कई टीकाकरण का काम करता है प्रथम एक घंटे के अन्दर का स्तनपान : मंत्री, समाज कल्याण।

माँ के दुध के सामान पौष्टिक दुध, किसी कम्पनी ने नहीं बनाया : डीएम।

#MNN@24X7 दरभंगा, 07 अगस्त, बहादुरपुर प्रखण्ड अन्तर्गत ओझौल पंचायत के मध्य विद्यालय, ओझौल में विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार के मंत्री मदन सहनी की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
 
इस कार्यक्रम का उद्घाटन मंत्री के कर-कमलों से दीप प्रज्जवलन कर किया गया। इस अवसर पर आई.सी.डी.एस. के निदेशक डॉ. कौशल किशोर, प्रखण्ड प्रमुख रूबि राज, ओझौल पंचायत की मुखिया निक्की कुमारी ने सहयोग प्रदान किया।
    
इस अवसर पर सात माताओं क्रमशः मीनू कुमारी, मालती देवी, नन्दनी देवी, नीतू देवी, रूपा कुमारी, सुधा देवी एवं कविता कुमारी को जिन्होंने अपने बच्चे को 06 माह से अधिक समय से सिर्फ स्तनपान के माध्यम से ही आहार दिया है, को मंत्री महोदय, निदेशक आई.सी.डी.एस.एवं उपस्थित अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया।
 
इसके साथ ही कार्यक्रम के दौरान उक्त सातों माताओं के बच्चे को मंत्री महोदय, जिलाधिकारी दरभंगा, निदेशक आई.सी.डी.एस., जिला परिषद् अध्यक्ष, जिला परिषद् उपाध्यक्ष, प्रखण्ड प्रमुख एवं मुखिया द्वारा अपने हाथों से खीर खिलाकर अन्नप्राशन् कराया गया।
 
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि कार्यक्रम में जिला की महिला जन प्रतिनिधिगण उपस्थित हैं और उन्होंने भी महिलाओं का जगाने का काम किया। उन्होंने कहा कि शिशु के जन्म के एक घंटे के अन्दर कराया गया स्तनपान अमृत के सामान होता है और यह उन सभी टीकाकरण का काम करता है, जो विभिन्न बीमारियों से लड़ने के लिए बच्चों को दिया जाता है।
 
उन्होंने कहा कि सभी तरह की बीमारियों से लड़ने के लिए अगर कोई एक टीकाकरण है, तो वह सिर्फ माँ का दुध है, इसलिए माताओं को अपने बच्चों को निश्चित रूप से स्तनपान कराना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि महिलाओं में यह भ्रम है कि ऑपरेशन के माध्यम से प्रसव होने पर ऑपरेशन के समय दिए गए इजेक्शन या दवा के कारण उनका दुध संक्रमित हो जाता है, इसके कारण वैसी माँ अपने बच्चों को शीघ्र स्तनपान नहीं कराती है, लेकिन चिकित्सा विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि प्रसव के समय दिए गए किसी भी इजेक्शन या दवा से माँ का दुध प्रभावित नहीं होता है, इसलिए माँ को अपने बच्चों को शीघ्र स्तनपान कराना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि 20-25 वर्ष पूर्व से बोतल का दूध पीलाने का प्रचलन चला, लेकिन पिछले 10 साल से पुनः माताओं में स्तनपान कराने का रूझान बढ़ा है, लेकिन अभी भी बिहार में स्तनपान कराने का प्रतिशत् मात्र 31 है।
 
उन्होंने कहा कि जन-जागरूकता के माध्यम से इसे बढ़ाकर 60 प्रतिशत् तक करने का लक्ष्य रखा गया है। भले ही यह कार्यक्रम ओझौल से प्रारंभ हुआ है, लेकिन पूरे बिहार के हर पंचायत में इसे पूरा करना है।
 
उन्होंने कहा कि इसमें हमारे सभी माताओं का सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि जिला स्तर, प्रखण्ड स्तर एवं पंचायत स्तर के सभी कार्यक्रमों/बैठकों में स्लोगन *माँ का दुध सबसे सर्वोत्तम है, शिशु के स्वास्थ्य के लिए* का प्रचार किया जाना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि जिस तरह स्वस्थ्य शरीर में स्वस्थ्य मस्तिष्क का वास होता है, उसी तरह स्वस्थ्य माता के गर्भ से ही स्वस्थ्य शिशु का जन्म होता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हम टी.एच.आर. के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को पोषाहार देते हैं, ताकि हमारी माताएं स्वस्थ्य रहें।
   
उन्होंने कहा कि आज सरकार की विभिन्न योजनाओं के कारण अधिकतर संस्थागत प्रसव कराया जा रहा है, इसलिए शिशु मृत्यु दर घटकर 27 प्रतिशत हो गया है। परिणाम स्वरूप गर्भवती माता एवं नवजात शिशु का मृत्यु दर घट गया है। पूर्व में अधिकतम प्रसव घर में होता था, जिसके कारण शिशु मृत्यु दर 42 प्रतिशत था,
 
उन्होंने कहा कि आज जब हमारे यहाँ बच्चें का जन्म होता है, तो सरकार के विभिन्न योजनाएँ, जिनसे हम उनका स्वागत करते है और कामना करते है कि हमारे सभी बच्चें स्वस्थ्य जन्म लें।
 
उन्होंने कहा कि गर्भवती माताएँ यदि स्वस्थ्य रहेंगी, तो निश्चित रूप से बच्चें भी स्वस्थ्य जन्म लेंगे और हम यह संकल्प ले कि जो भी बच्चा जन्म ले, उसे निश्चित रूप से एक घंटे के अन्दर हम माँ का दूध पिला दें। 
 
उन्होंने कहा कि माँ का दूध पिलाने से बच्चों में होने वाली बहुत सी बीमारी से बचाव हो जाता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं में भी आगे चलकर जो कई तरह की बीमारी होती है, वह स्तनपान कराने से नहीं होती है। इसके साथ ही स्तन कैंसर एवं अंडाशयी कैंसर नहीं होता है, यह चिकित्सा विज्ञान ने प्रमाणित कर दिया है। साथ ही मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप की बीमारी नहीं होती है।
 
उन्होंने कहा कि जब हम परिवार नियोजन की बात करते हैं, तो उसमें भी स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गर्भधारण देर से होता है और जो महिलाएँ स्तनपान नहीं करती है, उन्हें जल्दी गर्भ ठहर जाता है, यह जानकारी भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक जाना चाहिए।
 
इसके पूर्व जिलाधिकारी, दरभंगा राजीव रौशन ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम सचमुच ऐतिहासिक है, जिससे हम आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ्य और मजबूत बना सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आधुनिकता के दौर में कई सारे बदलाव आए हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिकता में अच्छाई भी है, लेकिन साथ-साथ बुराई भी छिपी रहती है। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए माँ का दुध अमृत के सामान है। प्रकृति ने इसे बच्चों के लिए कई बीमारियों से लड़ने के लिए बनाया है।
 
उन्होंने कहा कि हमारे बच्चें जितने अधिक स्वस्थ्य होगें, उतना ही अधिक अपने समाज और देश के विकास में वे अपना योगदान देंगे।
 
उन्होंने कहा कि आई.सी.डी.एस. गर्भवती महिलाओं व बच्चों के स्वस्थ्य रखने के लिए मुख्य रूप से काम कर रही है। आज का यह कार्यक्रम पूरे बिहार को एक संदेश देगा कि अब माताओं ने ठान लिया है कि हम अपने बच्चों को स्वस्थ्य रखेंगे और इसके लिए 06 माह तक निश्चित रूप से स्तनपान करायेंगे और बोतल के दूध से मुक्त गाँव बनाएगे।
 
उन्होंने कहा कि माँ के दुध के सामान पौष्टिक दूध किसी कम्पनी ने आज तक नहीं बनाया है। उन्होंने कहा कि बच्चा स्वस्थ्य रहता है, तो परिवार भी सुखी रहता है।
 
इस अवसर पर निदेशक, आई.सी.डी.एस. डॉ. कौशल किशोर ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि मंत्री द्वारा ओझौल पंचायत से  एक वर्ष में बोतल मुक्त दूध से मुक्त पंचायत के लिए शुभारंभ किया गया है, इसलिए सर्वप्रथम इसी पंचायत को बोतल के दूध से मुक्त पंचायत कराने की जिम्मेदारी विभाग के सभी पदाधिकारियों एवं कर्मीगण की है।
 
उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हम संकल्प लें कि बिहार के सभी पंचायतों को एक वर्ष के अन्दर बोतल के दूध से मुक्ति दिला दें, इसके लिए जन-जागरूकता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एक फैशन के रूप में बाजारवादी ताकतों ने अपने उत्पाद को बेचने के लिए बोतल के दूध का प्रचलन बढ़ा दिया, लेकिन यह माँ एवं बच्चें के स्वास्थ्य के लिए स्तनपान से बेहतर नहीं है, इस तथ्य से लोगों को जागरूक करना होगा।
 
उन्होंने कहा कि इस वर्ष कामकाजी महिलाओं के बच्चें के लिए अनुकूल वातावरण बनाना विभाग का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि जो महिला जहाँ कार्य करती है, चाहे वे कार्यालय में कार्य करती हो या मनरेगा की मजदूर हो, उनके बच्चें के लिए कार्य स्थल पर ही अनुकूल वातावरण बनाना विभाग का लक्ष्य है।
 
इस अवसर पर जिला परिषद् अध्यक्ष रेणु देवी, जिला परिषद् उपाध्यक्ष ललिता झा, प्रखण्ड प्रमुख श्रीमती रूबी राज, प्रखण्ड उप प्रमुख मनोज सिंह, ओझौल पंचायत के मुखिया श्रीमती निक्की कुमारी, यूनिसेफ की डॉक्टर शिवानी दर, पौषण अभियान के डॉक्टर मनोज कुमार ने स्तनपान के महत्व से अवगत कराते हुए नवजात शिशु को 06 माह तक सिर्फ स्तनपान से आहार देने एवं जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान कराने के महत्व एवं अनिवार्यता से सभी को अवगत कराया।

साथ ही सभी गर्भवती महिलाओं को अपने नवजात बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जन्म से 06 माह तक सिर्फ स्तनपान के माध्यम से ही आहार देने की अपील की।
 
इस कार्यक्रम का आयोजन बहादुरपुर के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी रूमा कुमारी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक श्रीमती अजमातून निशा ने किया।
 
इस अवसर पर उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (समेकित बाल विकास परियोजना) डॉ. रश्मि वर्मा, सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा सुश्री नेहा कुमारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, हायाघाट प्रभा रानी, आई.सी.डी.एस. कार्यालय के कर्मी विवेक कुमार, सुनिता कुमारी, रानी भारती, रंजिता गोयल के साथ-साथ सभी महिला पर्यवेक्षिका उपस्थित थे।