दरभंगा। राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान , मोहनपुर , दरभंगा के द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु शिविर का आयोजन किया गया प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया भारत सरकार द्वारा बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान करने वाली माताओं में पोषण के प्रति जागरूकता पैदा करने हेतु राष्ट्रीय पोषण मिशन कार्यक्रम मार्च 2018 से चलाया जा रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा पूर्व वर्षों की भांति इस वर्ष भी चतुर्थ पोषण पखवाड़ा के रूप में मनाया जा रहा है।

चतुर्थ पोषण पखवाड़ा का विषय है- आईडेंटिफिकेशन एंड सेलिब्रेशन ऑफ हेल्थी चाइल्ड। प्राचार्य ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में पोषण के प्रति अज्ञानता के कारण प्रतिवर्ष जन्म के पूर्व एवं बाद शिशु एवं माता में कई प्रकार के रोग की होने की संभावना होती है और यहां तक उनके प्राण संकट में भी पड जाते हैं। हालांकि विगत कुछ वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में भी पोषण पखवाड़ा के अंतर्गत चलाए जाए जा रहे कार्यक्रम के द्वारा जागरूकता बढ़ी है और शिशु एवं गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। आयुर्वेद में गर्भाधान से पूर्व एवं प्रसव के उपरांत आयुर्वेदिक आहार-विहार एवं गर्भवती चर्या का सविस्तार वर्णन किया गया है। प्रथम मास से लेकर नवम मास तक की अवधि में मासानुमासिक आहार-विहार का वर्णन किया गया है‌। प्रथम मास में दुग्ध प्रधान आहार का सेवन करने को कहा गया है। चतुर्थ मास में गर्भवती महिला के द्वारा इच्छित हर प्रकार के खाद्य पदार्थ एवं उसकी हर इच्छा की पूर्ति करने के लिए कहा गया है । इस माह को दोहृय काल कहा गया है ‌। गर्भवती महिला की हर इच्छा पूर्ति करने से गर्भ का समुचित विकास होता है। आयुर्वेद में वर्णित गर्भणिचर्या का समुचित पालन करने से स्वस्थ संतान का जन्म होता है एवं जन्मोपरांत उसका सर्वांगीण विकास होता है । प्रसव के उपरांत आयुर्वेदिक प्रसूता चर्या का पालन करने से प्रसूति रोग होने का खतरा नहीं रहता।

कार्यक्रम के आयोजक डॉ दिनेश कुमार ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र संख्या- 300 वार्ड संख्या- 11 ग्राम मोहनपुर में चतुर्थ पोषण पखवाड़ा के अंतर्गत स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया। कुल 35 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण एवं परामर्श दिया गया। डॉ कुमार ने बताया की ग्रामीण स्तर पर बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता शहरी बच्चों की तुलना में ज्यादा है। इसका मुख्य कारण यह है कि ग्रामीण बच्चे प्रकृति के प्रत्यक्ष सानिध्य में रहते हैं। सभी बच्चों का फेफड़ा बिल्कुल स्वस्थ रूप से पाया गया, मात्र 5 बच्चों में दंत क्रीमी पाया गया और 4 बच्चें कुपोषण ग्रसित मिले।
स्वास्थ्य परीक्षण के उपरांत बच्चों को आयुर्वेदिक दिनचर्या के बारे में व्यवहारिक रूप से ज्ञान दिया गया। बच्चों से संबंधित दिनचर्या को सहज रूप से समझाया गया। आयुर्वेद में वर्णित दिनचर्या जैसे- दंत धावन विधि, सिर में तेल लगाना , नाक- कान में तेल डालना , भोजन करने की विधि स्नान विधि , तेल की मालिश आदि को सहज रूप से बच्चों को समझाया गया ।आंगन बाड़ी सेविका पूजा ने यह जानकारी दी कि वह सभी बच्चों को दंत धावन, पोषणयुक्त आहार एवं सफाई पर विशेष ध्यान देने के लिए प्रतिदिन सुझाव देती हैं। इस कार्यक्रम हेतु प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद को उपप्रधान रंजीत यादव ने हृदय से आभार व्यक्त किया । उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम से ग्रामीण स्तर पर बच्चों, गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान करने वाली माताओं के स्वास्थ्य में सुधार होकर स्वस्थ भारत समृद्ध भारत का सपना साकार हो सकेगा। इस अवसर पर सुमित कुमार , प्रेम रंजन, अर्चना कुमारी आदि मौजूद थे।