#MNN@24X7 17 अगस्त, दरभंगा, समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर सभागार में जिलाधिकारी, दरभंगा राजीव रौशन की अध्यक्षता में बाल श्रम, बाल विवाह, बाल व्यापार एवं बाल संरक्षण से संबंधित जिला स्तरीय समितियों की संयुक्त बैठक आयोजित की गई।
  
इस अवसर पर बैठक को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि प्रत्येक समाज का दायित्व होता है कि बच्चों को उनका अधिकार प्राप्त हो। 18 वर्ष तक उन्हें पढ़ने ओर सीखने दें, ताकि दक्ष और कुशल होकर वह अधिक अर्जित कर सके, इसके लिए अभिभावकों को जागरूक करना होगा।
 
उन्होंने कहा कि कम उम्र में काम का बोझ डालने पर बच्चों का शाररिक एवं मानसिक विकास नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए  अभियान चलाकर पंचायत स्तर पर समिति बनाई जाए तथा पहली बैठक भी करा ली जाए।
 
उन्होंने कहा कि प्रत्येक थाना के थानाध्यक्ष के बाद वाले वरीय पुलिस अधिकारी या महिला पुलिस अधिकारी को ही बाल कल्याण पुलिस अधिकारी बनाया जाए।
     
वार्ड स्तर पर वैसे बच्चों की पहचान की जाए, जो अन्यंत्र कार्य कर रहे हैं। इसके उपरान्त उन्हें पुर्नवासित करने की कार्रवाई की जाए, संबंधित प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, उसके परिवार को मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना से जोड़ दे। अगर बच्चे का अभिभावक नहीं है, तो स्पॉन्सरशिप योजना से जोड़ा जा सकता है, जिसमें 04 हजार रूपये प्रतिमाह पढ़ाई के लिए दी जाती है तथा उसके माता को जीविका समुह से या सतत् जीविकोपार्जन योजना से जोड़ा जाए,जिसमे 60 हजार रुपये से अधिक की आर्थिक मदद दी जाती है।
 
उन्होंने कहा कि अशिक्षित बच्चे को कुशल बनाने हेतु फीटर,इलेक्ट्रिशयन, ड्राईवर, रसोईयाँ, राज मिस्त्री इत्यादि के लिए प्रशिक्षण दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विमुक्त बच्चे एवं उनके परिजनों से 03 माह में एक बार पदाधिकारियों को निश्चित रूप से मिलना चाहिए, ताकि यह देखा जा सके की वह फिर कहीं श्रम में तो नहीं लग गया या उसके परिवार को योनजाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं।
 
उन्होंने कहा कि बाल श्रम एक सामाजिक बुराई है, जो समाज के सहयोग से ही दूर किया जा सकेगा।
 
बैठक में कुछ सदस्यों ने अपने सुझाव दिए, जिसमें विद्यालय में बाल संसद, मीणा मंच, विद्यालय शिक्षण समिति को सक्रिय करना शामिल है।
 
बैठक में श्रम अधीक्षक राकेश रंजन ने बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन), 1986 एवं संशोधित अधिनियम, 2016 तथा बाल श्रम उन्मूलन तथा किशोर श्रम निषेध एवं विनियमन हेतु राज्य कार्य योजना, 2017 के प्रावधानों से अवगत कराते हुए कहा कि बाल श्रम यानि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चो से श्रम करवाने पर 20 से 50 हजार रूपये तक जुर्माना एवं 06 माह से 02 वर्ष तक कारावास की सजा तथा अपराध दोहराने पर 01 वर्ष से 03 वर्ष तक की कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
 
उन्होंने कहा कि बाल श्रमिकों की पहचान के लिए प्रखण्ड स्तर पर कर्मी एवं पदाधिकारी के साथ एन.जी.ओ. से मदद ली जा रही है तथा प्रत्येक मंगलवार एवं बुधवार को जिला स्तर से धावा दल द्वारा बाल श्रमिकों को विमुक्त करवाया जा रहा है।
 
वर्ष 2022 में 10 एवं वर्ष 2023 में अब तक 20 बाल श्रमिकों को विमुक्त कराया गया है और विमुक्त बाल श्रमिकों एवं उनके अभिभावकों को पुर्नवास के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। साथ ही शिक्षा विभाग के माध्यम से बच्चे का नामांकन विद्यालय में करवाया जा रहा है।
 
उन्होंने बताया कि उनके परिवार को राशन कार्ड, आवास योजना, लेबर कार्ड, आयुष्मान योजना के साथ-साथ विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है, ताकि उन्हें गरीबी से बाहर निकाला जा सके।
 
उन्होंने कहा कि विमुक्त कराये गये बाल श्रमिकों की प्रविष्टि सी.एल.टी.एस. पोर्टल पर 48 घंटे के अन्दर कराया जाता है तथा उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कर उनके अभिभावक को सुर्पूद किया जाता है और तदोपरान्त पुर्नवास की कार्रवाई की जाती है।
 
उन्होंने कहा कि प्रखण्ड स्तर पर धावा दल का गठन करने की जरूरत है।
   
इसके साथ ही निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों का लेबर कार्ड बनता है, जिसके अन्तर्गत उन्हें जन्म से लेकर मृत्यु के उपरान्त तक लाभान्वित किया जाता है।
 
उन्होंने बताया कि लेबर कार्ड वाले श्रमिकों के बच्चों की पढ़ाई के लिए आवश्यकतानुसार, पुत्रियों के विवाह हेतु 50 हजार, मैट्रिक प्रथम श्रेणी से अच्छे अंक से उत्तीर्ण करने पर 10 हजार रूपये, 70 प्रतिशत् अंक लाने पर 15 हजार रूपये, 80 प्रतिशत अंक लाने पर 25 हजार रूपये, श्रमिक के साईकिल क्रय के लिए 3,500 रूपये, औजार क्रय करने के लिए 15 हजार रूपये, भवन मरम्मति कराने के लिए 20 हजार रूपये, चिकित्सा कराने हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न असाध्य बीमारियों के लिए अनुमान्य राशि, वार्षिक चिकित्सा के रूप में 03 हजार रूपये, 60 वर्ष की आयु के पश्चात् 1,000 रूपये प्रतिमाह, विकलांगता पेंशन, स्थाई निःशक्तता हेतु 75 हजार रूपये, आंशिक निःशक्कता हेतु 50 हजार रूपये, दाह संस्कार हेतु 05 हजार रूपये, पितृत्व लाभ हेतु 06 हजार रूपये, वार्षिक वस्त्र सहायता हेतु 2,500 रूपये प्रदान किया जाता है।
 
उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य में लगे राज मिस्त्री, मजदूर, बढ़ई, लोहार, पेन्टर, बिजली मिस्त्री, टाइल्स मिस्त्री, बैल्डिंग मिस्त्री, रोलर चालक, बाँध निर्माण कार्य में लगे मजदूर, सड़क/बाँध/भवन/पुल निर्माण कार्य में लगे मजदूर, पलम्बर, फिटर, रेलवे, टेलीफोन, हवाई अड्डा इत्यादि के निर्माण में लगे अकुशल अस्थाई मजदूर, मनरेगा मजदूर को लाभ मिल सकता है, इसके लिए उन्हें वसुधा केन्द्र पर जाकर अपना पंजीयन कराना होगा।
 
बैठक के उपरान्त दो विमुक्त बाल श्रमिकों को मुख्यमंत्री राहत कोष अन्तर्गत 25-25 हजार रूपये की सावधि जमा एवं 03-03 हजार रूपये का तत्काल आर्थिक सहायता राशि वहीं दो विमुक्त बाल श्रमिकों को भी 03-03 हजार रूपये का तत्काल आर्थिक सहायता राशि प्रदान किया गया है। इसके साथ ही 05 विमुक्त बाल श्रमिकों के परिजनों को बिहार भवन भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अन्तर्गत निबंधन/लेबर कार्ड जिलाधिकारी, जिला परिषद अध्यक्ष, पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय, उप निदेशक जन सम्पर्क, जिला कल्याण पदाधिकारी द्वारा बारी बारी से प्रदान किया गया।
   
बैठक में जिला परिषद् अध्यक्ष रेणु देवी, उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता, पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) इमरान अहमद, जिला कल्याण पदाधिकारी मो. असलम अली, सहायक निदेशक, (सामाजिक सुरक्षा) नेहा कुमारी के साथ-साथ संबंधित पदाधिकारीगण उपस्थित थे।