#MNN@24X7 दरभंगा, माननीय उच्च न्यायालय के आदेश व अभिषद के निर्णय ले आलोक में वर्षो से कार्य कर रहे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को बकाया का भुगतान करने व कार्य पर वापस लाने की मांग के साथ पिछले 22 फरवरी से चल रहे अनिश्चितकालीन धरना के समर्थन में छात्र-युवा संगठन आइसा-आरवाईए ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति व कुलसचिव का पुतला दहन किया।पुतला दहन से पुर्व धरना स्थल से छात्र युवा कर्मचारी के समर्थन में नारा लगाते हुए विश्वविद्यालय मुख्यालय में मार्च करते हुए बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के प्रतिमा स्थल पर पुतला दहन किया।जिसका नेतृत्व राजू कर्ण ने किया।

पुतला दहन के बाद आयोजित सभा की अध्यक्षता संदीप कुमार ने किया। संबोधित करते हुए आरवाईए के राज्य सहसचिव संदीप कुमार चौधरी ने कहा की आज आइसा-आरवाईए ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय परिसर में विश्वविद्यालय के कुलपति- कुलसचिव का पुतला दहन किया है। आपको बता दें कि विश्वविद्यालय के धरना स्थल पर अपने वाजिब सवालों को लेकर पिछले 22 तारीख से 9 कर्मचारी धरना पर बैठे हुए हैं।उनका मांग बहुत स्पष्ट है माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर 2012 में विश्वविद्यालय के नोटिफिकेशन से वो लोग बहुत लंबे समय से विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं ।इसी दरमियान कर्मियों को पूर्व कुलसचिव डॉक्टर मुस्ताक अहमद के मौखिक आदेश पर कार्यालय में जाने से रोक दिया गया जो निंदनीय है।

आगे उन्होंने कहा की विश्वविद्यालय प्रशासन माननीय उच्च न्यायालय के आदेश व अभिषद के निर्णय का अवहेलना कर रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन की संवेदनहीनता की प्रकाष्ठा है की 9 दिन बीत जाने के बाद भी एक पदाधिकारी धरना पर बैठे कर्मियों से वार्ता तक करने नहीं आई।जिसको छात्र नौजवान बर्दास्त नही करेगी।

आइसा के जिला सचिव मयंक यादव ने कहा की विश्वविद्यालय में पदाधिकारी की चापलूसी करने वाले कर्मचारियों को ही तवज्जो दी जाती है।आज विश्वविद्यालय में शैक्षणिक माहौल को बर्बाद किया जा रहा है।

आरवाईए के राज्य परिषद सदस्य राजू कर्ण व आइसा राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रिंस कर्ण ने कहा की पूर्व कुलसचिव मुस्ताक अहमद का कार्यकाल बहुत ही भ्रष्टाचार और लूटने वाला रहा है।उन्होंने विश्वविद्यालय को बर्बाद करने का काम किया है।आगे उन्होंने कहा की विश्वविद्यालय में शैक्षणिक प्रशासनिक माहौल को बनाने में कर्मचारियों की भूमिका भी अहम होती है ।कर्मचारियों से अभिलंब वार्ता कर समस्या का निदान करे विश्वविद्यालय प्रशासन नही तो आंदोलन तेज होगा।

आंदोलन में संदीप कुमार चौधरी,मयंक कुमार यादव,राजू कर्ण,प्रिंस कर्ण,संदीप कुमार,विशाल मांझी,संतोष कुमार,मृत्युंजय कुमार मिश्रा,राहुल कुमार मिश्रा सहित अन्य लोग शामिल थे।