#MNN@24X7 दरभंगा जहां कहीं स्तनपान की दर घटी वहां शिशु मृत्यु दर में वृद्धि हुई। माताओं और समाज में फैली स्तनपान संबंधी भ्रांतियों को दूर करने के लिए आवश्यक है कि यहां समय समय पर स्तनपान संबंधित जागरूकता के कार्यक्रम किए जाएं। वर्ष 1992 से विश्व स्वास्थ्य संगठन और वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग एलाइंस ( वाबा) द्वारा प्रतिवर्ष स्तनपान सप्ताह आयोजित किया जाता है। इस सप्ताह पूरे विश्व में स्तनपान संबंधी जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम है: ‘आइए स्तनपान कराएं और काम करें।’ पूरे देश में घर के बाहर कामकाजी महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसके साथ ही उनके स्तनपान की जुड़ी मुसीबतों को दूर करने के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर अनेक कार्य तेज हुए हैं, जैसे 6 माह तक वेतन के साथ स्तनपान के लिए अवकाश, कार्यस्थल पर क्रचेज की सुविधा, वर्क फ्रॉम होम के लिए विशेष अनुमति। कामकाजी महिलाओं में स्तनपान के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उन्हें स्तनपान की परिस्थितियां देने के लिए इस वर्ष विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

ये उद्गार दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ कृपा नाथ मिश्रा ने शिशु विभाग में विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।

इस कार्यक्रम में दरभंगा के उपमहापौर नाजिया हसन के साथ इंडियन एकेडमी ऑफ पेडिट्रिक्स के दरभंगा शाखा के अध्यक्ष एवं शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार, सचिव डॉक्टर सलीम अहमद, कोषाध्यक्ष डॉ अरविन्द कुमार, भूतपूर्व आइ ए पी अध्यक्ष डॉक्टर ओम प्रकाश एवं सचिव डॉ साजिद हुसैन, आइ ए पी के अनेक सदस्य, शिशु विभाग के वरीय एवं कनीय चिकित्सक, पीजी छात्र, स्टाफ नर्स, नर्सिंग छात्राओं के साथ स्तनपान कराने वाली माओं और उनके परिवार के सदस्यों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।

उपमहापौर नाजिया हसन ने माताओं से बातचीत करते हुए कहा कि स्तनपान कराने से मां और बच्चे के बीच अपनापन बढ़ता है। उन्हें 6 मांह तक अपने बच्चे को अपने दूध के अतिरिक्त पानी भी नहीं देना चाहिए। उन्हें आग्रह किया की छह मास के उपरांत घर का भोजन जरूर देना चाहिए,परंतु कम से कम 2 साल तक स्तनपान जारी रखना चाहिए।

आई ए पी के अध्यक्ष एवं शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार ने कहा की स्तनपान न सिर्फ बच्चों को स्वस्थ रखता है, बलिक माताओं में भी स्तन और ओवरी के कैंसर से बचाता है। आईएपी के उपाध्यक्ष डॉ रिजवान हैदर ने कहा की हमारे राज्य में पुर्ण स्तनपान की दर 50% से भी कम है, जिसे जागरूकता पैदा कर बढ़ाने की आवश्यकता है।स्तनपान बढ़ने से न सिर्फ बच्चों में बीमारियां कम होंगी बलिक डब्बे के दूध बनाने में जाया होने वाले समय के बचने से स्त्रियों का समय बचेगा और यह उनके उत्थान में मदद करेगा।

कार्यक्रम के दौरान नर्सिंग छात्राओं ने माताओं के बीच जाकर उन्हें स्तनपान कराने समय बच्चे को सही से पकड़ना, स्तन से चिपकाना और दूध पिलाने के सही गुर सिखाए। इस बार पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा वरीय चिकित्सक डॉ रिजवान हैदर के देखरेख में तैयार की गई है। आईएपी अध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार एवं सचिव डॉक्टर सलीम अहमद ने बताया कि स्तनपान सप्ताह का कार्यक्रम पूरे सप्ताह जारी रहेगा।समापन स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग में 7 दिसंबर को एक बड़े आयोजन के द्वारा किया जाएगा।