◆अब आशा व आशा फैसिलिटेटर भी राज्य सरकार की मानदेय कर्मी हो गईं- शशि यादव।

◆रिटायरमेंट बेनिफिट और रिटायरमेंट उम्र को 65 साल करने पर सरकार विचार करेगी- सुधा सुमन।

◆मासिक मानदेय में अपेक्षा के अनुकूल बदलाव नहीं- विश्वनाथ सिंह।

◆पटना की जीत हमारी है,अब दिल्ली की बारी है- रामबली प्रसाद।

◆बकाया,ड्रेस सहित अन्य मांगों पर सकारात्मक निर्णय,सामूहिक व व्यापक विमर्श के बाद हड़ताल समाप्त करने की घोषणा- आशा संयुक्त संघर्ष मंच।

#MNN@24X7 पटना 12 अगस्त 23,बिहार की करीब एक लाख आशा कार्यकर्त्ता एवं आशा फैसिलिटेटर 12 जुलाई से अर्थात एक माह से अधिक समय से अपनी 9 सूत्री माँगों की पूर्ति को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रही है। हड़ताल की 9 सूत्री मांगों में खासकर पारितोषिक शब्द को बदलकर मासिक मानदेय करना, मानदेय राशि 1000 रु० प्रति माह को बढ़ाकर 10 हजार रु० प्रति माह करना, अश्विन पोर्टल लागू होने के पूर्व व बाद के सभी बकाया का भुगतान करना सहित अन्य मांग शामिल था।

इन मांगों पर कार्यपालक निदेशक,राज्य स्वास्थ्य समिति के साथ पहले दो चक्र की वार्ता बेनतीजा रहा था लेकिन सरकार के निदेश पर पुनः 11 अगस्त को श्री संजय कुमार सिंह , कार्यपालक निदेशक के साथ आशा संयुक्त संघर्ष मंच के नेताओं शशि यादव, अध्यक्ष बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ(गोप गुट-ऐक्टू), रामबली प्रसाद, सम्मानित अध्यक्ष, महासंघ (गोप गुट), रणविजय कुमार, राज्य सचिव, ऐक्टू, विश्वनाथ सिंह, संयुक्त महामन्त्री ,मीरा सिन्हा अध्यक्ष, सुधा सुमन, महासचिव तीनों आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ (सीटू) के प्रतिनिधियों के साथ सफल वार्ता सम्पन्न हुआ।

पिछले हड़ताल में तत्कालीन भाजपाई स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय द्वारा मासिक मानदेय का वादा कर आशाकर्मियों को धोखा देकर छलपूर्वक मानदेय शब्द को बदलकर पारितोषिक कर दिया था ।

सम्पन्न वार्ता में पारितोषिक शब्द को पलटते हुए महागठबंधन सरकार मासिक मानदेय करने पर सहमत हो गयी है । आशा संयुक्त संघर्ष मंच का स्पष्ट तौर से मानना है कि पारितोषिक को मानदेय में बदलना बिहार के लाखों आशा व फैसिलिटेटरों के ऐतिहासिक हड़ताल की बड़ी जीत है।

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट-ऐक्टू) अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि अब आशा व आशा फैसिलिटेटर भी राज्य सरकार की मानदेय कर्मी हो गयी है, मानदेय कर्मी कहलाना बिहार के एक लाख आशकर्मियों के स्वाभिमान और उनकी मर्यादा से जुड़ी बात है। क्योंकि कड़ी मेहनत करने वाली एक लाख कामकाजी महिला आशा को मानदेय कर्मी से भी कमतर समझा जाता रहा है।

साथ ही आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ (सीटू) महासचिव सुधा सुमन ने बताया कि वार्ता में आशाओं को रिटायरमेंट बेनिफिट और रिटायरमेंट उम्र 60 से बढाकर 65 वर्ष करने पर सरकार विचार करेगी। वहीं संयुक्त महामंत्री विश्वनाथ सिंह ने कहा कि मासिक मानदेय में आशाओं की अपेक्षा के अनुरूप सरकार ने बदलाव नहीं किया है, आशा व आशा फैसिलिटेटरों को भुगतान हो रहे प्रति माह एक हजार राशि के अतिरिक्त डेढ़ हजार रु० प्रति माह का बढ़ोतरी करने पर सहमती बन गयी है।अब प्रतिमाह कुल 2500 रुपया मासिक मानदेय के तौर पर बिहार सरकार अपने खजाने से देगी।

महासंघ (गोप गुट) के सम्मानित अध्यक्ष सह बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट -ऐक्टू) के मुख्य संरक्षक रामबली प्रसाद और ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार ने बताया कि पटना की जीत हमारी है अब दिल्ली के मोदी सरकार की बारी है ,नेताओं ने कहा कि आशा हड़ताल की 9 सूत्री मांगों में केंद्र की मोदी सरकार से आशाकर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने तथा इंसेंटिव राशि मे कम से कम 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने जैसी महत्वपूर्ण मांग भी शामिल है, सम्पन्न वार्ता में बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री की ओर से एक प्रस्ताव व अनुशंषा से सम्बंधित पत्र केंद्र की मोदी सरकार को भेजे जाने पर सहमति बनी है।

नेताओं ने बताया कि एनएचएम के तहत संचालित आशा के प्रत्येक काम का दाम (इंटेंसिव) का निर्धारण वर्ष 2005 में पूरे देश मे आशा का काम शुरू होने के समय ही किया गया था । जसके बाद मोदी सरकार के 9 वर्ष साशन सहित कुल 17 वर्षों में इनके इंसेंटिव राशि मे एक बार भी ठोस पुनरीक्षण नहीं किया गया है जिसका नतीजा है कि बिहार सहित देशभर में कार्यरत लगभग 10 लाख से अधिक कामकाजी महिला आशा वर्कर आज भी 2005 के निर्धारित दर पर काम करने को अभिशप्त है।नेताओं ने कहा कि हमारे प्यारे भारत देश के महान लोकतंत्र और 9 वर्षीय तथाकथिक राष्ट्रवादी मोदी सरकार के लिए इससे बड़े शर्म की और कोई बात नहीं हो सकती ।

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट) अध्यक्ष शशि यादव, महासंघ (गोप गुट) सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद, ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार व आशा व आशा फैसिलिटेटर संघ (सीटू) संयुक्त महामंत्री विश्वनाथ सिंह, महामंत्री सुधा सुमन ने कहा कि सरकार से सभी बकाया,ड्रेस में राशि बढ़ाने, मुकदमों की वापसी सहित अन्य मांगों पर सकारात्मक निर्णय हुआ है इसलिए सामूहिक व व्यापक विमर्श के बाद आशा संयुक्त संघर्ष मंच के आह्वान पर 12 जुलाई 2023 से राज्य में जारी आशा व आशा फैसिलिटेटरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के आज 31वें दिन हड़ताल समाप्ति की घोषणा करते है।