#MNN@24X7 दरभंगा, समकालीन हिन्दी कविता के साथ-साथ आज के दौर के महत्त्वपूर्ण जनवादी कवि राजेश जोशी की 75वीं जयंती पूरी शिद्दत के साथ आज दिनांक 18.07.2023 को विश्वविद्यालय हिंदी विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो० राजेन्द्र साह की अध्यक्षता में मनायी गई।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो० राजेन्द्र साह ने कहा कि समकालीन हिन्दी कविता में विराट मानवीय संवेदना के महत्त्वपूर्ण कवि हैं राजेश जोशी ।अपनी सरल एवं सहज भाषा-शैली में जनवादी मूल्यों के लिए चलनेवाले, जद्दोजहद को अभिव्यक्त करने के साथ ही मानवीय संवेदना को झंकृत करनेवाले, सामान्य चीजों की ओर भी ध्यान आकृष्ट कर कविता की मूल संवेदना को उजागर करनेवाले कवि हैं राजेश जोशी ।

इस अवसर पर विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने कहा कि “पूरे समकालीन हिन्दी कविता के दौर के साथ ही मौजूदा बर्बर फासिस्ट दौर के भी बहुत ही महत्त्वपूर्ण जनवादी कवि हैं राजेश जोशी। इंदिराकालीन तानाशाही आपातकाल से लेकर आजतक के फासिस्ट सत्ता प्रायोजित अघोषित आपातकाल में भी सत्ता से मूठभेड़ करनेवाले चर्चित जनवादी कवि के रूप में लोगों की जुबान पर हैं राजेश जोशी।खासकर उनकी ‘मारे जाएंगे’ शीर्षक कविता आज के दौर में समरगान के बतौर प्रस्तुत की जाती है।”

राजेश जोशी को याद करते हुए डॉ० सुमन ने कहा कि इस निरंकुश सत्ता की बर्बता को समझने के लिए राजेश जोशी को समझना अनिवार्य है। उन्होंने साठोत्तरी दौर की कविता को छुई – मुई कविता बतलाते हुए स्वाधीनता आंदोलन में अर्जित जनवादी मूल्यों को समकालीन कविता में स्थापित किया। राजेश जोशी के महत्वपूर्ण काव्य संग्रह ‘एक दिन बोलेंगे पेड़’, ‘नेपथ्य में हंसी’, ‘दो पंक्तियों के बीच’ आदि का भी उन्होंने उल्लेख किया।

विभाग की सहायक प्राचार्या डॉ. मंजरी खरे ने अह्लादित स्वर में कहा कि ऐसे कवियों को बारंबार याद करने की जरूरत है।इस अवसर पर उन्होंने उनकी चर्चित कविता ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं” का पाठ भी किया। उपस्थित छात्र – छात्राओं में स्नातकोत्तर तृतीय छमाही के छात्र विद्यासागर कुमार ठाकुर ने राजेश जोशी की कविताओं का पाठ करते हुए उसके अर्थ को विश्लेषित किया।

शोधप्रज्ञा ज्योति कुमारी ने अपनी बात रखते हुए उनका परिचय देते हुए एक छोटी कविता का पाठ किया तथा जोशी की कविता में निहित बिम्ब और अनुभूति को रेखांकित किया। इस कार्यक्रम में शोधार्थी अभिषेक कुमार सिन्हा, सियाराम मुखिया, शिखा सिन्हा, ज्योति कुमारी, दुर्गानंद ठाकुर, नबी हुसैन तथा भारी संख्या में स्नातकोत्तर प्रथम तथा तृतीय छमाही के छात्र-छात्राऍं उपास्थित थे। मंच- संचालन शोध छात्रा शिखा सिन्हा ने किया।