सूर्य सिद्धांत व मकरन्द गणित पर है आधारित

चार जुलाई से होगा आमजनों के लिए उपयोगी

विमोचन कार्यक्रम में याद किये गए पूर्व वीसी डॉ रामकरण शर्मा

#MNN@24X7 दरभंगा, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय कक्ष में आज शनिवार को विश्वविद्यालय पंचांग के 46वे अंक का विमोचन किया गया। कुलपति डॉ शशिनाथ झा की अध्यक्षता में आयोजित सादे समारोह में विमोचित वर्ष 2023-24 का पंचांग अगली चार जुलाई से आमजनों के लिए उपयोगी होगा।

इस अवसर पर कुलपति डॉ झा ने कहा कि विश्वस्तर का विश्वविद्यालय पंचांग की फिहलाल करीब 70 हजार प्रति प्रकाशित होगी जो अगले साल से बढ़कर एक लाख हो जाएगी। इसकी उपयोगिता व बाजार में मांग को देखते हुए ऐसा विचार किया गया है। उन्होंने कहा कि पुराने पंचांग में तीन जुलाई तक की ही विवरणी दी गयी है। इसलिए नया पंचांग चार जुलाई से उपयोगी हो जायेगा। कुलपति ने आज के पंचांग के लिए पूर्वकुलपति डॉ रामकरण शर्मा को याद किया एवं उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि भी दी।

उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि पंचांग के मुख्य संरक्षक पूर्व कुलपति ज्योतिषाचार्य डॉ रामचन्द्र झा ने कहा कि तत्कालीन कुलपति डॉ रामकरण शर्मा की प्रेरणा से वर्ष 1978-79 से शुरू किया गया विश्वविद्यालय पंचांग आज अपनी सारी कसौटियों पर एकदम खड़ा उतरता है। उन्होंने कहा कि पंचांग का मतलब पांच अंग होते हैं जो तिथि,दिन,नक्षत्र,योग एवं करण कहलाते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सूर्य सिद्धांत एवं मकरन्द गणित पर आधारित यह पंचांग धर्म शास्त्रीय विधान से तैयार किया जाता है । मिथिला क्षेत्र के व्रत, पर्व, त्योहार एवं रीति रिवाज को विशेष रूप से ध्यान में रखा जाता है।

वहीं प्रोवीसी डॉ सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय पंचांग से अपने विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा बढ़ती है। उन्होंने कहा कि हमारा वैदिक गणित विज्ञान से भी आगे है और इसकी गणना नासा की गणना से भी ज्यादा सटीक है। उन्होंने पंचांग तैयार करने वाली पूरी टीम को धन्यवाद दिया और पंचांग के प्रसार व प्रचार की शुभकामना दी।

इस अवसर पर मिथिला मैथिली को उचित सम्मान दिलाने के लिए झंडा बुलंद करने वाले विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ वैद्यनाथ चौधरी बैजू ने बेहद पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा कि पंचांग को देखते ही डॉ रामकरण शर्मा आँखों के आगे आ जाते हैं। कैसे विश्वविद्यालय पंचांग का सफर इस मुकाम तक पहुंचा इस पर उन्होंने बारीकी से चर्चा की। साथ ही कहा कि उक्त पंचांग से संस्कृत विश्वविद्यालय की पहचान विश्वव स्तर पर है ।

इसी क्रम में धर्मशास्त्र के प्रध्यापक डॉ दिलीप कुमार झा ने कहा कि विवाह शादी समेत अन्य शुभ मुहूर्त के लिए सबसे सटीक व विश्वसनीय पंचांग यही है। पंडित सभा मे लिए गए सामूहिक निर्णय के बाद ही इस पंचांग को तैयार किया जाता है। उधर ,पंचांग के निदेशक डॉ कुणाल झा ने कहा कि इस बार 28 अक्टूबर को चन्द्र ग्रहण लगेगा। उन्होंने कहा कि अबकी राजा बृहस्पति है और मंत्री सूर्य जो पूरे देश के लिए शुभ संकेत है।

मौके पर डॉ श्रीपति त्रिपाठी, डॉ शिवलोचन झा, डॉ दीनानाथ साह, डॉ पवन कुमार झा, डॉ दिनेश झा, डॉ सुनील कुमार झा, डॉ सुधीर झा, डॉ चन्द्रशेखर झा उर्फ बूढ़ा भाई, डॉ काशीनाथ झा, अनिल कुमार झा, सुशील कुमार झा बौआ,राजेश झा समेत अन्य कर्मी मौजूद थे।