-सदर अस्पताल में मेले का हुआ आयोजन।

-परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों के  लगाए गए स्टॉल।

-अस्पतालों में लगे मेले में  परिवार नियोजन की सामग्री बंटी।

-दो बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल रहने से जच्चा और बच्चा, दोनों स्वस्थ रहता है।

#MNN@24X7 मधुबनी, 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।  इस अवसर पर मंगलवार से स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा शुरू किया गया। जो 31 जुलाई तक मनाया जाएगा।  इस अवसर पर सदर अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों एवं एएनएम के द्वारा वाटसन स्कूल से सुबह साईकिल रैली निकाली गई। जो वाटसन स्कूल होते हुए का टाउन क्लब ,स्टेशन होते हुए सदर अस्पताल पहुंचा। रैली को सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार भीमसरिया ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

वहीं सदर अस्पताल में परिवार नियोजन मेले का भी आयोजन किया गया। परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों से संबंधित मेले का आयोजन किया गया। जिसमें नियोजन से संबंधित सामग्री कंडोम, कॉपर-टी,अंतरा, माला डी सहित अन्य साधनों के स्टाल लगाए गए तथा लाभार्थियों के बीच उचित परामर्श देकर  वितरित किए गए। विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का इस वर्ष का थीम “आजादी के अमृत महोत्सव में हम लें ये संकल्प परिवार नियोजन को बनाएंगे “रखा गया  है।

वहीं  इस दौरान एक भी इच्छुक और योग्य लाभार्थी इस पखवाड़े की सुविधा से वंचित नहीं रहें, इसको लेकर आशा के द्वारा जागरूकता फैलाई गयी है। 27 जून से 10 जुलाई तक योग्य दंपति संपर्क पखवाड़ा का आयोजन किया गया । जिसके तहत  योग्य दंपति को बंध्याकरण के लिए जागरूक किया गया। योग्य दंपति को अस्पताल लाकर बंध्याकरण कराया जाएगा।

दो बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल रहने से जच्चा और बच्चा, दोनों स्वस्थ रहता है:

सिविल सर्जन डॉ नरेश कुमार भीमसरिया ने बताया कि परिवार नियोजन पखवाड़ा के तहत जिले के एक बच्चे वाले दंपत्ति  की काउंसिलिंग की जा रही है। उन्हें दूसरे बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल रखने की सलाह दी जा रही है । दो बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल रहने से जच्चा और बच्चा, दोनों स्वस्थ रहता है। बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। भविष्य में होने वाली किसी भी तरह की बीमारी से वह लड़ने में सक्षम होता है। साथ ही नवविवाहिताओं को पहले बच्चे की योजना 20 साल के बाद ही करने की भी सलाह दी जा रही है।

महिला के मुकाबले पुरुष की नसबंदी ज्यादा आसान है:

डॉ. भीमसारिया ने बताया कि महिला के मुकाबले पुरुष की नसबंदी ज्यादा आसान है । इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। इसलिए लोग अपने अंदर से डर को निकालें और पुरुष नसबंदी के लिए आगे आएं। परिवार नियोजन के कई फायदे हैं। छोटा और सुखी परिवार रहने से न सिर्फ स्वास्थ्य बेहतर रहता है, बल्कि परिवारों को आर्थिक सुविधा भी मिलती है।

मेले में परिवार नियोजन की जागरूकता के साथ सामग्री का वितरणः

जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास ने बताया परिवार नियोजन पखवाड़ा के तहत जिले के सरकारी अस्पतालों में लगे मेले के स्टॉलों पर लोगों को परिवार नियोजन से संबंधित अस्थाई सामग्री दी गई। कंडोम, कॉपर-टी और अंतरा का वितरण किया गया। लोगों को परिवार नियोजन में इसका इस्तेमाल करने के लिए जागरूक किया गया। उन्हें समझाया गया कि इससे किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। इसलिए परिवार नियोजन को लेकर निःसंकोच इसका इस्तेमाल करें। पखवाड़ा के दौरान वैकल्पिक उपायों की भी जानकारी दी गयी। ताकि अगर कोई महिला परिवार नियोजन ऑपरेशन को अपनाने के लिए इच्छुक है किन्तु, उनका शरीर ऑपरेशन के लिए सक्षम नहीं है तो ऐसी महिला को वैकल्पिक व्यवस्था में शामिल कंडोम, काॅपर-टी, छाया, अंतरा समेत अन्य उपायों को अपना सकती हैं। वहीं, उन्होंने बताया, वैकल्पिक उपाय भी पूरी तरह सुरक्षित है।

मेले में एसीएमओ डॉ आर के सिंह,जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास, डीपीएम पंकज कुमार मिश्रा,अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद केयर इंडिया के डीटीएल  सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे।