।

-बच्चों को दिया जाता है हेल्थ कार्ड।

#MNN@24X7 मधुबनी /29 मार्च। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आरबीएसके के चिकित्सक, एएनएम, फार्मासिस्ट के दो दिवसीय प्रशिक्षण का समापन एएनएम सभागार में हुआ। प्रशिक्षण के दौरान जन्मजात विकृतियों से संबंधित बच्चों को चिह्नित करने पर उचित उपचार के लिए संबंधित संस्थान में रेफर करने का निर्देश दिया गया।

सिविल सर्जन डॉ ऋषि कांत पांडे के द्वारा मुख्य रूप से निर्देश दिया गया कि चलन्त चिकित्सा दलों की कार्यस्थल पर उपस्थिति, मासिक प्रतिवेदन को वेब पोर्टल पर ससमय अपलोड करने, अगले तीन माह का माइक्रोप्लान वेब पोर्टल पर अपलोड करने , प्रतिमाह रेफर हुए बच्चों की तुलना में इलाज पाए बच्चों की संख्या (अत्यंत महत्वपूर्ण ), चलन्त चिकित्सा दलों को उपलब्ध कराए गए वाहन, उपकरणों एवं दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।
आंगनबाड़ी केंद्रों एवं विद्यालय में बच्चों की स्वास्थ्य जांच की गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने का निर्देश दिया गया।

बच्चों का ऐसे होता है इलाज :

एसीएमओ डॉ. आर. के. सिंह ने बताया स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए गठित मोबाइल मेडिकल टीम जिले के हर आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में पहुंचती है। टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं। ऐसे में जब सर्दी- खांसी व जाड़ा – बुखार जैसी सामान्य बीमारी होगी, तब तुरंत बच्चों को दवा दी जाती है, लेकिन बीमारी गंभीर होगी तब उसे आवश्यक जांच एवं समुचित इलाज के लिए निकटतम पीएचसी में भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी ऊंचाई (हाइट), सिर की परिधि, बांह की मोटाई की नापतौल करेंगी । फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों से संबंधित बातों को ऑन द स्पॉट क्रमवार अंकित करते हैं ।

45 प्रकार की बीमारियों का समुचित इलाज :

आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. कमलेश कुमार शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों में 45 तरह की बीमारियों की जांच कर उसका समुचित इलाज किया जाता है। इन सभी बीमारियों को चार मूल श्रेणियों में बांटकर इसे 4 – डी का नाम दिया गया है। इसके तहत जिन बीमारियों का इलाज होता है, उनमें दांत सड़ना, हकलापन, बहरापन, किसी अंग में सुन्नपन , गूंगापन,मध्यकर्णशोथ, आमवाती हृदयरोग, प्रतिक्रियाशील हवा से होने वाली बीमारियां, दंत क्षय, ऐंठन विकार, न्यूरल ट्यूब की खराबी, डाउनसिंड्रोम, फटा होठ एवं तालू/सिर्फ़ फटा तालू, मुद्गरपाद (अंदर की ओर मुड़ी हुई पैर की अंगुलियां), असामान्य आकार का कूल्हा, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरापन, जन्मजात हृदयरोग, असामयिक दृष्टिपटल विकार आदि शामिल हैं ।

बच्चों को दिया जाता है हेल्थ कार्ड :

आरबीएसके कार्यक्रम में 0 शून्य से 18 (अठारह) वर्ष तक के सभी बच्चों की बीमारियों का समुचित इलाज किया जाता है। 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों में होती है जबकि 6 से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग उनके स्कूलों में जाकर की जाती है ,ताकि चिह्नित बीमारियों के समुचित इलाज में देरी न हो। आंगनबाड़ी केंद्रों पर साल में दो बार यानि प्रति 6 महीने पर जबकि स्कूलों में साल में सिर्फ एक बार बच्चों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती है। स्क्रीनिंग करते वक्त बच्चों को हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है।