न्यायपालिका पर पूरी तरह से राज्य का नियंत्रण स्थापित करने की फिराक में है भाजपा : क्लिफ्टन डी’ रोज़ारियो।

पटना उच्च न्यायालय की एडवोकेट मंजू शर्मा बनीं संयोजक।

#MNN@24X7 पटना 20 अगस्त, आज माले विधायक दल के नेता महबूब आलम के आवास, छज्जु बाग़ में आइलाज के सदस्यों की एक राज्यस्तरीय बैठक हुई, जिसमें राज्य के दर्जनों जिलों के अधिवक्ताओं की भागीदारी हुई. बैठक में आइलाज के राष्ट्रीय महासचिव क्लिफ्टन डी’ रोज़ारियो भी उपस्थित रहे.

बैठक में क्लिफ्टन डी’ रोज़ारियो ने कहा कि विगत 3 वर्षों में आइलाज देश भर में वकीलों की प्रमुख आवाज बनकर उभरा है, जो वकीलों और कानूनी बिरादरी के अन्य लोगों के सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए लड़ रहा है. साथ ही संविधान की हिफाजत के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि देश की कानूनी संरचना को सबसे भयावह झटका मानसून सत्र के आखिरी दिन लगा, जब गृह मंत्री ने मौजूदा भारतीय दंड संहिता-1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता -1974 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम -1872 को बदलने के लिए तीन विधेयक पेश किया; जिनके नाम भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक है. इसके जरिए न्यायपालिका पर पूरी तरह से राज्य का नियंत्रण हो जाएगा.

उन्होंने आगे कहा कि गृह मंत्री अमित शाह यह दावा कर रहे हैं कि भाजपा सरकार ने इस बिल के जरिये देशद्रोह कानून को खत्म कर दिया है, पर हकीकत में अब उससे भी खतरनाक प्रावधान जोड़कर सरकार की नीतियों की आलोचना व विरोध करने पर भी आतंकवादी होने का दायरा बढ़ा दिया गया है जो उपनिवेशवादी कानून से भी खराब है. ऐसे दौर में ’आइलाज’ स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों की भूमिका से प्रेरणा लेते हुए कानूनी पेशेवरों का एक ऐसा संगठन है जो किसी भी किस्म के भेदभाव, दमन और शोषण से मुक्त भारत के लिए प्रतिबद्ध है.

बैठक में भाकपा-माले पोलित ब्यूरो सदस्य का अमर ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि आज हम देख रहे हैं कि मोदी सरकार द्वारा देश के संविधान, सामाजिक न्याय, नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकार पर एक साथ हमला किया जा रहा है, तो आइलाज द्वारा कानूनी बिरादरी की विभिन धाराओं के सभी प्रगतिशील और लोकतांत्रिक मूल्यों में यकीन करने वाले वकिलों की राज्य स्तरीय बैठक स्वागत योग्य कदम है.

इस अवसर पर समापन वक्तव्य भाकपा-माले विधायक दल के नेता का. महबूब आलम ने देते हुए कहा कि आज सभी के हक की आवाज उठाने वाले आइलाज जैसे वकिलों के संगठन की जरूरत है.

बैठक में 37 सदस्यीय राज्य संयोजन समिति बनाई गई. संयोजन समिति में भोजपुर से अमित कुमार बंटी, विरिंदा यादव, कामेश्वर सिंह; गया से विनोद प्रसाद, जगदीश प्रसाद यादव, नालन्दा से कृष्णा प्रसाद, अनिल पटेल, सरफराज खान, जयंत आनंद; बक्सर से अजय कुमार; नवादा से सुरेंद्र प्रसाद; अरवल से पप्पू कुमार, अख्तर सेरानी; वैशाली से रफी आलम; बेतिया से प्रमोद कुमार प्रसाद; गोपालगंज से अरफान अली, अजात शत्रु; सिवान से सुदामा ठाकुर, अभय कुमार पाण्डेय; खगड़िया से प्रणेश कुमार; औरंगाबाद से नन्द कुमार सिंह, सत्येंद्र नारायण सिंह; पटना से मंजू शर्मा, पूजा आर्या, राजाराम रॉय, जावेद अहमद, हिमांशु शेखर, मनमोहन; दरभंगा से मिथिलेश्वर सिंह, शिवदयाल यादव, गुलाम अंसारी, संजीव कुमार, मोतिहारी से रंजन कुमार, कुंदन कुमार सिंह और मुजफ्फरपुर से ललितेश्वर मिश्र, मुकेश पासवान, अशोक कुमार सिंह चुने गए.

संयोजन समिति ने मंजू शर्मा को राज्य संयोजन समिति का संयोजक चुना गया.