जनजागरण के लिए सात सौ किलोमीटर की पदयात्रा बुधवार से।
#MNN@24X7 दरभंगा, पृथक मिथिला राज्य के गठन की चिरप्रतीक्षित मांग एक बार फिर से जोर पकड़ने लगी है। अलग मिथिला राज्य के गठन की मांग को लेकर आम मिथिलावासी को जागरूक करने के लिए अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के तत्वावधान में 15 मार्च को किशनगंज से सात सौ किलोमीटर दूरी तक की पदयात्रा निकलेगी। मंगलवार को इस यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने श्यामा मंदिर परिसर से विदा किया।
मौके पर उन्होंने कहा कि मिथिला के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, साहित्यिक और भाषा के क्षेत्र में समग्र विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य का गठन निहायत जरूरी है। क्योंकि सांस्कृतिक संपन्नता के लिए दुनिया भर में विख्यात मिथिला आज सरकारी अपेक्षाओं के कारण लगातार आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार होने को मजबूर हो रहा है । उन्होंने कहा कि भाषा, लिपि, क्षेत्र, जनसंख्या और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सरीखे हर मानक पर खरा उतरते हुए मिथिला पूर्ण राज्य बनने का अधिकार रखता है और यह समय की मांग भी है।
पदयात्रा के संयोजक शिशिर कुमार झा ने कहा कि पृथक मिथिला राज्य के गठन सहित अन्य मांगों के समर्थन में अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति के तत्वावधान में बुधवार को किशनगंज से शुरू होने वाली इस यात्रा में मांग के समर्थन में आवाज बुलंद करने के साथ ही गांव की गलियों से लेकर शहर के चौराहों तक जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।
प्रो उदय शंकर मिश्र ने कहा कि मैथिली भाषा-साहित्य का विकास संरक्षण के अभाव में प्रभावित हो रहा है। मिथिला की अपनी सबसे पुरानी मैथिली भाषा है जिसकी अपनी लिपि मिथिलाक्षर आज भी जीवित है। बावजूद इसके मैथिली के प्रति सरकारी स्तर पर चल रहे षडयंत्र के कारण यह संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद भी राजकाज और शिक्षा की भाषा बनने से वंचित है।
रामनारायण झा ने कहा कि जब इस क्षेत्र पर बाढ़ का कहर नहीं होता तो उस समय इस क्षेत्र पर सूखे का प्रहार होता है। बावजूद इसके मिथिला सूखा और बाढ़ कि कोढ का निरंतर शिकार होता आ रहा है और इसके आस पास आंसू पोछने वाला कोई नहीं है। जहां एक और खेती चौपट हो गई है, वहीं मिथिला के मजदूर पलायन करने को विवश हो रहे हैं। रोजगार के अभाव का दंश झेलने के लिए भी यह क्षेत्र कम मजबूर नहीं हो रहा। चीनी मिल, पेपर मिल, जूट मिल आदि यहां कबार का ढेर मात्र बने हुए हैं। मिथिला की प्रतिभा रोटी के लिए विभिन्न प्रदेशों में मजदूरी करने को विवश है। इसका एकमात्र निदान पृथक मिथिला राज्य का गठन है।
विनोद कुमार झा ने मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए पृथक मिथिला राज्य के गठन को समय की मांग बताते कहा कि कोरोना संकट की घड़ी में सरकारी उपेक्षाओं के कारण लगातार आर्थिक पिछड़ेपन का शिकार होने को मजबूर हो रहे इस क्षेत्र के लोगों के घरमुँहा पलायन ने सबकी पोल खोलकर रख दी है।
डा महेन्द्र नारायण राम ने कहा कि संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित बिहार की एकमात्र भाषा मैथिली की प्रगति में सोची-समझी राजनीति के तहत बाधा उत्पन्न की जा रही है। इसे राज-काज की भाषा बनाये जाने में कोताही बरती जा रही है और मैथिली के शिक्षकों की बहाली में बार-बार अवहेलना की जा रही है।
अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सह समस्तीपुर जिला संयोजक विजय मिश्रा ने सभी मिथिला वासियों से मिथिला राज्य पद यात्रा में जाति-धर्म से ऊपर उठकर शामिल होने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि 15 मार्च से आहूत 700 किलोमीटर की पद यात्रा 70 दिनों में पूरा किया जाएगा।मौके पर आशीष चौधरी, मणिभूषण राजू, पुरुषोत्तम वत्स, राम मोहन झा,प्रकाश झा, श्याम किशोर राम, जय नारायण साह,दुर्गा नन्द झा, गिरधारी झा, मीना झा आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।