सी एम कॉलेज के पूर्व छात्र स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न दिया जाना कॉलेज परिवार के लिए प्रसन्नता और गर्व की बात- प्रधानाचार्य।

तेजी से बदल रहे ग्रामीण क्षेत्रों में समझ रखने वाले जुनूनी छात्र रचनात्मक बदलाव के बन सकते हैं वाहक- डा संदली।

ग्रामीण- प्रबंधन तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र, जहां युवाओं को कैरियर विकास और उन्नति के मिल रहे हैं विशेष अवसर- डा चौरसिया।

#MNN@24X7 दरभंगा, भारत गांव का देश है। छात्र अपनी अच्छी पढ़ाई से एक अच्छे नागरिक बनकर अपने परिवार, समाज तथा राष्ट्र का नाम रोशन कर सकते हैं। सबको सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती, पर वे अपनी कुशलता से जीविका का आधार पा सकते हैं। वे डिग्री के साथ- साथ अपने को काबिल बनाएं, फिर रोजगार खोजें। युवा अपने टैलेंट का उपयोग करे और अवसर पर भी नजर रखे। लोकल के लिए भोकल होना आज की जरूरत है। उक्त बातें सी एम कॉलेज, दरभंगा के प्रधानाचार्य प्रो मुश्ताक अहमद ने कॉलेज में संचालित मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केन्द्र के तत्वावधान में “ग्रामीण प्रबंधन” विषय पर आयोजित सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि 1942- 43 में सी एम कॉलेज के छात्र रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर को भारत सरकार द्वारा भारतरत्न दिया जाना कॉलेज परिवार के लिए प्रसन्नता एवं हर्ष की बात है। प्रधानाचार्य ने सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कर्पूरी ठाकुर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि वे सच्चे समाजवादी नेता थे, जिनके राजनीति से अवकाश के समय उनके खाते में मात्र 42 रुपये ही थे, न अच्छा घर और न कोई गाड़ी आदि।

मुख्य अतिथि के रूप में शिवनादर विश्वविद्यालय, दिल्ली एनसीआर की एसोसिएट प्रोफेसर डा संदनी ठाकुर ने कहा कि तेजी से बदल रहे ग्रामीण क्षेत्रों में समझ रखने वाले जुनूनी छात्र रचनात्मक बदलाव के वाहक बन सकते हैं। अब गांवों और शहरों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं रह गया है। गांव आर्थिक गतिशीलता का केन्द्र तथा बड़ा बाजार बनता जा रहा है। केन्द्र तथा प्रदेश की सरकारें ग्रामीण विकास पर काफी धनराशि खर्च कर रही है। उन्होंने ग्रामीण प्रबंधन में स्नातकोत्तर करने की योग्यता, प्रक्रिया तथा उससे रोजी- रोजगार पाने की संभावनाओं की विशेष रूप से चर्चा की।

मुख्य वक्ता के रूप में मिथिला विश्वविद्यालय के संस्कृत- प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि ग्रामीण प्रबंधन तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है, जहां युवाओं को कैरियर विकास और उन्नति के विशेष अवसर प्राप्त हो रहे हैं। वहीं इस क्षेत्र में संभावनाओं के नए-नए द्वार भी खुल रहे हैं। गांव में अब कुशल पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिनके पास अच्छा संचार कौशल, स्थानीय भाषाओं की जानकारी, तार्किक कौशल, नेतृत्व क्षमता तथा समस्याओं की समझ आदि गुण हैं।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण प्रबंधन के छात्र उपलब्ध मानवीय एवं भौतिक संसाधनों का कुशलता पूर्वक उपयोग कर उनका अधिकतम लाभ देने में सक्षम हो जाते हैं। ऐसे छात्र सरकारी विकास एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों, कॉरपोरेट क्षेत्र की सामाजिक विकास इकाइयों तथा राज्य संसाधन केन्द्रों में आसानी से रोजगार पा सकते हैं।

सेमिनार में डा अब्दुल हई, डा फैजान हैदर, डा सऊद आलम सहित 120 से भी अधिक छात्र- छात्राएं उपस्थित थे। वहीं ललिता, जयराज तथा बरकतुल्ला अंसारी ने इस आयोजन को सफल बनाने में काफी सक्रिय रहे। अतिथियों का स्वागत चादर एवं बुके से किया गया, जबकि सेमिनार की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुआ।

अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम का संचालन करते हुए कैरियर गाइडेंस सेंटर के निदेशक डा अखिलेश कुमार ‘विभु’ ने छात्रों को अपनी भविष्य के प्रति सचेत करते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांव में बसती है, जिससे जुड़कर युवा न केवल रोजगार पा सकते हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों का चहुंंमुखी विकास भी कर सकते हैं।

उन्होंने छात्रों से ग्रामीण प्रबंधन पाठ्यक्रम में नामांकन की अपील की, ताकि ग्रामीण विकास एवं परिवर्तन के लिए कुशल युवाओं की मदद से गांवों की मूलभूत समस्याओं को समझ कर उनका वास्तविक निदान किया जा सके। धन्यवाद ज्ञापन प्राक् परीक्षा प्रशिक्षण केन्द्र के निदेशक डा आलोक कुमार राय ने किया।