#MNN@24X7 कोलकाता, रवींद्र सदन नंदनकानन के प्रांगण में मैथिली संस्था “आकाश तारक वैसकी” का आयोजन 10 म वर्ष पूरा होने पर हुआ, इस कार्यक्रम की अध्यक्षता दरभंगा से आए हुए प्रखर मैथिली मिथिला आंदोलनी प्रोफेसर उदय शंकर मिश्रा ने किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा की साहित्य और संस्कृति का विकास राजाश्रय के बगैर संभव नहीं है। मिथिला राज्य की स्थापना जब होगी तभी साहित्य और भाषा का समुचित विकास होगा और महाकवि विद्यापति से लेकर बड़े-बड़े कवियों और साहित्यकारों की पांडुलिपि जो चोरी हो रही है वह बिहार की मागधी सत्ता और मानसिकता के लोग उसमें शामिल होकर इसको बर्बाद कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आप लोग पलायन के कारण कोलकाता प्रवास में आए और पलायन का कारण था मिथिला की गरीबी उसमें भी अंग्रेजों के समय में जो चीनी मिल जूट मिल पेपर मिल आदि आदि जो रोजगार के कारण थे उन्हें 1990 के आने के बाद की सरकार ने समाप्त कर दिया। आज सरकार कहती है मिथिला के विकास के बगैर बिहार का विकास नहीं हो सकता। मिथिला के दो तिहाई लोगों का पलायन हो चुका। पलायन का एक मात्र समाधान मिथिला राज्य।

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्री उमाकांत झा बक्शी एवं रत्नेश्वर झा रूपेश ट्रुथ हिमाद्री कृष्णकांत जी भोली बाबा समेत दर्जनों साहित्यकार एक से एक बढ़कर अपनी कविताओं का गायन किया और वर्तमान की समस्या की चर्चा की और साथ ही उसके समाधान बात रखी।