संस्कृत विश्वविद्यालय में शोकसभा आयोजित

#MNN@24X7 दरभंगा, संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ शशिनाथ झा ने कहा कि पद्म भूषण डॉ विंदेश्वर पाठक प्राच्य विषयों खासकर संस्कृत शिक्षा के बड़े हिमायती थे। पर्यावरण संरक्षा व संस्कृति की रक्षा के लिए वे हमेशा तत्पर रहते थे।

यही कारण रहा कि उन्होंने संस्कृत के गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए विश्वविद्यालय को करीब 22 लाख रुपये दान में दिया था और उसी राशि से पीजी के छात्रों को सुलभ इंटरनेशनल के नाम से छत्रवृत्ति दी भी जा रही है। डॉ पाठक के इसी 15 अगस्त को असामयिक निधन हो जाने से मर्माहत संस्कृत विश्वविद्यालय परिवार की ओर से आयोजित शोक सभा की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ झा ने यह बातें कही।
शोक प्रस्ताव प्रभारी कुलसचिव डॉ दीनानाथ साह ने पढ़ा।

उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि टॉयलेट क्रांति के जनक और सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक- सामाजिक कार्यकर्ता डॉ पाठक ‘स्वच्छता सांता क्लॉज’ के नाम से भी जाने जाते थे। सुलभ इंटरनेशनल एक सामाजिक सेवा संगठन है, जो शिक्षा के जरिए मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, वेस्ट मैनेजमेंट और सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है. डॉ पाठक को पद्म भूषण के अलावा अक्षय ऊर्जा पुरस्कार, प्रिय दर्शनी पुरस्कार, दुबई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया था।

आज की शोक सभा मे सीनेट सदस्य संजीव कुमार झा, डॉ श्रीपति त्रिपाठी, डॉ लक्ष्मीनाथ झा, डॉ पवन कुमार झा, डॉ सुनील कुमार झा, डॉ नरोत्तम मिश्रा, डॉ सुधीर कुमार झा, डॉ शैलेन्द्र मोहन झा, डॉ रेणुका सिन्हा,डॉ दयानाथ झा, बाबुकान्त झा समेत सभी कर्मी मौजूद थे। सभी ने मृतात्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन भी रखा।