#MNN@24X7 दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलसचिव प्रोफ़ेसर मुश्ताक अहमद की अध्यक्षता में परीक्षा विभाग से संबंधित एक आकस्मिक बैठक कुलसचिव कार्यालय में हुई, जिसमें परीक्षा नियंत्रक डा आनंद मोहन मिश्र, उप परीक्षा नियंत्रक प्रथम डा नवीन कुमार सिंह तथा उप परीक्षा नियंत्रक द्वितीय डा मनोज कुमार शामिल हुए।
कुलसचिव ने प्रतिदिन आवेदन द्वारा आने वाले छात्रों की समस्याओं के त्वरित निदान हेतु यूजी तथा पीजी के लिए अलग- अलग दो काउंटर बनाने की बात की और इन काउंटरों पर छात्रों की समस्याओं की जांच हेतु उप परीक्षा नियंत्रक प्रथम एवं द्वितीय स्वयं बैठेंगे। छात्रों की समस्याओं की जांच कर त्वरित कार्यवायी की जाएगी। यदि छात्रों के आवेदन अधूरे होंगे तो इसे लेते समय ही पूर्ण आवेदन देने का सुझाव भी दिया जाएगा, ताकि उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान हो सके, क्योंकि ऐसा देखा गया है कि छात्र- छात्राओं के द्वारा अधूरे आवेदन दे दिए जाते हैं, जिससे उनकी समस्याओं के समाधान में परेशानियां होती हैं तथा उनकी समस्याओं का निदान ससमय नहीं हो पाता है।
विश्वविद्यालय में ऐसे छात्र- छात्राएं भी आते हैं, जिनका अंकपत्र उनके महाविद्यालय में भेज दिया गया है, परंतु महाविद्यालय द्वारा उन्हें नहीं दिए जाने की भी शिकायत मिल रही हैं। कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने इसे गंभीरता से लिया है और इस संबंध में सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को विश्वविद्यालय द्वारा अधिसूचित किया जा चुका है। यदि अब ऐसी शिकायतें प्राप्त होगी तो सीधे तौर पर संबंधित महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य जिम्मेवार होंगे।
आज की बैठक में परीक्षा नियंत्रक एवं उप परीक्षा नियंत्रकों के दायित्वों को भी सुनिश्चित किया गया। छात्र- छात्राओं से भी अपील की गई कि वे अपने कार्यों के लिए किसी अनधिकृत माध्यमों का सहारा न लें, क्योंकि विश्वविद्यालय उनकी समस्याओं के निदान के लिए प्रतिबद्ध है।
कुलसचिव ने बताया कि पूर्व में ही सभी प्रधानाचार्य से अपील की जा चुकी है कि वे अपने महाविद्यालय के छात्रों से आवेदन प्राप्त कर विश्वविद्यालय को शीघ्र प्रेषित करें, ताकि शीघ्र ही उनकी समस्याओं का निदान हो सके। लेकिन कतिपय महाविद्यालयों द्वारा विश्वविद्यालय के इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है, जिस कारण छात्रों को मजबूरन विश्वविद्यालय आना पड़ता है। कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह ने इसे गंभीरता से लेते हुए उन महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों से कारण पृच्छा का आदेश दिया है।