#MNN@24X7 दरभंगा। छठि पावनि छठि माय आ सूर्य भगवानक निमित्त होइत अछि। छठि माय छठिहारे दिन सँ रक्षा करब आरंभ क’ दैत छथि आ जीवन पर्यन्त जन्मदात्री माय सन्तान सभक सुख आ आरोग्यताक निमित्त ई व्रत रखैत छथि।

छठि माय भगवान कार्तिकेयक पत्नी थिकीह आ हिनक वाहन छनि। सूर्यदेव समस्त चराचरक पालनहार, ऋतुपरिवर्तनकर्त्ता आ प्रत्यक्ष देव थिकाह। हिनक सप्तरश्मि मे व्याधि केँ नाश करबाक क्षमता अछि, तेँ सूर्यक उपासना केनिहार शक्ति आ तेज सँ सम्पन्न होइत छथि। कहल जाइछ जे कृष्णक पुत्र साम्ब कुष्ठरोग सँ ग्रसित भ’ गेलाह त’ देवर्षि नारदक परामर्शानुसार सूर्यक उपासना केलनि त’ आ एहि व्याधि सँ मुक्त भेलाह।

अज्ञात वासक समय महारानी द्रौपदी सेहो छठिक व्रत कए पुनः सुख आ ऐश्वर्य केँ प्राप्त केलनि । ई सूर्योपासनाक परम्परा अपन देश मे ईशापूर्व छठम शताब्दी मे ईरान सँ आयल मग ब्राह्मण द्वारा शुरू कएल गेल छल, तत्पश्चात् कतेको ठाम सूर्य मन्दिरक निर्माण सेहो भेल। बिहारक औरंगाबाद मे स्थित देवक सूर्य मन्दिर आ बाढ़क पंडारक सूर्य मन्दिर प्रसिद्ध अछि।

देवक सूर्य मन्दिरक विषय मे कहल जाइछ जे मुगल सम्राट औरंगजेब जखन एहि मन्दिर केँ ढाहबाक लेल ओहि ठाम पहुँचल त’ पुजेगरीक द्वारा ओहि मन्दिरक गौरवगाथा सुनि ठमकि गेल आ बाजल जे यदि एहि मन्दिरक दुआरि राति भरि मे पश्चिम मुँह भ’ जायत त’ हम एकरा नहिं तोड़ब आ सैह भेल। अस्तु औरंगजेब छठिक अवसर पर आजीवन ओहि ठाम जाइत रहल। एहि मन्दिरक प्रस्तर पर उदयाचलगामी सूर्यक प्रतिमा अंकित अछि। अस्तु सूर्य देवक अराधना हमरा लोकनि केँ नित्यप्रतिक जीवन मे शामिल करबाक चाही ताकि सुख आ आरोग्यता बनल रहय।

लेखक-:
*©अखिलेश कुमार झा*
ग्राम-: ननौर
जिला-:मधुबनी
(मिथिला)