-एमडीआर टीबी रोगी को निःशुल्क मिलती है 9 लाख रुपये की दवा।

-जिले में एमडीआर मरीजों की संख्या 168।

-टीबी मरीजों को हर महीने 500 रुपये, वर्ष 2025 तक बीमारी खत्म करने का लक्ष्य।

#MNN@24X7 मधुबनी/ 4 अगस्त, ट्यूबरक्लोसिस या टीबी की बीमारी जिले में स्वास्थ्य से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती है। क्योंकि जिले में टीबी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। टीबी बैक्टीरिया के कारण होने वाली एक गंभीर बीमारी है जो एक व्यक्ति के माध्यम से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकती है। आमतौर पर टीबी की बीमारी फेफड़ों में सबसे ज्यादा होती है लेकिन फेफड़ों के अलावा यह समस्या शरीर के कई अन्य अंग जैसे किडनी, रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकती है। जिले में टीबी के एक रूप मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के मरीज की संख्या में काफी इजाफा हो रहा है। वर्तमान में जिले में ऐसे मरीजों की संख्या 168 है जिसमें 102 मरीज जिले में पाए गए हैं तथा शेष मरीज ट्रांसफर होकर आएं. जिनका उपचार सरकारी अस्पतालों में की जा रही है. एमडीआर टीबी, ट्यूबरक्लोसिस का गंभीर रूप है जिसमें टीबी के इलाज में प्रयोग की जाने वाली ज्यादातर दवाओं का असर नहीं होता है। टीबी का यह स्टेज मरीजों के लिए बहुत खतरनाक माना जाता है। मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के मरीजों के लिए सरकार ने बिडाक्यूलीन उपलब्ध कराई जाती है। इस दवा का पूरा कोर्स का अनुमानित मूल्य 9 लाख रुपये से अधिक का है, जो डीआर टीबी सेंटर में निःशुल्क उपलब्ध होती है.

सीडीओ डॉक्टर जीएम ठाकुर ने बताया टीबी की बीमारी किसी व्यक्ति के असुरक्षित निवास, सीलन भरी जगह में लगातार रहने, प्रदूषणयु्क्त वातावरण में रहने, टीबी से बीमार व्यक्ति के सीधे असुरक्षित संपर्क में आने और नशीले पदार्थों के सेवन के कारण उपजी कमजोरी की वजह से होता है।

सरकारी अस्पताल में एमडीआर टीबी मरीजों का हो रहा इलाज:

डीपीसी पंकज कुमार ने बताया जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में एमडीआर टीबी के इलाज की सुविधा है। इसका इलाज लंबा और जटिल होता है। एमडीआर टीबी के मरीजों का इलाज 9 माह से 20 माह तक चलता है। इसमें मरीज ही पूरी तरह ठीक हो पाते हैं, जबकि कुछ बीच में इलाज छोड़ देते हैं। जिससे मरीज को पुनः टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है.

टीबी मरीजों को हर महीने 500 रुपये, वर्ष 2025 तक बीमारी खत्म करने का लक्ष्य

सीडीओ डॉ.ठाकुर ने बताया टीबी की बीमारी के कारण भारत में लाखों लोगों की मौत प्रतिवर्ष हो जाती है मामले की गंभीरता देखते सरकार हर मरीज का समुचित इलाज सुनिश्चित करना चाहती है। गरीब मरीजों का इलाज उचित पोषण के अभाव में बहुत कारगर नहीं रहता है। इसी कारण सरकार सभी टीबी के मरीजों को इलाज के दौरान 500 रुपये प्रति माह की मदद उलब्ध करा रही है। इससे टीबी के कारण होने वाली मौतों में कमी लाई जा सकेगी।