रितु कुमारी, प्रियंगमजी झा, मणि पुष्पक घोष तथा नीरज कुमार सिंह ने जेआरएफ कर विभाग का बढ़ाया सम्मान- डा घनश्याम।

स्नातकोत्तर करते हुए या करने के बाद जेआरएफ में उत्तीर्णता प्राध्यापक बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम- डा चौरसिया।

#MNN@24X7 ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के रितु कुमारी, प्रियंगमजी झा, मणि पुष्पक घोष तथा नीरज कुमार सिंह के हाल ही में नेट के साथ ही जेआरएफ अवार्ड प्राप्त करने पर संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो की अध्यक्षता में विभाग में एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें चारों जेआरएफ करने वाले छात्र- छात्राओं के साथ ही विभागीय प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया तथा डा ममता स्नेही, शोधार्थी एवं पूर्व जेआरएफ सदानंद विश्वास, संस्कृत- शोधार्थी रंजेश्वर झा, संस्कृत- प्रशिक्षक अमित कुमार झा, पूर्व संस्कृत संगमजी झा, शिक्षिका आरती कुमारी, योगेन्द्र पासवान तथा उदय कुमार उदेश आदि उपस्थित थे।

संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने जेआरएफ उत्तीर्ण चारों छात्र- छात्राओं का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए पुष्ष- माला पहनाया और मिठाई खिलाकर सबका हौसलाअफजाई किया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के मार्गदर्शन में कठिन परिश्रम से दरभंगा जैसे साधारण शहर में रहकर भी जेआरएफ जैसी कठिन परीक्षाओं में सफलता पाई जा सकती है। इन चार छात्र- छात्राओं का एक ही वर्ष में जेआरएफ में उत्तीर्णता प्राप्त करना न केवल विभाग, बल्कि विश्वविद्यालय के लिए भी गर्व एवं प्रसन्नता की बात है। ये छात्र- छात्राएं शेष छात्रों के लिए भी प्रेरणास्रोत बने हैं।

विभागीय शिक्षक डा आर एन चौरसिया में कार्यक्रम का संचालन एवं स्वागत करते हुए कहा कि आज का दिन पीजी संस्कृत विभाग के लिए वास्तव में ऐतिहासिक है। जब छात्र अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं तो माता- पिता के साथ ही उसके शिक्षकों को भी सर्वाधिक प्रसन्नता होती है। इससे न केवल प्राध्यापक बनना लगभग सुनिश्चित हो जाता है, बल्कि यूजीसी, नई दिल्ली द्वारा ऐसे युवाओं को शोध- कार्य के दौरान फाइनेंसियल मदद भी मिलता है।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संस्कृत- शिक्षिका डा ममता स्नेही ने कहा कि पीजी विभाग में जेआरएफ के आने से विभागीय कार्यों में काफी सहयोग मिलता है। मैं आशा करती हूं कि आने वाले समय में भी इनसे प्रेरित होकर संस्कृत विभाग से और अधिक संख्या में छात्र- छात्राएं नेट एवं जेआरएफ में उत्तीर्णता प्राप्त करेंगे।

पीजी संस्कृत विभाग से एम ए पास बेगूसराय के निवासी जेआरएफ नीरज कुमार सिंह ने अपनी सफलता हेतु शिक्षकों के मार्गदर्शन को महत्वपूर्ण बताते हुए सर्वज्ञ भूषण के निःशुल्क “संस्कृत गंगा यूट्यूब चैनल” तथा सतीश पनेरु के ‘संस्कृत विषय- अध्ययन यूट्यूब’ के नियमित अध्ययन से काफी मदद मिली है।

पीजी संस्कृत विभाग से पीएच डी कर रहे मालदा, पश्चिम बंगाल के निवासी मणि पुष्पक घोष ने बताया कि नेट के सिलेबस के एक- एक बिन्दु को ध्यान में रखते हुए मूल पुस्तकों से तैयारी कर जेआरएफ में उत्तीर्णता प्राप्त की जा सकती है। प्रथम पत्र को विशेष ध्यान में रखते हुए ग्रुप में तैयारी करना ज्यादा लाभदायक है। जेआरएफ करने से पीएच डी में काफी आर्थिक सहयोग प्राप्त होता है।

संस्कृत विभाग से ही सत्र 2020- 22 में एम ए उत्तीर्ण मधुबनी निवासी प्रियंगमजी झा ने अपनी सफलता का श्रेय माता- पिता, अग्रजों तथा गुरुजनों को देते हुए कहा कि छात्र यदि सिलेबस के एक- दो कठिन अंश को छोड़कर, बाकी सभी रुचिकर बिन्दुओं का विशेष अध्ययन करें तो भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।

स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग सत्र 2018- 20 की पूर्व छात्रा एवं जेआरएफ रितु कुमारी ने अपनी सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि सभी गुरुजनों का पूरा सहयोग मिला, परंतु ममता मैडम ने मुझे विशेष रूप से मोटिवेट किया। मैंने इसकी तैयारी ऑनलाइन माध्यम से तथा अंजना शर्मा की नेट/ जेआरएफ पुस्तक से की। पूर्व वर्षों के क्वेश्चन पेपर का अभ्यास ने मुझे परीक्षा की रणनीति को समझने में मदद किया।

इस अवसर पर सभी जेआरएफ अवार्ड प्राप्त सभी चार छात्र- छात्राओं ने पीजी संस्कृत विभाग से ही पीएच डी करने तथा आने वाले संस्कृत छात्र- छात्राओं को मार्गदर्शन देने का संकल्प व्यक्त किया।