समाज के साथ तादात्म्य स्थापित कर संवेदना के साथ लोकहित का कार्य करना महत्वपूर्ण- कुलपति।

मानव जीवन में आंखों की महत्ता सर्वाधिक, सुरक्षा के लिए नियमित देखरेख तथा जांच जरूरी- कुलसचिव।

#MNN@24X7 दरभंगा। हमारे व्यवहार पर बुद्धि, कानून व समाज आदि का नियंत्रण होता है, परंतु इनमें सामाजिक नियंत्रण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। समाज के नियंत्रण से हमारे विचार व व्यवहार भी प्रभावित होते हैं। यह जितना ही नियंत्रित एवं प्रभावी होता है, व्यक्ति और समाज उतना ही बेहतर होता है। हमारे दर्शन में अंत्योदय के कल्याण की बात निहित है। समाज के साथ तादात्म्य स्थापित कर संवेदना के साथ लोकहित का कार्य करना महत्वपूर्ण होता है। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफ़ेसर एस पी सिंह ने विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रबंधन विभाग के द्वारा “नि:शुल्क नेत्र जांच सह जागरूकता शिविर” का मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन करते हुए कही।

कुलपति ने कहा कि समाज एक प्रयोगशाला है, जहां हमारा दृष्टिकोण महत्वपूर्ण होता है। समाजसेवा से स्थायी खुशी, निरंतर ऊर्जा एवं हमेशा प्रेरणा प्राप्त होती है। समाजसेवकों का यश स्थाई होता है, न कि धनाढयों का। उन्होंने आह्वान किया कि वे टीम बनाकर लोकहित व जनकल्याण के कार्यों को कर समाज को और मजबूत बनाएं। सरकारी प्रावधान के अनुसार भी सीएसआईआर में अपनी आमदनी का 2.5 प्रतिशत राशि समाज कल्याण हेतु खर्च करने का प्रावधान है।

सम्मानित अतिथि के रूप में वित्तीय परामर्श कैलाश राम ने कहा कि लगातार कंप्यूटर व मोबाइल के स्क्रीनों के उपयोग से आंखें खराब हो रही हैं। हमारी जीवन शैली एवं खानपान में बदलाव के कारण भी आंखों की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। आंखों को बचाने के लिए हमें शारीरिक क्रियाओं को ठीक करना होगा तथा आंखों को आराम व ठंडे पानी से बराबर सफाई करना जरूरी है। उन्होंने शिविर आयोजन को बड़ा सामाजिक कार्य बताते हुए आयोजकों को धन्यवाद दिया।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेशन मुश्ताक अहमद ने कहा कि मानव जीवन में आंखों की महत्ता सर्वाधिक है, जिसकी सुरक्षा के लिए उसकी नियमित देखरेख तथा जांच कराना जरूरी है। उन्होंने समाजोपयोगी कार्यक्रम आयोजन हेतु विभाग को बधाई देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय सिर्फ उच्च शिक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि समाजोपयोगी कार्यों के लिए भी जाना जाता है। आंखों की महत्ता उन्हें ज्यादा मालूम है, जिन्हें आंखें नहीं हैं। कुलसचिव ने संस्थाओं द्वारा गांव को गोद लेकर इस तरह के स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन किए जाने पर बल दिया।

एएसजी आई हॉस्पिटल, दरभंगा के चिकित्सक डा मो शाहिद मंजूर ने कहा कि आंख प्रकृति द्वारा प्रदत एक वरदान है जो हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। अंधापन का प्रारंभिक अवस्था में इलाज संभव है। आंखों की कई बीमारियां खानपान से ठीक हो सकती हैं, परंतु कुछ बीमारियां सिर्फ इलाज से ही दूर हो सकती हैं।

इस अवसर पर भौतिक विभागाध्यक्ष प्रो अरुण कुमार सिंह, संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो, विकास पदाधिकारी प्रो सुरेन्द्र कुमार, पेंशन पदाधिकारी डा सुरेश पासवान, प्रेस व मीडिया प्रभारी डा आर एन चौरसिया, विभागीय शिक्षक प्रो हरेकृष्ण सिंह व डा दिवाकर झा, डा संजय कुमार झा, डा निर्मला कुशवाहा, डा संजय ठाकुर, प्रो जीवानंद झा व सैयद मो जमाल अशरफ सहित 125 से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे।
आई हॉस्पिटल से डा मो शाहिद मंजूर के नेतृत्व में करीब एक सौ व्यक्तियों के आंखों की जांच कर उचित सलाह दी गई।

टीम में शामिल रौशन कुमार, संतोष कुमार, राजीव कुमार झा तथा मो इमत्याज आदि ने शिविर में सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया। शिविर में कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने स्वयं नेत्र जांच कराकर शिविर के द्वितीय सत्र का शुभारंभ किया, वहीं वित्तीय परामर्शी, कुलसचिव, पेंशन पदाधिकारी, प्रेस व मीडिया पदाधिकारी, विभागीय शिक्षक- शिक्षकेतर कर्मियों तथा छात्र- छात्राओं सहित करीब एक सौ व्यक्तियों ने नेत्र जांच कराकर उचित सलाह प्राप्त किया।

आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए शिविर के संयोजक सह विभागाध्यक्ष प्रो अजीत कुमार सिंह ने शिविर के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इस सफल आयोजन के लिए कुलपति, वित्तीय परामर्शी तथा कुलसचिव के उचित मार्गदर्शन एवं उपस्थिति हेतु उनके प्रति आभार व्यक्त किया तथा आई हॉस्पिटल की टीम के सदस्यों, विभागीय शिक्षकों, शिक्षकेत्तर कर्मियों, छात्र- छात्राओं व मीडिया कर्मियों आदि के प्रति आभार व्यक्त किया।

उद्घाटन सत्र का संचालन एमबीए की छात्रा शिवानी कुमारी तथा छात्र रोजिद अहमद ने संयुक्त रूप से किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन विभागीय शिक्षक डा संजय कुमार झा ने किया।