#MNN@24X7 दरभंगा, 17 मार्च, मिथिला विश्विद्यालय के सामने एवं नागेंद्र झा स्टेडियम मुख्य द्वार पर स्थापित संविधान निर्माता डॉ अंबेडकर के प्रतिमा पर आधा दर्जन से अधिक फेंके हुए शराब की खाली बोतल की बात सामने आने के बाद आइसा ने कड़ा विरोध जताते हुए इसे विश्विद्यालय प्रशासन द्वारा संरक्षित असमाजिक तत्वों का कुकृत्य बताया है।

विज्ञप्ति जारी कर आइसा के राष्ट्रीय काउंसिल सदस्य सह जिला सचिव मयंक यादव ने कहा कि जिन बाबा साहब के संविधान तले देश के सभी जाति मजहबों के लोग न्याय पाते है। आज उन्ही बाबा साहब के प्रतिमा स्थित व इर्द गिर्द असमाजिक तत्वों का बसेरा हो गया है। मिथिला विश्विद्यालय परिसर में कई वर्षो से कुलपति संरक्षित असामाजिक और आपराधिक तत्वों के लिए यह ठिकाना माना जा रहा है। जिसका ज्वलंत उदाहरण ही है कि इस घृणित घटना को अंजाम दिया गया है। एक तरफ सुरक्षा के नाम पर सैकड़ो से अधिक सुरक्षाकर्मियों को परिसर में सहित कुलपति कुलसचिव स्वयं भी दर्जनों सुरक्षा कर्मियों का रसूख भोगते है। वहीं दूसरी तरफ कुलपति आवास से 100 मीटर की दूरी पर स्थापित संविधान निर्माता बाबा साहब की प्रतिमा के साथ आपराधिक तत्व शराब की पार्टियां कर खुलेआम कानून को चुनौती दे रहें है।

उच्च शैक्षणिक परिसरों में बाबा साहब का यह अपमान निंदनीय है और विश्वविद्यालय के सभी हितधारकों को इस तरह की घटनाओं को रोकने की कोशिश करनी चाहिए, छात्र संगठनों के पास परिसर में शांति बनाए रखने और शैक्षणिक माहौल को बढ़ावा देने की अधिक जिम्मेदारी है। लेकिन जब इस तरह की कृत्य कर सांप्रदायिक संगठन से जुड़े तत्वों को विश्विद्यालय प्रशासन संरक्षण देते है तो हम सबों पर एक बड़ी जिम्मेदारी आमद होती है।

जिला सचिव मयंक यादव ने इस घटना को कायराना बताते हुए कहा कि अगर इस घटना के दोषी शीघ्र गिरफ्तार नहीं हुआ तो विरोध मार्च कर आंदोलन प्रदर्शन हेतु आइसा बाध्य होगा।

आइसा जिलाध्यक्ष प्रिंस राज ने कहा कि बाबासाहेब के विचारों से विद्वेष रखने वाले राजनीतिक मानसिकता का परिचायक है। आये दिन पूरे देश में इस तरह की घटना हो रही है, इन घटनाओं के पीछे किन लोगों का हाथ है यह जगजाहिर है। आये दिन फासीवादी बर्बरता अपने चरम पर है। 2024 के चुनाव को देखते हुए बिहार सहित पूरे देश में नफरत और विभाजन की राजनीति को तेज कर समाज में उथल-पुथल मचाने की गहरी साजिश चल रही है।

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