हज़रत सैय्यद शाह नूर अली रहमतुल्लाह अलैहे के चाहने वाले मुरिदो ने चादरपोशी कर मांगी दुआए।

#MNN@24X7 दरभंगा, रहमगंज स्थित खानकाह समरकंदिया में हज़रत सैय्यद शाह नूर अली रहमतुल्लाह अलैहे का 6 ठा एक दिवसीय उर्स मनाया गया। उर्स में दूर दराज से लेकर आसपास के इलाकों के लोगो ने पहुंचकर उर्स में भाग लिया। सोमवार की अहले सुबह बाद नमाज फजर कुरान खानी की तिलावत के साथ शुरू उर्स की शुरुआत की गई। फिर शाम में भी कुरान खानी के बाद दुआ की गई। फिर बाद नमाज मगरिब से अकीदतमंदों ने हज़रत सैय्यद शाह नूर अली रहमतुल्लाह अलैहे के मजार पर चादरपोशी कर दुआ किया।

देर शाम उर्स के महफिल का आगाज मौलाना कारी नसीम अहमद के तिलावत ए कुरान पाक के पढ़ने के साथ शुरू की गई। फिर उर्स में तकरीर व नातिया कलाम की महफिल का आगाज किया गया। जिसमें स्थानीय एवं दूसरे अन्य जगहों से भी जाने-माने और नामचीन मौलानाओं एवं शायरों ने इस उर्स में हिस्सा लेकर अपनी बेहतरीन अंदाज़ से उर्स कामयाबी दिलाया और लोगों से खूब तारीफें हासिल किया।

इस मौके पर देर रात तक चले उर्स से रूहानियत का माहौल बना रहा। उर्स में अल्लाह और उसके रसूल की बातों से लोग फायदा हासिल करते रहे। अल्लाह के बंदों को जितना हो सके नेकी व सच्ची बातो पर चलते करते हुए जिंदगी गुजारने की कोशिश करनी चाहिए ,जो रास्ता हमारे रसूल ने दिखाया है उस पर चलते हुए अपनी पूरी जिंदगी गुजारनी चाहिए।

जानकारी देते हुए खानकाह के सचिव एवं मीडिया प्रभारी नादिर खान ने बताया।उर्स के मौके पर तकरीर पेश करने वाले मौलानाओं में मौलाना अख्तर रजा मिस्बाही, मौलाना शमीम अहमद नूरी, और मौलाना मुफ्ती अब्दुल अल्लाम मिस्वाही, शामिल थे । वही नातिया कलाम पढ़ने वालों में ताहा मंजर और रियाज कादरी और अन्य शायरों की ओर से भी अपने अपने बेहतरीन नातिया कलाम पेश किए गए।

तकरीर पेश करने वाले मौलानाओं में मौलाना कारी नेसार अहमद , और मौलाना मैफील अशरफ व‌ अन्य मौलानाओं ने भी अपनी अपनी तकरीरे पेश किया। तकरीरो में लोगों से अल्लाह और रसूल के बताए हुए रास्तों पर चलने की हिदायतें दी गई और उस पर अमल करने को कहा गया। हमें दुनिया और दिन की कामयाबी के लिए हमेशा अच्छी बातें और अच्छे कामों को करते हुए अपने रब को राजी करना है। हमें अपने रब की इबादत के साथ जिंदगी गुजारनी चाहिए। सलातो सलाम के साथ फातिहा पढ़ने के बाद दुआ के साथ उर्स का समापन किया गया। उर्स के मौके पर अपनी खिदमत देने वाले रजाकारों में गुलाम मोहम्मद, डॉ गुड्डू अजहर खान, मुनाजिर हुसैन, मो आबिद, मो फिदा, मो अकबर हुसैन, मो हाशिम के अलावा और कई लोग शामिल हुए।