श्रद्धांजलि सभा में डा बिन्देश्वर पाठक एवं प्रो भरत लाल झा को भी अर्पित किए श्रद्धा सुमन

#MNN@24X7 दरभंगा, पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी की पांचवीं पुण्य तिथि के अवसर पर विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में बुधवार को श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। मौके पर अटल बिहारी वाजपेयी सहित मंगलवार को दिवंगत हुए सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक पद्मविभूषण डा बिन्देश्वर पाठक एवं बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के पूर्व सदस्य सह मैथिली के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो भरत लाल झा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। वक्ताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक मानवीय चेतना संपन्न व्यक्तित्व का काव्य जगत की ओर से राजनीति को दिया गया अनमोल उपहार बताया। वहीं डा बिन्देश्वर पाठक को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सिद्धांतों से प्रेरित मानवता मूलक समाज के निर्माण का आधार स्तम्भ बताया। जबकि प्रो भरत लाल झा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की विस्तार से चर्चा की।

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा देवनारायण झा की अध्यक्षता में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में दरभंगा के सांसद डा गोपालजी ठाकुर ने कहा कि मिथिला और मैथिली के प्रति पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को विशेष लगाव था। खंडित मिथिला को एक सूत्र में बांधने के लिए कोसी नदी पर महासेतु के निर्माण और मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने में स्वर्गीय बाजपेयी के दिए योगदानों से यह साबित होता है।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि स्वर्गीय वाजपेयी के सपनों का मिथिला बनाने के लिए संगठित होकर मिथिला-मैथिली के विकास की मांगों को सही प्लेटफार्म पर रखा जाना समय की जरूरत है। जबकि अष्टम अनुसूची में शामिल मैथिली भाषा के अधिकारों का चिंतन करते हुए मिथिला को विकास की पटरी पर लाने के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करना होगा।

नगर विधायक संजय सरावगी ने स्व वाजपेयी के मिथिला, मैथिली व मैथिल से प्रेम व लगाव की चर्चा करते कहा कि जब हमें संवैधानिक अधिकार मिले हैं, तो प्राथमिक शिक्षा में मैथिली की पढ़ाई, धरोहर लिपि मिथिलाक्षर के संरक्षण व संवर्धन सहित राजकाज की भाषा मैथिली निश्चित रूप से बनेगी। लेकिन इसके लिए मिथिला में रहने वाले सभी मैथिलों को अपने अधिकार एवं कर्तव्य का बोध करना होगा।

पूर्व विधान पार्षद प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने अपने संबोधन में बदले हालातों में मिथिला ने क्या खोया और क्या पाया के विषय पर विचार विमर्श करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने मैथिली भाषा के विकास के लिए जनगणना में अधिक से अधिक लोगों द्वारा अपनी मातृभाषा मैथिली दर्ज कराए जाने को काफी महत्वपूर्ण बताया

मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने वाजपेयी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें मैथिली व मिथिला के विकास का पैरोकार बताया। उन्होंने कहा कि मिथिला और मैथिली के विकास के लिए जो भी मसले उनके समक्ष ले जाये गये, वे हमेशा इसके निदान के लिए तैयार बैठे मिले। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा रामचन्द्र झा ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी अपने नाम के अनुरूप विकट आंधी-तूफान जन्य परिस्थितियों से जूझ कर देश की मान-प्रतिष्ठा तथा संस्कृति की रक्षा की। भारत मां के इस सपूत पर समस्त भारतवासियों को आज भी गर्व है।

श्रद्धांजलि सभा का संचालन करते हुए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने मिथिला मैथिली के विकास में स्व वाजपेयी के योगदानों की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्हें मिथिला-मैथिली का सच्चा हितैषी बताया। उन्होंने कहा कि अटल जी की सरकार ने करोड़ों मिथिलावासी के माँ की भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर एवं वर्षों से दो भाग में विभक्त होने का दंश झेल रहे मिथिला को एक करने का गौरवशाली उपहार प्रदान किया। अपने संबोधन में उन्होंने अटल के सपनों का मिथिला बनाने के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन को जरूरी बताया। डा टुनटुन झा अचल ने स्व वाजपेयी को भारतीय दर्शन एवं सांस्कृतिक चेतना को समर्पित व्यक्तित्व बताते हुए मिथिला को सब कुछ देने की चाहत रखने वाला महान व्यक्ति बताया।

अध्यक्षीय संबोधन में डा देव नारायण झा ने मातृभाषा मैथिली के प्रति मिथिला के लोगों में कम हो रहे भावनात्मक आकर्षण के प्रति चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि प्रतिभा के धनी इस क्षेत्र के लोगों को पढ़ाई, दवाई और कमाई के लिए आज भी पलायन करना पड़ रहा है, यह गंभीर चिंतन का विषय है। मौके पर प्रो अजीत कुमार चौधरी, डा विद्यानाथ झा, डा उषा चौधरी, विनोद कुमार झा, चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, डाॅ राम सुभाग चौधरी, प्रो उदय शंकर मिश्र, डा राजकिशोर झा, प्रो चन्द्रमोहन झा पड़वा, डा उदय कांत मिश्र आदि ने भी अपने विचार रखे। हरिश्चंद्र हरित ने स्वर्गीय वाजपेयी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर आधारित कविता पढ़ी। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने किया।

इस अवसर पर प्रो मिथिलेश कुमार मिश्र, हरिकिशोर चौधरी मामा, चन्द्र मोहन झा, डा गणेश कांत झा, चौधरी फूल कुमार राय, प्रो रामकलित झा, आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।