ऐपवा जिला कमिटी की बैठक संपन्न, लिए गए कई आंदोलनात्मक निर्णय।

#MNN@24X7 समस्तीपुर, 6 फरवरी, रसोई गैस प्रति सिलेंडर 450 रूपये तय करने, विधवा-वृद्धा-विकलांग-एकल महिलाओं को 3 हजार रूपये प्रति माह पेंशन देने, लड़कियों के लिए गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा ( पी जी तक) मुफ्त करने, महिलाओं के लिए रोजगार की गारंटी करने, हर पंचायत में सरकारी अस्पताल बनाने, आशा-ममता-आंगनबाड़-रसोईया-जीविका समेत सभी स्कीम वर्कर्स को न्यूनतम 10 हजार रूपये मानदेय देने, महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़क बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने, महिला आरक्षण कानून (ओबीसी, ईबीसी, अल्पसंख्यक, दलित महिला को विशेष आरक्षण के साथ) 2024 के चुनाव में लागू करने, समूह की सभी महिलाओं के लिए रोजगार का प्रबंध करने, महिलाओं को कर्ज के फंदे से मुक्ति की व्यवस्था करने, दहेज उत्पीड़न-अंधविश्वास-रूढ़िवाद से मुक्ति की व्यवस्था करने की मांग को लेकर 12 फरवरी को ऐपवा द्वारा पटना में मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन में जिले से बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी दिलाने का निर्णय मंगलवार को शहर के मालगोदाम चौक स्थित भाकपा माले जिला कार्यालय में ऐपवा जिला कमिटी की बैठक में लिया गया।

बैठक की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष बंदना सिंह ने किया। नीलम देवी, शिवकुमारी देवी, आरती देवी, फुलन देवी आदि बैठक में अपने-अपने विचार व्यक्त किया। बतौर अतिथि भाकपा माले जिला सचिव प्रो० उमेश कुमार बैठक में मौजूद रहे।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में जिलाध्यक्ष बंदना सिंह ने कहा कि मोदी सरकार की गारंटी में महिलाओं के न्याय और अधिकार की नहीं भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह और राम रहीम जैसे बलात्कारियों-हत्यारों के बचाव और संरक्षण की गारंटी हो रही है। सस्ती रसोई गैस की गारंटी नहीं जिसके कारण फुलवारी में गोईंठा खरीदने निकली मासूम बच्चियां बलात्कार और हत्या की शिकार बन रही हैं। महंगाई पर रोक, मुफ्त स्वास्थ्य और रोजगार की गारंटी नहीं लेकिन महंगे वंदे भारत ट्रेन की गारंटी की जा रही है। स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के नाम पर राजनीति करने की कोशिश में लगी नीतीश-मोदी की जोड़ी इस बात का जवाब क्यों नहीं देती कि लगभग 46 साल पहले कर्पूरी ठाकुर ने मैट्रिक तक शिक्षा मुफ्त कर दी थी जबकि आज सरकार के पास काफी पैसा है लेकिन उच्च शिक्षा मुफ्त करने के बदले महंगा किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख के संघर्ष को याद करते हुए हम जानते हैं कि आवाज उठाएं बगैर हमारे हक की गारंटी नहीं हो सकती। इसीलिए आइए, हजारों की संख्या में एकजुट होकर हम हर तबके की महिलाएं-लड़कियां पटना पहुंचें और सरकार के सामने अपनी आवाज बुलंद करें।