#MNN@24X7 संभल, उत्तर प्रदेश के संभल में दीपा सराय से सटे खग्गू सराय में मिले शिव मंदिर में आज मंगलवार सुबह की पहली आरती हुई।मंदिर में भक्तों ने देवाधिदेव महादेव की आरती करने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ किया। 46 साल से बंद पड़े इस पुराने शिव मंदिर को प्रशासन ने शनिवार को खुलवाया था।

जानें 46 साल पहले क्या हुआ था।

29 मार्च 1978 को याद करते ही संभल के लोग सहम जाते हैं।डिग्री कॉलेज में सदस्यता न मिलने पर मंजर शफी ने खौफनाक साजिश रची और साथियों के साथ जिले को दंगे की आग में झोंक दिया। 10-12 हिंदुओं की मौत हुई।दो महीने तक जिले में कर्फ्यू लगा रहा और 169 केस दर्ज हुए।बाद में खुफिया विभाग ने दंगे पर एक गोपनीय रिपोर्ट तैयार की।इस गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक साल 1978 में संभल नगरपालिका कार्यालय के पास महात्मा गांधी मेमोरियल डिग्री कॉलेज था। काॅलेज संविधान के अनुसार प्रबंध समिति 10 हजार रुपये दान लेकर संस्था का आजीवन सदस्य बना सकती थी।मंजर शफी कॉलेज प्रबंध समिति में आजीवन सदस्य बनना चाहते था।इस दौरान ट्रक यूनियन की तरफ से कॉलेज को 10 हजार का रुपये का चेक दिया गया।इस पर मंजर शफी के साइन थे।शफी के दावे पर ट्रक यूनियन के पदाधिकारियों ने ये लिखकर दे दिया कि उनकी ओर से किसी को इसके लिए अधिकृत नहीं किया गया है।इस पर कॉलेज की प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष (जो उस समय एसडीएम के पद भी जिले में तैनात थे) ने शफी को सदस्य नहीं बनाया।इसके बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ।

ऐसे शुरू हुआ दंगा।

25 मार्च को होली के समय दो स्थानों पर दोनों संप्रदायों में तनाव फैल गया।एक होली जलने के स्थान पर खोखा बना लिया गया तो दूसरी जगह चबूतरा बना लिया गया।फिर किसी तरह बातचीत कर मामला संभला।फिर 28 मार्च को कॉलेज में स्टूडेंट्स को उपाधि दी जानी थी। उसी दिन कुछ मुस्लिम छात्राएं प्राचार्य से मिलीं और उपाधियों को आपत्तिजनक बताया।मामला बढ़ा तो फिर 29 मार्च को घेराव हुआ और इसमें अराजक तत्व शामिल हो गए।मंजर शफी भी पहुंचे। अचानक दुकानें बंद कराई जाने लगीं,अफवाह फैली कि मंजर शफी को मार दिया गया है,मस्जिद तोड़ी जा रही है और फिर दंगा फैल गया।दंगे की वजह से इस मुस्लिम बाहुल्य इलाके से हिंदू परिवार पलायन करने लगे।औने-पौने दामों में मकान बेचने लगे।आजादी के बाद संभल 16 बार दंगों की आग में झुलस चुका है।

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