दरभंगा। राजनीति विज्ञान विभाग में “डॉ० भीम राव अंबेडकर के राजनीतिक विचार व दर्शन के मौजूदा दौर में प्रासंगिकता” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन।

लनामिवि दरभंगा:- आज दिनांक 14 अप्रैल 2022 को संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के 131 वीं जन्म जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग के द्वारा “डॉ० भीम राव अंबेडकर के राजनीतिक विचार व दर्शन के मौजूदा दौर में प्रासंगिकता” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर माननीय कुलपति महोदय ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
प्रातः 11 बजे से उद्घाटन सत्र का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में विषय प्रवेश कराते हुए विभागाध्यक्ष प्रो० जितेंद्र नारायण ने कहा कि “सबका साथ, सबका विकास व सबका विश्वास” का मूल मंत्र बाबा साहब के व्यक्तित्व में समाहित था। सामाजिक न्याय के वो प्रणेता थे। हिंदुस्तान की संस्कृति का उन्हें बेहतर ज्ञान था। छात्र-छात्राओं को बाबा साहब के विचारों का ज्यादा से ज्यादा अध्ययन व शोधार्थियों को बाबा साहब पर शोध करना चाहिये।
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो० सुरेंद्र प्रताप सिंह ने बाबा साहब के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि बाबा साहब अथाह सागर हैं। वो सदैव आत्मबल के पक्षधर रहे। उनके दर्शन व नीति का दुनिया लोहा मानती है। वे सदैव न्याय की बात करते रहे। वे सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय व राजनीतिक न्याय के समानता के लिये अपना सर्वस्व जीवन न्योछावर कर दिया। बाबा साहब का विश्लेषण भारत के सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक विकास में सहायक होगा।
विशिष्ट अतिथि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के पूर्व कुलपति प्रो० संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि बाबा साहब अपने व्यक्तित्व व कृतित्व के साथ-साथ दर्शन से भी जाने जाते हैं। बाबा साहब का व्यक्तित्व एक सागर समान है जिसमें जितनी बार गोते लगाये जाय उतनी बार आपको कुछ न कुछ जरूर मिलेगा। जब उनके व्यक्तित्व को देखा जाय तो वो एक पत्रकार, समाज सुधारक, नेता, प्रशासक, लेखक, चिंतक, वक्ता, विचारक, विधिवेत्ता व दार्शनिक आदि थे। सही मायनों में देखा जाय तो तत्कालीन कालखंड के वो सबसे ज्यादा उपाधि प्राप्त राजनेता थे। उनकी दृष्टि में भारत का वर्तमान, भविष्य व भूत तीनों समाहित है। उनके सोच में भारत को लेकर व्यापक दृष्टि थी। भारत के पुनर्निर्माण की यात्रा में उनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण थी। उनका देश को सबसे पहला संदेश था:- शिक्षित बनो। राष्ट्रभक्ति उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। भारतीय सामाजिक व्यवस्था में बाबा साहब परिवर्तन के सूत्रधार के रूप में जाने जाते हैं। बाबा साहब का विचार वर्तमान भारत की आवश्यकता है। उनके कृतित्व, व्यक्तित्व, लेखन व चिंतन आदि में संपूर्ण भारत के भविष्य का विजन समाहित है।
विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो० डॉली सिन्हा ने अपने संबोधन में बाबा साहब को उनके 131 वीं जन्म जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कही कि बाबा साहब भारतीय संविधान के वास्तुकार थे। वो “स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व में विश्वास रखते थे। किसी भी समाज के प्रगति का सूचक वहां के महिला का प्रगति है। जिसकी सदैव बाबा साहब पक्षधर थे। तत्कालीन दशक में वो छात्र संघ के समर्थक रहे। आजकल लोग शरीर को फिट रखने के लिये जिम जाते हैं। बाबा साहब के जिंदगी से सीख लेते हुए जरूरी है कि आज लोगों को मानसिक जिम की भी जरूरत है। ताकि समाज शिक्षित हो।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो० मुश्ताक अहमद ने कहा कि वैसे तो सब पैदा होते हैं लेकिन जिनके पैदा होने से भारत की तस्वीर व तकदीर बदल गयी वो बाबा साहब थे। बाबा साहब सदैव मन से जीते थे। हिंदुस्तान में बाबा साहब दो व्यक्तित्व से जाने जाते हैं। गुलाम भारत में वो बौद्धिक व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते थे जबकि आजाद भारत में बाबा साहब का व्यक्तित्व, बागी व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है।
इस मौके पर मिथिला विश्वविद्यालय की विधि अधिकारी डॉ० सोनी सिंह, पूर्व सीसीडीसी सह विभागीय शिक्षक प्रो० मुनेश्वर यादव, डॉ० जय कुमार झा, डॉ० मुकुल बिहारी वर्मा, वाणिज्य सह मैनेजमेंट के विभागाध्यक्ष प्रो० अजीत कुमार सिंह, समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो० मो० शाहिद हसन, वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो० बी० बी० एल० दास, शिक्षाशास्त्र संकायाध्यक्ष डॉ० डी० एन० सिंह, महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय, दरभंगा के प्रधानाचार्य प्रो० मंजू चतुर्वेदी, महारानी रामेश्वरी महिला महाविद्यालय दरभंगा की प्रधानाचार्य डॉ० रूप कला सिन्हा सहित विभिन्न विभागों व महाविद्यालयों के विभागाध्यक्ष व विभागीय शिक्षक, सैकड़ों छात्र-छात्रा व शोधार्थी उपस्थित थे।
उद्घाटन सत्र में मंच संचालन विभागीय शिक्षक डॉ० मुनेश्वर यादव ने जबकि धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक (दो) डॉ० आनंद प्रकाश गुप्ता ने किया। साथ ही सभी आगत अतिथियों का मिथिला के पारंपरिक पाग, अंगवस्त्र, बुके वो मोमेंटों देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर तकनीकी सहयोग ई० गणेश पासवान ने दिया।
उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र का आयोजन विभागाध्यक्ष प्रो० जितेंद्र नारायण के अध्यक्षता में किया गया।
तकनीकी सत्र को विशिष्ट अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्यप्रदेश के माननीय कुलपति महोदय प्रो० श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी, भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां, सोनीपत, हरियाणा के माननीया पूर्व कुलपति महोदया प्रो० सुषमा यादव, डॉ० राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या, उत्तरप्रदेश के माननीय पूर्व कुलपति महोदय प्रो० मनोज दीक्षित व बरहामपुर विश्वविद्यालय उड़ीसा के राजनीति विज्ञान विभाग के सेवानिवृत्त शिक्षक सह पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो० बिष्णु चरण चौधरी ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अंत में विभागाध्यक्ष प्रो० जितेंद्र नारायण ने राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ० विनोद बैठा को सहयोगी की भूमिका के लिये पाग, मोमेंटों व बुके देकर सम्मानित किया।
पूरे तकनीकी सत्र का संपूर्ण प्रतिवेदन आयोजन समिति के संयुक्त सचिव डॉ० मुकुल बिहारी वर्मा ने प्रस्तुत किया।
टेक्निकल सत्र में विभिन्न छात्र, छात्राओं, शोधार्थियों व शिक्षकों में अपना पेपर प्रस्तुत किया। पेपर प्रस्तुत करने वालों में शोधार्थी जलील हसन, गुंजन कुमारी, साक्षी कुमारी, अस्मि, श्वेता कुमारी, आशुतोष कुमार पांडे व राम नाथ शर्मा, कुमारी अनुपमा व निराला कुमारी आदि थे।
इस दौरान छात्र नेता दीपक झा, संदीप चौधरी, छात्र सिद्धार्थ, सन्नी, केशव, सुजीत, शशि चंद्रा, सहित सैकड़ों छात्र-छात्रा उपस्थित थे।
अंत में आयोजन समिति को मोमेंटों देकर विभागाध्यक्ष ने सम्मानित किया।