-जिले में 15 से 21 नवंबर तक नवजात शिशु सुरक्षा सप्ताह का हो रहा आयोजन
-नवजात के बेहतर देखभाल तकनीक के प्रति लोगों का जागरूक होना जरूरी

#MNN@24X7 मधुबनी, 16 नवंबर, नवजात के जन्म के बाद पहले 28 दिन उसके जीवन व विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है। बचपन के किसी अन्य अवधि की तुलना में नवजात के मृत्यु की संभावना इस दौरान अधिक होती है। इसलिये कहा जाता है कि नवजात के जीवन का पहला महीना आजीवन उसके स्वास्थ्य व विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है। शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने व छह माह तक शिशुओं के बेहतर देखभाल के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 15 से 21 नवंबर के बीच नवजात सुरक्षा सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।एसआरएस 2020 के अनुसार राज्य का नवजात मृत्यु दर 23 /1000 जीवित जन्म है. एसडीजी का लक्ष्य 2030 तक नवजात मृत्यु दर 12/1000 जीवित जन्म तथा नेशनल हेल्थ पॉलिसी का लक्ष्य 2025 तक नवजात मृत्यु दर 16/ 1000 जीवित जन्म करना है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बिहार सरकार सतत प्रयासरत है.

जागरूकता से नवजात मृत्यु के मामलों में कमी संभव :

नवजात सुरक्षा सप्ताह कार्यक्रम को महत्वपूर्ण बताते हुए सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि जन्म के पहले 28 दिनों में नवजात मृत्यु के अधिकांश मामले घटित होते हैं। हाल के वर्षों में नवजात मृत्यु दर के मामलों में कमी आयी है। वर्ष 2019-20 में जारी एनएफएचएस 05 की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में नवजात मृत्यु दर शहरी क्षेत्र में 27.9 व ग्रामीण इलाकों में 35.2 के करीब है। इसलिये जोखिम के कारणों की पहचान, उसका उचित प्रबंधन नवजात मृत्यु दर के मामलों को कम करने के लिये जरूरी है। इसलिये नवजात के स्वास्थ्य संबंधी मामलों के प्रति व्यापक जागरूकता जरूरी है।

स्वच्छता, टीकाकरण व उचित पोषण जरूरी

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुणाल आनंद यादव ने कहा कि प्री-मैच्योरिटी, प्रीटर्म व संक्रमण व जन्मजात विकृतियां नवजात मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। नवजात के स्वस्थ जीवन में नियमित टीकाकरण, स्वच्छता संबंधी मामलों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। जन्म के एक घंटे बाद नवजात के लिये मां का गाढ़ा पीला दूध का सेवन जरूरी करायें। उचित पोषण के लिये छह माह तक मां के दूध के अलावा किसी अन्य चीज के उपयोग से परहेज करें। बच्चों के वृद्धि व विकास को बढ़ावा देने के लिये उचित पोषण महत्वपूर्ण है।

ठंड में नवजात की सेहत का रखें खास ख्याल :

डॉ आनंद ने बताया कि ठंड के मौसम में बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। शिशुओं को इस समय अधिक उर्जा की जरूरत होती है। इसलिये नियमित अंतराल पर स्तनपान कराना जरूरी है। इसके अलावा एक दो दिन के अंतराल पर बच्चे को गुनगुना पानी से नहलाएं, त्वचा की अच्छी से मालिश करें। बच्चे के कपड़ों को हमेशा साफ रखें। शरीर के तापमान को बनाये रखने के लिये त्वचा से त्वचा का संपर्क जरूरी है। इसके लिये कंगारू मदर केयर तकनीक शरीर के सामान्य तापमान को बनाये रखने के लिये सुरक्षित, प्रभावी व वैज्ञानिक रूप से सिद्ध तरीका है।