●नवोन्मेष का उद्देश्य शक्ति और संपत्ति हासिल करना है:- विभागाध्यक्ष, प्रो. मुनेश्वर यादव।

●चीन के मद्देनजर ताइवान-भारत का मजबूत व्यापारिक संबंध दक्षिण एशिया में अहम:- उप-परीक्षा नियंत्रक(व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा), डॉ. मनोज कुमार।

●विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग में “भारत ताइवान व्यापारिक संबंध और चीन विषय” पर आयोजित हुआ एक दिवसीय सेमिनार।

#MNN@24X7 लनामिवि दरभंगा, आज दिनांक 18 जुलाई 2023 को दिन के 11 बजकर 30 मिनट से विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग व डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन के तत्वावधान में “भारत ताइवान व्यापारिक संबंध और चीन विषय” पर स्थानीय कौटिल्य कक्ष में विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव की अध्यक्षता में आयोजित हुआ।

बतौर मुख्य अतिथि मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र मोहन झा ने विचारोत्तेजक व्याख्यान देते हुए कहा कि पूंजी निवेश के संकट को विनियमित करने की आवश्यकता है। चीन और ताइवान दोनों से भारत के संबंध को संतुलित करने की जरूरत है। प्रो. झा ने कहा कि संसाधन से अधिक महत्वपूर्ण है रणनीति। इसीलिए खासकर के स्ट्रांग रणनीति पर बल दिया।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने चीन से प्रेरणा लेने एवं वैज्ञानिक सोच विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि चीन के चिंतन एवं दर्शन में नवोन्मेष का अर्थ शक्ति और संपत्ति हासिल करना है।

मिथिला विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक (व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा) सह विभाग के युवा शिक्षक डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि विश्व का उभरता हुआ दो सबसे बड़ा बाजार भारत और चीन है। चीन, विस्तारवादी नीति में मौजूदा दौर में सबसे आगे है। चीन भारत को चारों ओर से घेरना चाहता है। इसके लिये भारत के सभी पड़ोसी देशों से वो व्यापारिक संबंध को आये दिन प्रगाढ़ कर रहा है। चाहे पाकिस्तान होकर गिलगिट, बलूचिस्तान होते हुए 2442 किलोमीटर के सीपीईसी आर्थिक गलियारा अरब सागर के ग्वादर बंदरगाह तक ले जाने की नीति हो या नेपाल में धनवर्षा करने की योजना या श्रीलंका में एयरपोर्ट आदि देने की नीति। जो व्यापारिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी भारत के लिये बड़ी चुनौती है। इसीलिए भारत सरकार का भी प्रयास है कि दक्षिण एशिया के छोटे-छोटे देशों से व्यापारिक संबंध को जल्द से जल्द मजबूत किया जाय। इस दिशा में ताइवान से भारत का व्यापारिक संबंध को मजबूत करना अहम है। ताइवान से भारत का 7 अरब का व्यापार है। ताइवान उच्च क्वालिटी का सेमी कंडक्टर व इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के मामले में विश्व का उभरता हुआ सबसे बड़ा बाजार है। सेमीकंडक्टर किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का मस्तिष्क है। वैश्विक बाजार में उपलब्ध सेमीकंडक्टर का 65% बाजार पर ताइवान का आधिपत्य है। इसीलिए ताइवान से संबंध मजबूत कर भारत इलेक्ट्रॉनिक जगत में भी अव्वल हो सकता है। इसीलिए चीन के मद्देनजर ताइवान-भारत का व्यापारिक संबंध मजबूत होना दक्षिण एशिया में हर मामलों में अहम साबित हो सकता है।

विभाग के वरीय शिक्षक डॉ. मुकुल बिहारी वर्मा ने स्वागत भाषण एवं विषय प्रवेश किया। उन्होंने एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत भारत और तालिबान के बीच आयात और निर्यात की स्थिति पर प्रकाश दिया।

प्रभात दास फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने सुरक्षा संबंधी तथ्यों पर विचार व्यक्त किया।

विभाग की शोध प्रज्ञा अस्मि ने चतुर्थ औद्योगिक क्रांति के युग में भारत ताइवान के मजबूत होते संबंध को रेखांकित किया तथा कहा कि सेमीकंडक्टर की पूरी दुनिया में उत्पादन का 60% ताइवान में होता है।

इसके अतिरिक्त शोधार्थी आशुतोष कुमार पांडे, रामकृपाल अमर तथा मिथिला विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक (तकनीकी एवं व्यवसायिक शिक्षा) सह विभाग के युवा शिक्षक डॉ. मनोज कुमार ने भी अपना विचार व्यक्त किया। मारवाड़ी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष गंगेश कुमार झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। विभागीय शिक्षक रघुवीर कुमार रंजन, नीतू कुमारी,दिनेश कुमार सहित दर्जनों की संख्या में छात्र-छात्राएं एवं शोधार्थी उपस्थित थे। प्रथम सेमेस्टर की छात्रा प्राची प्रिया ने मंच संचालन किया।