#MNN@24X7 दरभंगा।राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ,मोहनपुर दरभंगा के द्वारा कामेश्वर सिंह आयुर्वेदिक चिकित्सालय, कामेश्वर नगर दरभंगा में “हर दिन, हर घर आयुर्वेद” कार्यक्रम के अंतर्गत ‘ मानसिक खुशहाली के लिए आयुर्वेद ‘ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया आयुष मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देशन में आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत ” हर दिन,हर घर आयुर्वेद ” को पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा है। भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के प्रति जन जागरूकता फैलाने हेतु ” मानसिक खुशहाली हेतु आयुर्वेद ” विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद एक संपूर्ण जीवन विज्ञान है, जिसमें गर्भाधान से लेकर मृत्यु उपरांत मोक्ष प्राप्ति की चर्चा की गई है। महर्षि सुश्रुत के द्वारा स्वास्थ्य की वैज्ञानिक परिभाषा प्रस्तुत किया गया है। उनके द्वारा प्रस्तुत संपूर्ण स्वास्थ्य की परिभाषा को आज विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा भी स्वीकृत किया जा चुका है। महर्षि सुश्रुत ने स्वास्थ्य के दो पक्ष को बताया है- शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य। शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के स्तर पर अगर हम स्वस्थ हैं तो उसे संपूर्ण स्वास्थ कहां है कहा गया है।
मानसिक स्वास्थ्य का वर्णन करते हुए कहा है कि ‘ जिस व्यक्ति के आत्मा, मन एवं इंद्रिय प्रसन्न हो वही व्यक्ति मानसिक स्तर पर स्वस्थ माना जाता है। आज इस भागदौड़ की जिंदगी में हम अपनी आत्मा के आनंद स्वरूप को भूल चुके हैं। आज हम नाना प्रकार के दुखों से घिरे हुए हैं। जिसका मूल कारण आसक्ति है। हमारे जीवन में आसक्ति जितनी ही प्रबल होती है,दुख उतना ही भारी होता है। इसलिए आयुर्वेद में सब दुखों को दूर करने के उपायों पर चर्चा करते हुए महर्षि पुनर्वसु आत्रेय ने कहा कि जिन उपायों से आसक्ति दूर हो जाए उस उपाय को करना चाहिए और जब- तक आसक्ति दूर नहीं होती, तब- तक हम दुखों से उबर नहीं सकते। आयुर्वेद में इसे नैष्ठिकी चिकित्सा कहा गया है।
डॉ राजेश्वर दुबे ने बताया कि हमारी संतान, हमारे आदतों का अनुकरण करती है। अतः हमें उत्तम आचरणों का व्यवहार करना चाहिए,जिससे हमारे संतानों में उत्तम गुणों का आधान हो सके। डॉ दिनेश कुमार सिंह ने मानसिक खुशहाली हेतु आयुर्वेद के विषय पर बोलते हुए कहा कि चित्त की अनंत वृत्तियों को योगाभ्यास के माध्यम से रोका जा सकता है और इच्छाएं जब शांत होने लगती है तो हमारा मन भी शांत होने लगता है।
डॉ विजेंद्र कुमार यह बताया कि वर्तमान समय में हमारे एवं हमारे बच्चों के द्वारा अनावश्यक रूप से अत्यधिक समय मोबाइल के साथ व्यतीत किया जा रहा है जो कि एक गंभीर विषय है। डॉ मुकेश कुमार ने बताया की हमें आयुर्वेद के सिद्धांतों को खुद अपने जीवन में उतार कर दूसरों को उसको पालन करने हेतु प्रेरित करना चाहिए। डॉ ओम प्रकाश द्विवेदी ने बताया स्वर्ण प्राशन से बच्चों के अंदर मानसिक विकास होता है और उनकी मेधा शक्ति बढ़ती है। डॉ गणपति झा ने आयुर्वेद के सिद्धांतों को जागरूकता के साथ पालन करने हेतु आम जनों को प्रेरित किया।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ दिनेश कुमार ने कहा की हमें ‘ संतोष ही परम सुख है ‘ के मार्ग को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। हम जहां पर और जिस रूप में खड़े हैं वहां ईमानदारी एवं कर्तव्य निष्ठा पूर्वक अपने दायित्वों का निर्वाह करना चाहिए। आज के युवा प्रतिस्पर्धा के दौर से गुजर रहे है। आयुर्वेद के अनुसार हमें सफलता के कारणों से ईर्ष्या करना चाहिए। इससे हमें मेहनत करने की सीख मिलती है।
मानसिक कार्यक्षमता को बढ़ाने वाले औषधियों के विषय में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया की ब्राह्मी का सेवन पुष्य नक्षत्र में करने से मेधा शक्ति का विकास होता है। हमारी स्मरण शक्ति उत्तरोत्तर बढ़ती चली जाती है। मानसिक खुशहाली हेतु हमें आयुर्वेद में वर्णित सदवृत्त का पालन जागरूकता के साथ करनी चाहिए। आज स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम के तहत संस्थान के मोहनपुर परिसर एवं कामेश्वर सिंह आयुर्वेदिक चिकित्सालय, कामेश्वर नगर में कुल- 185 बच्चों का स्वर्ण प्राशन कराया गया। स्वर्ण प्राशन से बच्चों के अंदर रोगप्रतिरोधक क्षमता के साथ साथ सर्वांगीण विकास होता है। स्वर्ण प्राशन का अगला कार्यक्रम 15 नवंबर को किया जाएगा।