दरभंगा।। कविता शब्द केर बाजीगरी टा नहिं अपितु जीवनक प्रतिरूप थिक। कविता में जीवन आ जीवन मे कविता एकटा अनिवार्य तत्व थिक। कविक काज मात्र मनोरंजन नहिं अपितु जनजागरण आ परिवर्तनक बीया बाओग करब सेहो अछि। कविता ओ माध्यम थिक जे शब्दक अमिट प्रभाव द्वारा जनमानस केर अन्त:स्थल झकझोरबाक चेष्टा करैत आबि रहल अछि। एतबे नहिं कविता सदिखन उपेक्षितक आ वंचितक स्वर बनि समाजक सोझां अपन उपस्थिति दर्ज करबैत अछि।
ई बात कवि लोकनिक कविता सुनलाक बाद अत्यधिक पुष्ट भ’ गेल।
अवसर छल ‘द स्पौटलाइट थिएटर दरभंगा’ केर तत्वाधान मे आयोजित आठ दिवसीय सांस्कृतिक उत्सवक पांचम दिन आयोजित कवि सम्मेलनक। स्नातकोत्तर संगीत एवं नाट्य विभाग ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयक सभागार मे आयोजित कवि सम्मेलनक।
जतय डॉक्टर सत्येन्द्र कुमार झा, अखिलेश कुमार झा,आयुष वेदान्त, आदित्य कर्ण, उज्जवल राज, निखिल मिश्रा, विशाल झा,ऋषभ झा, सुमित श्री झा, श्रुति कुमारी,आर्यन कुमार, अमित कुमार,सूरज कुमार सहित कतेको युवा लोकनिक कविता पाठ सं वातावरण काव्यमयी बनल रहल। स्वागत भाषण बन्दना झा,अध्यक्षता डॉ सत्येन्द्र कुमार झा. संचालन उज्जवल राज आ धन्यवाद ज्ञापन मोहन मुरारी केलनि।