#MNN@24X7 मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन को लेकर आंदोलनरत सभी संगठनों को एक मंच पर आकर समेकित प्रयास करने का मुहिम अब अपना रंग दिखाने लगा है। बुधवार देर शाम संपन्न संयुक्त सांगठनिक महाबैसार में देशभर के विभिन्न संगठनों से जुड़े कुल 86 प्रतिनिधियों ने अपनी सहभागिता जताने के साथ ही मिथिला राज्य आन्दोलन को धारदार बनाने का संकल्प लेकर इस आंदोलन को बल दे दिया है।

अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. बैद्यनाथ चौधरी बैजू की अध्यक्षता में क्रान्ति दिवस के अवसर पर स्थानीय एम एल एस एम काॅलेज के संगोष्ठी कक्ष में मिथिला राज्य के समर्थक संस्थाओं के प्रतिनिधियों एवं कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों की सक्रिय उपस्थिति एवं कारगर विमर्श के साथ ‘संयुक्त सांगठनिक महाबैसार’ सम्पन्न हुआ। महाबैसार में मिथिला राज्य आन्दोलन को एक सशक्त आधिकारिक ‘संयुक्त मोर्चा’ के द्वारा आगे बढ़ाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। इसके साथ ही सहभागी प्रतिनिधियों ने लिखित रूप में इसके प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए पृथक मिथिला राज्य से संबंधित आगामी सभी कार्यक्रम एक साथ मिलकर संयुक्त मोर्चा के बैनर से करने का निर्णय लिया। विदित हो कि कई समूहों द्वारा छिटफुट आन्दोलन करने से कोई उपलब्धि हासिल नहीं हो पाना तथा आम लोगों के मन-मस्तिष्क में भी मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक राज्य के गठन की आवश्यकता को लेकर असमंजस की स्थिति कायम होने को लेकर आत्मसमीक्षा की गई। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी आम चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों को उनके मेनिफेस्टो में नौ करोड़ मिथिलावासी के इस मांग को अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए प्रेरित करने के साथ ही आम मिथिलावासी को इसके विभिन्न पहलुओं से अवगत कराने के लिए घर-घर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

महाबैसार में अध्यक्ष डा. बैजू के अतिरिक्त मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा, वरिष्ठ मिथिला राज्य आन्दोलनी डा. बुचरू पासवान, अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के पूर्व उपाध्यक्ष एवं चेतना समिति, पटना के पूर्व अध्यक्ष विवेकानन्द झा, मिथिला राज्य निर्माण सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. रंगनाथ ठाकुर, वरिष्ठ मैथिली आन्दोलनी अयोध्या नाथ झा, मधुबनी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सह मैथिल समाज रहिका के अध्यक्ष शीतलाम्बर झा, वरिष्ठ साहित्यकार एवं मिथिला राज्य आन्दोलनी प्रीतम निषाद के अतिरिक्त युवा नेतृत्वकर्ताओं में मिथिला राज्य निर्माण सेना के महासचिव राजेश कुमार झा, समाजसेवी दीपक झा एवं मिथिला स्टूडेन्ट यूनियन के दरभंगा अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार सहित का 11 सदस्यीय ‘संचालन समिति’ बनाकर ‘संयुक्त मोर्चा’ के लिए आवश्यक विधान के निर्माण सहित मिथिला के सभी जिलों एवं प्रवासी मैथिलीभाषियों की सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं राजनीतिक संस्थाओं को साथ जोड़ने के लिए ‘कार्यकारिणी समिति’ के निर्माण करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। संयुक्त मोर्चा के निर्माण को लेकर प्रयास प्रारम्भ करनेवाले स्वतंत्र लेखक (सचेतक) प्रवीण नारायण चौधरी को 11 सदस्यीय संचालन समिति के समन्वयक की जवाबदेही सौंपी गई।

इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ समन्वय स्थापित करने तथा आर्थिक कोष स्थापना करने के लिये विभिन्न उपसमितियों का निर्माण करने पर सहमति बनी, कानपुर से आये प्रतिभागी अनिल झा, नई दिल्ली से आये प्रतिभागी कमलेश कुमार झा तथा विशाखापट्टनम से आये प्रतिभागी अजय झा का इन उपसमितियों के संयोजक के रूप में चयन किया गया। एनएफएस के सचिव रह चुके कमलेश कुमार झा को मिथिला राज्य के गठन से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर सर्वेक्षण कराने एवं इस आधार पर दस्तावेज तैयार करने की जवाबदेही दी गई। कौशल पाठक एवं अनिला झा को राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के साथ समन्वय स्थापित करने की जवाबदेही दी गई। डा. बुचरू पासवान एवं प्रीतम निषाद को मिथिला के सभी जाति-वर्गों में पृथक राज्य गठन के लाभ पर दस्तावेज तैयार करने के साथ-साथ कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर संचालन को लेकर जिम्मेदारी तय किया गया।

महाबैसार में मिथिला राज्य संघर्ष समिति के पूर्व महासचिव प्रो. उदय शंकर मिश्र, डा. राम सुभग चौधरी, डा. अनिल कुमार झा, स्वर्णिम किरण, कुमकुम देवी, रचना झा, मणिभूषण राजू, अनिल झा, बालेन्दु झा, आनन्द झा, अरुण कुमार मिश्र, चन्द्रशेखर झा बूढ़ाभाई, डा. उदय कान्त मिश्र, चन्द्रमोहन झा पड़बा, तरुण कुमार झा, राजीव कुमार ठाकुर, गणेश कान्त झा, रवि रंजन सिंह, अभय कुमार झा, पुरुषोत्तम वत्स, निशान्त तिवारी, राजीव पाठक, प्रवीण कुमार झा, मनीष झा रघु, आशीष चौधरी आदि ने अपना विचार रखते हुए मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए इस कदम को महत्वपूर्ण बताया।