#MNN@24X7 14 जून, बहादुरपुर, सीपीआई (एम) बहादुरपुर प्रखंड कमिटी की ओर से, मिर्जापुर देकुली स्थित सीपीआईएम कार्यालय प्रांगण मैं किसान,मजदूर, गरीब, दलितों के लोकप्रिय नेता पूर्व विधायक शहीद कामरेड अजीत सरकार की 25 वीं पुण्यतिथि मनायी गयी। इस अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि संकल्प सभा मैं सीपीआईएम राज्य सचिव मंडल सदस्य श्याम भारती ने माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दिया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अजित सरकार पूर्णिया शहर के चर्चित होम्योपैथ डॉक्टर के बेटे थे। उन्हें सामंती अपराधियों ने 107 गोलियां मारकर हत्या कर दी। अजित सरकार का जन्म 1947 में बिहार के पूर्णिया में हुआ था। पूर्णिया और आसपास के इलाके को सीमांचल कहते हैं। कामरेड अजीत सरकार के नेतृत्व में पूर्णिया में सामंतवाद के खिलाफ बड़ी-बड़ी लड़ाई लड़ी गई।

गरीब लोग अजित सरकार को अजित दा कहकर बुलाते थे। एक एक रुपये के सिक्के जुटाकर चुनाव लड़ने की अजित सरकार की अनोखी शैली थी।

उन्होंने आगे कहा कि कामरेड अजित सरकार के मन में बचपन से ही सामंतवाद के खिलाफ नफरत की भावना पनप गई थी। बड़े होकर अजित सरकार जुझारू मार्क्सवादी बन गए। उन्होंने जमींदारों की जमीन कब्जाकर उसे गरीबों में बांटना शुरू कर दिया। गरीब लोग अजित सरकार को अजित दा कहकर बुलाते थे। एक एक रुपये के सिक्के जुटाकर चुनाव लड़ने की अजित सरकार की अनोखी शैली थी। वह चुनाव प्रचार के नाम पर एक गमछा बिछाकर बाजार में बैठ जाते और आने जाने वालों को कहते कि वे उनके गमछे में एक रुपये का सिक्का डाल दें। एक रुपये से ज्यादा डालने की किसी को भी मनाही थी। देखते ही देखते अजित सरकार के गमछे में एक रुपये के सिक्कों का ढेर लग जाता। अजित सरकार उन सिक्कों को लेकर घर लौटते और उनकी गिनती करते। इससे अनुमान लगा लेते की कमसे कम उन्हें इतने वोट तो मिलेंगे ही।

उस दौर में बिहार की राजनीति में बंदूक और संदूक का दौर था। बंदूक यानी बाहुबल और संदूक यानी धनबल।

उन्होंने कहा कि अजित सरकार लगातार चार बार पूर्णिया से विधायक बने। उस दौर में बिहार की राजनीति में बंदूक और संदूक का दौर था। बंदूक यानी बाहुबल और संदूक यानी धनबल, यानी जिस प्रत्याशी के पास गुंडे और पैसे होते ही नेता सांसद या विधायक बनता था। बिहार की ऐसी राजनीति में अजित सरकार का उदय एक अनोखी घटना थी। अजित सरकार चार-चार बार विधायक बने।कामरेड अजित सरकार के उदय से पूरे पूर्णिया जिले के पूंजीवादी और सामंती लोग परेशान थे। 14 जून 1998 की शाम को जब पूर्णिया शहर के अंदर घूम रहे थे उसी वक्त उनकी हत्या कर दी गई।

सीपी आई एम नेता गणेश महतो ने कहा कि अजीत सरकार किसान मजदूर गरीबों के लोकप्रिय नेता थे।

कामरेड अजीत सरकार के तस्वीर पर माल्यार्पण और श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सीपी आई एम नेता गणेश महतो ने कहा कि अजीत सरकार किसान मजदूर गरीबों के लोकप्रिय नेता थे। कई एकड़ जमीन को कब्जा कर वहां के गरीब, बेघर, दलित, मजदूर लोगों को उन्होंने बसाया। लेकिन सामंत अपराधियों को यह रास नहीं आया और उनकी हत्या कर दी। हम कामरेड अजीत सरकार की शहादत और कुर्बानी को बेकार नहीं जाने देंगे। उनके सपनों को आगे बढ़ाएंगे।

श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित जिला कमेटी सदस्य सुशीला देवी, सीपीआईएम प्रखंड कमेटी सदस्य नीरज कुमार, देकुली ब्रांच सचिव हरिशंकर राम, रामसुंदर राम, मनोहर शर्मा, रूबी देवी, मुकेश कुमार आदि ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि सभा में प्रस्ताव कर भूमिहीन गरीब को जमीन पर बसाने का अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। साथ ही महागठबंधन के द्वारा केंद्र सरकार के गलत नीतियों के खिलाफ 15 जून को आयोजित बहादुरपुर प्रखंड कार्यालय पर बड़ी संख्या में चलने का आवाहन किया गया।