दरभंगा ।’अभिशप्त देवव्रत’एकटा सामाजिक नाटक थिक। जाहि मे नाटककार महाभारतक विभिन्न पात्रक माध्यम सं अनेक सामाजिक समस्या आ ओकर समाधान दिस संकेत केलनि अछि। कोना एकटा प्रतीज्ञां राष्ट्रीय हित पर भारी पड़ैत छैक संगहि ओकर निर्वाह मे ततेक समस्या उत्पन्न भ’ जाइछ जे प्रतीज्ञां एकटा हठ सन बुझाय लगैत छैक। महाभारत काल मे जेना पुत्र मोह में अयोग्य व्यक्ति कें गद्दी देबाक कुत्सित प्रयास में युद्ध आ ओकर विभीषिका उत्पन्न भ’ जाइछ। युद्धक बाद विजय आ पराजय प्राप्त केनिहार दुनू पक्ष में बहुत किछु गमाबय पड़ैत छैक। वर्तमान प्रजातांत्रिक व्यवस्था में नहसूर बनल असंतुलित आरक्षण व्यवस्था सेहो अयोग्य कें आसन देबाक आ योग्य कें कतियेबाक षडयंत्र पर नाटककार महाभारतक पात्र आ घटनाक माध्यम सं रूपक जेकां चोट केलनि अछि। आशा करैत छी जे नाटककारक पहिल नाटक दर्शक लोकनिकें नव ढंग सं सोचबाक लेल विवश करतनि।
नाटक मे भरत पुत्र सभक अछैतो राजा पद लेल प्रतियोगिता कराबय चाहैत छथि,जे ओ वंशवाद सं बाहर योग्यता कें महत्व स्वीकार करबाक उदारता एक आदर्श स्थापित करबाक चेष्टा थिक।

जाहि कथा वस्तु कें ‘द स्पौटलाइट थिएटर दरभंगा’ केर तत्वाधान मे आयोजित आठ दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव अष्टदल केर सातम दिन मोहन मुरारी लिखित आ निर्देशित नाटक *अभिशप्त देवव्रत* केर पहिल मंचन भेल। जाहि मे वन्दना, शालिनी सिमरन, सत्येन्द्र, उज्जवल,अमन,
राजेश,वारिधि, आर्यन, विशाल,अमित,
गौतम, निखिल,प्रशांत आ
सागरक अभिनय मनमोहक भेल।
एकर अतिरिक्त मंच परे मोहित, हेमेंद्र, सत्येन्द्र, पल्लवी,सत्यम, सुमित श्री, सहित सभ केओ एहि नाटकक मंचन में अपन अमूल्य सहयोग केलनि।
एकर बाद बिहार बाल भवन किलकारी केर प्रस्तुति सागर सिंह निर्देशित *प्यासा* नाटकक मंचन सेहो भेल। एकरा संगहि अष्टदलक सातम दिनक कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न भेल।