पृथक मिथिला राज्य के गठन सहित 35 सूत्री मांगों के समर्थन में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री को सौंपा ज्ञापन

#MNN24X7 अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के तत्वावधान में गुरुवार को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर विशाल धरना एवं प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रदर्शन के दौरान समिति की ओर से पृथक मिथिला राज्य के गठन, भारत सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत मैथिली भाषा में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा, मैथिली शिक्षक की बहाली, बीपीएससी में मैथिली विषय की पूर्ववत वापसी, उत्तर भारत के एकमात्र संवैधानिक भाषा मैथिली को राजभाषा का दर्जा, मिथिलाक्षर लिपि का संरक्षण और संवर्धन, मैथिली अकादमी का स्वतंत्र अस्तित्व में सुचारू रूप से संचालन, मातृभाषा मैथिली में तकनीकी शिक्षा और शोध प्रबंधन, बाढ़ का स्थाई निदान एवं मिथिला क्षेत्र के सर्वांगीण विकास सहित ज्वलंत मुद्दों पर आम व खास लोगों का ध्यान आकर्षित किया गया। अंजनी कुमार के संचालन में आयोजित धरना की अध्यक्षता पं कौशल पाठक ने की।

मौके पर अपने संबोधन में संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मिथिला के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं भाषाई आजादी के बिना समग्र मिथिला क्षेत्र का विकास असंभव है। सड़़क से संसद तक संघर्ष पिछले सौ साल से जारी है और यह आंदोलन पृथक मिथिला राज्य का गठन होने तक अनवरत जारी रहेगा। डा बैजू ने कहा कि सनातनी मिथिला के भौगोलिक क्षेत्र में बंगाल से बिहार, उड़ीसा और झारखंड राज्य बन गया। लेकिन पृथक मिथिला राज्य के गठन की आठ करोड़ से अधिक मिथिला वासी के मांग की अब तक अनदेखी किया जाना निंदनीय है। उन्होंने कहा कि मिथिला क्षेत्र लगातार बिहार से अलग होने की बात कर रहा है क्योंकि मैथिलों के लिए बिहारी शब्द मिथिला के नैतिक पहचान ,नैतिक मूल्य, सभ्यता-संस्कृति, भाषा एवं विकास में बाधक है और इस कारण बिहार में मैथिलों की पहचान लुप्त होती जा रही है।

पूर्व सांसद महाबल मिश्रा ने कहा कि आजादी के 75 वर्षों में मिथिला में बेरोजगारी और पलायन में बेहताशा वृद्धि हुई है। सभी चीनी व जूट मिल सहित उद्योग- धंधे बंद हो गए हैं। इसका निदान पृथक मिथिला राज्य के गठन मात्र से संभव है। नेपाल में सक्रिय मैथिली अभियानी प्रवीण नारायण चौधरी ने कहा कि मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए अलग मिथिला राज्य का गठन जरूरी है। मिथिला राज्य अभियानी राजेश कुमार ने कहा कि मिथिला की प्रगति सरकारी उपेक्षा के कारण दिशाहीन हो गयी है। सरकारी उदासीनता के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर में तीव्र पतन हो रहा है।

दीपक कुमार झा ने अपने संबोधन में मिथिला में पूर्व निर्धारित जगह पर एम्स का निर्माण कराने के साथ ही आईआईटी एवं आईआईएम के स्थापना की मांग की। उन्होंने कहा कि 2021 के रिपोर्ट में भी बिहार गरीबी में देश भर में अव्वल है। ऊपर से मगही शासन की कुदृष्टि से मिथिला निरंतर दरिद्रता की ओर बढ रहा है। धरना को सम्बोधित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय संयोजक प्रो अमरेन्द्र कुमार झा ने बिहार सरकार को आगाह किया कि पृथक मिथिला राज्य के लिए विधानसभा में जल्द प्रस्ताव पारित नहीं हुआ तो सम्पूर्ण मिथिला क्षेत्र में सड़क रोको, रेल रोको अभियान शुरू किया जायेगा। शिशिर कुमार झा ने दरभंगा में हाईकोर्ट बेंच के स्थापना की मांग की।

अध्यक्षीय संबोधन में पं कौशल पाठक ने कहा कि जब तक हम पूर्ण रूप से संगठित नहीं होंगे हमें मिथिला राज्य नहीं मिलेगा। यह किसी एक व्यक्ति या संस्था की मांग नहीं है। यह संपूर्ण मिथिला वासियों की बहुत पुरानी मांग है। जिसके लिए हम लगातार संघर्ष करते आ रहे हैं। मो उमर ने कहा कि पृथक मिथिला राज्य का गठन हमारा अधिकार है और इसे हम हर हाल में लड़कर हासिल करेंगे। दिल्ली में रहने वाले तमाम मिथिला वासियों से उन्होंने अपील की वे संगठित होकर अपने हक के लिए संघर्ष करने को आगे आएं। अंजू झा ने कहा कि स्वतंत्र मिथिला राज्य के लिए हमें अपने संघर्ष को धारदार बनाना होगा।

धरना प्रदर्शन को संबोधित करने वालों में प्रीतिश रंजन सिंह, शंकर मिश्र, शिवेन्द्र मिश्रा, केएन झा, कमलेश झा, जयराम यादव, जीवानंद झा आदि उल्लेखनीय रहे। धरना प्रदर्शन के उपरांत मदन कुमार झा एवं हीरालाल प्रधान के नेतृत्व में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री को पृथक मिथिला राज्य के गठन सहित अन्य 35 सूत्री मांगों के समर्थन में ज्ञापन सौंपा गया।