31 मार्च 2006 से ही मिलेगा सभी को आर्थिक लाभ

काफी जद्दोजहद के बाद सरकार ने भी आदेश किया पारित

15 कालेजों के करीब दो सौ कर्मी होंगे लाभान्वित

#MNN@24X7 दरभंगा, काफी लंबे जद्दोजहद के बाद न्यायादेश के आलोक में आखिरकार शिक्षा विभाग, बिहार सरकार ने कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय ,दरभंगा के सम्बद्ध उपशास्त्री कालेजों के कर्मियों की सेवानिवृति आयु 31 मार्च 2006 से ही 62 साल मान लिया है और इस आशय का दो- दो संकल्प भी संयुक्त सचिव ने शुक्रवार को बिहार राजपत्र में प्रकाशित करने के लिए पारित कर दिया है। सरकार के इस नए संकल्प से पूर्व इन कालेजों के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मी 60 साल में ही सेवानिवृत्त हो रहे थे।

यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि उपशास्त्री कालेजों के वैसे शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मी जो 60 साल की आयु के बाद 31 मार्च 2006 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं अब उनकी सेवा निवृत्ति तिथि 31 मार्च 2008 मानी जाएगी। इतना ही नहीं, इस बढ़ी अवधि का वेतन समेत अन्य समस्त आर्थिक लाभ भी उन्हें 31 मार्च ,06 से ही प्रदेय होगा।

न्यायादेश में स्पष्ट कहा गया है कि उपशास्त्री कालेजों के कर्मियों की सेवा शर्त विश्वविद्यालय अधिनियम से ही प्रभावी व नियंत्रित होती है। यहां के बच्चों की परीक्षा भी कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा द्वारा ही संचालित होती है। इसलिए संस्कृत विश्वविद्यालय के अन्य कर्मियों की तरह ही यहां के कर्मी भी माने जाएंगे। यानी नए सरकारी संकल्प के अनुसार उपशास्त्री कालेजों के शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मी भी अब विश्वविद्यालय कैडर के हो गए।

यहां यह भी उल्लेख करना प्रसांगिक है कि उपशास्त्री कालेजों के शिक्षक व शिक्षकेत्तर दोनों मामलों में हाई कोर्ट द्वारा विश्वविद्यालय कर्मी के रूप में उनका दावा मानते हुए याचिकाओं का निस्तारण किया गया है एवं दोनों मामलों में वादियों के पक्ष में न्यायादेश का आधार भी एक ही है। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि सरकार के इस नए संकल्प का लाभ 15 उपशास्त्री कालेजों के करीब दो सौ कार्यरत व सेवानिवृत कर्मियों को मिलेगा।

आयु सीमा के लिए वर्षो कोर्ट में चला मामला

सेवा निवृत्ति की आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 62 साल करने के लिए उपशास्त्री कालेजों के शिक्षकों द्वारा हाई कोर्ट में याचिका ,सीडब्ल्यूजेसी 6534/2009, दायर की गई। सुनवाई के क्रम में 09 सितम्बर,2011 को वादी के दावे को स्वीकार करते हुए न्यायादेश आया जिसके खिलाफ में शिक्षा विभाग ने एलपीए, 1925/2011, दायर कर दिया। 18 दिसम्बर 2020 को इसमें फैसला वादी के पक्ष में ही आया। यानी कोर्ट ने आदेश दिया कि सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 62 वर्ष ही रहेगी। इस न्यायादेश के विरुद्ध भी सरकार सर्वोच्च न्यायालय चली गयी और वहीं एसएलपी, 389/2022, दायर कर दिया गया जो 14 मार्च,22 को सुनवाई के क्रम में खारिज हो गया। यानी सरकार केस हार गई।

इसी तरह उक्त कालेजो के शिक्षकेत्तर कर्मियों ने भी रिटायरमेंट के लिए 62 साल की आयु करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका सीडब्ल्यूजेसी, 7009/2013, दायर किया था जिसमें 12 मई, 16 को वादी के पक्ष में फैसला आया। सरकार ने इस न्यायादेश के खिलाफ एलपीए, 567/2021, दायर कर दिया जिसे कई खामियों के कारण कोर्ट ने निरस्त कर दिया। यानी यहां भी वादी के पक्ष में ही फैसला रह गया।

यहां उल्लेखनीय है कि इसी लंबे कानूनी पचड़ों के बाद सरकार ने न्यायादेश को माना और शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव संजय कुमार के हस्ताक्षर से 18 अगस्त 2023 को उपशास्त्री कॉलेज के शिक्षकों के लिए ज्ञाप संख्या 15/सी 2-203/ 2010- 3162 तथा शिक्षकेत्तर कर्मियों के लिए ज्ञाप संख्या 3163 के जरिये सेवा निवृत्ति की आयु सीमा 60 से बढ़ा कर 62 साल करते हुए संकल्प जारी कर दिया गया।