चार वर्षीय स्नातक कोर्स को वापस लेने, विश्वविद्यालय व कॉलेजों में बुनियादी संरचनाओं को अविलम्ब दुरुस्त करने सहित अन्य कई मांगों को लेकर छात्र राजद व आइसा का विश्वविद्यालय मुख्यालय में भूख हड़ताल शुरू।

नई शिक्षा नीति 2020 एवं एफवाईयूपी छात्र विरोधी नीति हैं, इससे मेहनतकश गरीब-मजदूर, किसानों के बच्चों को केंद्र सरकार शिक्षा से बेदखल करना चाहती है- छात्र राजद /आइसा

छात्र विरोधी शिक्षा नीति के खिलाफ छात्र-छात्राओं को अपने बेहतर भविष्य और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आगें आना चाहिए- प्रो. सुरेंद्र सुमन

नई शिक्षा नीति 2020 आने से शिक्षा महँगी होगी, निजीकरण का बढ़ावा होगा जिसके कारण मेहनतकश गरीब-मजदूर, किसानों के बच्चे शिक्षा से बेदखल होगें – संदीप कुमार चौधरी

बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था बुनियादी संरचनाओं की मार झेल रही है उसको दुरुस्त किए बिना, नई शिक्षा नीति 2020 के नाम पर फर्जी सपने देखना बिहार के राज्यपाल बंद करें-रजनीश यादव

#MNN@24X7 4 जुलाई 2023, दरभंगा, चार वर्षीय स्नातक कोर्स को वापस लेने, विश्वविद्यालय व विश्वविद्यालयों में बुनियादी संरचनाओं को अविलम्ब दुरुस्त करने सहित अन्य कई मांगों को लेकर छात्र राजद व आइसा के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय मुख्यालय के समक्ष दो दिवसीय भूख हड़ताल की शुरुआत की गई। इस दौरान भूख हड़ताल पर बैठें भूख हड़ताल साथियों को जसम के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य प्रो. सुरेंद्र सुमन, इंनौस के प्रदेश उपाध्यक्ष संदीप कुमार चौधरी, छात्र राजद के पूर्व विश्वविद्यालय अध्यक्ष रंजनीश कुमार से संयुक्त रूप से माला डालकर हौसला उफजाई किया गया।

सभा का संचालन आइसा के राज्य सह सचिव प्रिंस कर्ण ने किया। भूख हड़ताल पर बैठें छात्रों को सम्बोधित करते हुए जसम के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य प्रो. सुरेंद्र सुमन ने कहा कि छात्र समुदाय देश के उज्जवल भविष्य होते है। वर्तमान समय में हमारी सरकारें लगातार छात्र विरोधी शिक्षा नीति को बढ़ावा देने में लगी है। छात्र विरोधी शिक्षा नीति के खिलाफ छात्र-छात्राओं को अपने बेहतर भविष्य और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए आगें आना चाहिए।

इंनौस के प्रदेश सहसचिव संदीप कुमार चौधरी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान कि केंद्र की सरकार छात्र-युवा विरोधी कार्यों को अंजाम देने में तुली हुई है। देश के छात्र-युवा मोदी सरकार नई शिक्षा नीति 2020 आने से शिक्षा महँगी होगी, निजीकरण का बढ़ावा होगा जिसके कारण मेहनतकश गरीब-मजदूर, किसानों के बच्चे शिक्षा से बेदखल होगें।

छात्र राजद के पूर्व विश्वविद्यालय अध्यक्ष रजनीश यादव ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था बुनियादी संरचनाओं की मार झेल रही है उसको दुरुस्त किए बिना, नई शिक्षा नीति 2020 के नाम पर फर्जी सपने देखना बिहार के राज्यपाल बंद करें।

आइसा के राज्य सचिव सुनील कुमार ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था कई तरह के बदहाली की मार झेल रही हैं। पूर्व की शिक्षा नीति में जब स्नातक डिग्री 3 साल में खत्म होनी चाहिए थी। जिसको बिहार में 5-6 साल लग जाते हैं। ऐसे में FYUP के तहत यूजी को चार वर्षीय कोर्स में तब्दील करने में क्या होगा आप समझ सकते है। बिहार के राज्यपाल बिहार की शिक्षा व्यवस्था की हकीकत को बिना समझे, शिक्षा की बदहाल स्थिति को ठीक किए बिना जल्दबाजी में नई शिक्षा नीति 2020, FYUP को थोपना चाहते है। जिसको बिहार के छात्र-छात्राएँ किसी भी कीमत और बर्दाश्त नहीं करेगें। गरीब-मजदूर, किसान परिवार से आने वाले छात्रों को शिक्षा से वंचित करनी वाली किसी भी तरह की शिक्षा नीति मंजूर नहीं है। छात्र राजद और आइसा ऐसी तमाम तरह की नीतियों की वापसी तक संघर्षरत है और रहेंगी।

भूख हड़ताल पर बैठें आइसा नेता राजू कर्ण ने कहा कि विश्वविद्यालय और कॉलेजों में नामांकन के समय विकास के नाम पर छात्रों से हजारों फीस वसूला जाता है। पर हकीकत यह है आज भी छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय से लेकर कॉलेज परिसर में बुनियादी आधारभुत संरचनाओं से महरूम रहना पढता है। ऐसे में विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रशासन NAAC ग्रेड के लिए चौतरफ़ा माहौल बना रही है। काम करने के वजाय नैक के नाम पर विश्वविद्यालय और कॉलेज प्रशासन लूट में मशगुल है।

आइसा के जिला सचिव मयंक यादव ने कहा कि नयी शिक्षा नीति के पहले बिहार में स्नातक का अधिकतम फीस लगभग 8 हजार था परंतु नयी शिक्षा नीति लागू होने के पश्चात स्नातक कोर्सेज में बेतहाशा फीस वृद्धि हो चुकी है जिसके वजह से दलित, वंचित एवं गरीब तबके के छात्रों के लिए आने वाले दिनों में कैम्पस का दरवाजा बंद हो जाएगा। चार वर्षीय स्नातक कोर्स लागू होने के बाद स्नातक का न्यूनतम फीस 22500 हो चुका है। उसके साथ ही छात्रों से प्रति सेमेस्टर परीक्षा फीस,लैब फीस लिया जाएगा जिसके कारण छात्रों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। जिसका व्यापक असर समाज के गरीब दलित पिछड़े समुदाय से आने वाले छात्रों पर पड़ेगा। नियमावली में कुलपति के द्वारा फीस स्ट्रक्चर का Revision करने की बात कही गई है जिसका नतीजा आने वाले दिनों में व्यापक फीस वृद्धि व विश्वविधालयों को धन की उगाही का केंद्र बनाए जाने की संभावना है।

आइसा के जिला अध्यक्ष प्रिंस कर्ण ने कहा कि कहने के लिए नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा में विकास और प्रगति की बात है पर हकीकत इससे ठीक विपरीत है। नई शिक्षा नीति 2020 और एफवाईयूपी शिक्षा को निजीकरण की धकेलने का काम कर रही है। नई शिक्षा नीति 2020 के आने नामांकन प्रक्रिया में बेतहाशा फीस वृद्धि देखने को मिल रहा है।फीस वृद्धि होने से बिहार जैसे पिछड़े राज्य में और खासकर मिथिलांचल की बात करें तो जहाँ के लोग बाढ़ और सुखाड़ जैसी गंभीर समस्याओं से त्रस्त रहते उनके सामने रोजी -रोटी तक की गंभीर संकट की मार झेलना पढता है। ऐसे में महँगी फीस के कारण बिहार के सहित पुरे मिथिलांचल के बहुसंख्यक गरीब-दलित, पिछड़े समाज से आनेवाले छात्र-छात्राएं शिक्षा से बेदखल हो जाएंगे।

भूख हड़ताल पर आइसा कि तरफ से राजू कर्ण, रवि रंजन, छात्र राजद से धीरज प्रकाश, शिवम राय के अलावे आइसा कि राज्य उपाध्यक्ष मनीषा कुमारी, दरभंगा जिला कमिटी सदस्य सबा रौशनी, रानी, मिथलेश यादव, सुभाष, दीपक, राहुल, पशुराम, राजू झा, अभिषेक, एम. डी. हशन, बबलू, अजय, वही राजद के महासचिव डॉ. संतोष गोश्वमी, छात्र राजद के पूर्व विश्वविद्यालय अध्यक्ष रजनीश यादव, छात्र राजद के वर्तमान विश्वविद्यालय अध्यक्ष अभिषेक कुमार, छात्र राजद के पूर्व मिथिला विश्वविद्यालय प्रभारी कृष्णा यादव, वर्तमान मिथिला विश्वविद्यालय प्रभारी पियूष राज सहित दर्जनों छात्र नेता शामिल थे।