#MNN@24X7 दरभंगा: कम्प्यूटर और उसकी प्रोग्रामिंग से स्वयं को अपडेट रखना समय की जरूरत बन गई है। शोधकर्ताओं के लिए तो कम्प्यूटर का ज्ञान अनिवार्य शर्त बन गया है।कम्प्यूटर के नॉलेज बिना शोध- ग्राफ, आंकड़ों का विवरण आदि प्रस्तुत करने में शोधार्थियों को दिक्कतें हो सकती हैं। ये बातें “अनुसंधान में एमएस एक्सेल और एमएस पावरप्वाइंट के अनुप्रयोग” विषयक एकदिवसीय कार्यशाला में पू्र्व संकायाध्यक्ष डॉ शिशिर कुमार वर्मा ने कही।लनामिवि के पीजी जूलॉजी विभाग और डॉ प्रभात दास फाउण्डेशन के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के तौर पर डॉ वर्मा ने कहा कि अनुसंधान व्यक्ति के ज्ञान का निचोड़ कहलाता है। अनुसंधानकर्ता अपनी सामर्थ्य का विवेकपूर्ण प्रयोग कर विषयवस्तु की स्थापना करता है, जिससे नए ज्ञान की उत्पत्ति होती है। आधुनिक दौर में शोध- कार्यों में तकनीक की भूमिका अहम हो गई है।अधिकांश अध्ययन सामग्री अब डिजिटल तौर पर उपलब्ध है, जिसकी जानकारी कम्प्यूटर में दक्षता प्राप्त किए बगैर नहीं हो सकती है।

वहीं विशिष्ट वक्ता डब्ल्यूआईटी के पूर्व निदेशक प्रो एम नेहाल ने बताया कि कम्प्यूटर के ज्ञान बिना आज हर व्यक्ति अधूरा है। इसके माध्यम से कार्य संपादित करने में आसानी होती है और यही कारण है कि सभी क्षेत्रों में कम्प्यूटर की महत्ता स्थापित हो चुका है। इसके प्रयोग से शोध- कार्य अधिक वैज्ञानिक एवं पूर्णतया होता है। इससे गणनाएं सहज और सटीकता से हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि कम्प्यूटर के थ्योरी का ज्ञान प्राप्त करने बाद जितना अभ्यास प्रशिक्षु शोधार्थी करेंगे, उन्हें उतनी अधिक दक्षता प्राप्त होगी। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो अजयनाथ झा ने कहा कि शोध चुनौतियों को कम्प्यूटर की जानकारी आसान बना देती है।एमएस एक्सेल और एमएस पावरप्वाइंट कम्प्यूटर का बेसिक नॉलेज है। इसका ज्ञान रहने पर शोधार्थी विषय का प्रस्तुतिकरण बेहतर ढ़ग से कर सकते हैं।

कार्यक्रम का संचालन प्रो पारूल बनर्जी ने किया, जबकि अतिथियों का स्वागत प्रो सुशोभन बनिक और धन्यवाद ज्ञापन डॉ अतनु बनर्जी ने किया। इस एक दिवसीय कार्यशाला में प्रशिक्षक डॉ मुकेश कुमार सिन्हा ने विभाग के शोधार्थियों और पीजी तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम में फाउण्डेशन के सचिव मुकेश कुमार झा, शोधार्थी सूरज कुमार,अर्चना कुमारी, फातिमा, ज्योति कुमारी तथा शशि कुमार आदि मौजूद थे।