#MNN@24X7 दरभंगा, कृषि विज्ञान केंद्र जाले में दो दिवसीय कृषक वैज्ञानिक वार्ता का आयोजन आत्मा दरभंगा के वित्तीय सहयोग से किया गया। ज्ञात हो की आत्मा के द्वारा प्रतिवर्ष दो कृषक वैज्ञानिक वार्ता का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र में कराया जाता है। जिसमें विभिन्न प्रखंडों के प्रगतिशील कृषक जिले के कृषि की चुनौतियों की वैज्ञानिकों के साथ परीचर्चा करते हैं।

इस वित्तीय वर्ष में आयोजित इस प्रथम कृषक वैज्ञानिक वार्ता कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने बताया कि इस कार्यक्रम में दरभंगा जिले के आठ प्रखंडों के प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया तथा जलवायु परिवर्तन के इस दौर में खरीफ एवं रबी फसलों के उत्पादन में आ रही चुनौतियों पर विचारविमर्श किया गया कार्यक्रम में भाग ले रहे किसानों ने बताया जलवायु में बदलाव के कारण किसानों को पूर्व में संस्तुत फसल अवधि में फसल लगाना सबसे बड़ी चुनौती है तथा जो कृषक समय पर फसल की बुवाई कर भी लेते हैं उनके लिए फसल को बचाए रखना बड़ी चुनौती है।

वही रवि फसलों की उत्पादकता तापमान वृद्धि के कारण प्रभावित हो रही है। खेती की लागत नित बढ़ रही है नित्य नए रोग व्याधि और खरपतवार का प्रकोप बढ़ रहा है किसानो की समस्या को सुन केंद्र के वैज्ञानिक गणों ने किसानों को जलवायु अनुकूल खेती का सुझाव दिया तथा राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा दरभंगा जिले में संचालित परियोजना के अनुभवों को किसानों के साथ साझा किया।

कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डा दिव्यांशु ने खरीफ में धान की सीधी बुवाई वही रवि फसलों में शून्य जुताई विधि से विभिन्न फसलों को लगाने का सुझाव दिया उन्होंने किसानों से यथासंभव मध्यम अवधि के फसल प्रभेदो को चयन करने का सुझाव दिया उन्होंने एक फसल की जगह पर मिश्रित खेती करने की आवश्यकता बताई जिससे कि किसने की जलवायु के कारण हो रहे छाती को कम किया जा सके।

वहीं कीट वैज्ञानिक डॉ कुणाल ने किसानों से समेकित पोषक तत्व प्रबंधन एवं समेकित कीट प्रबंधन को अपनाने का सुझाव दिया तथा अच्छी उत्पादकता प्राप्त करने के लिए खरपतवार नियंत्रण पर विशेष जोर देने का सुझाव दिया विज्ञानी पूजा कुमारी ने किसानों को प्राकृतिक खेती करने के गुर बताएं वहीं इंजीनियर अंजलि सुधाकर ने किसानों को कृषि में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने पर बल दिया मत्स्य वैज्ञानिक डॉ जगपाल ने किसानों से समेकित फसल प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के सभी वैज्ञानिक ब कर्मी मौजूद थे।