रांची।झारखंड की राजधानी रांची की अंतर्राष्ट्रीय महिला फुटबाल खिलाड़ी अंशु कच्छप के हौसले और संघर्ष से तूफानी बालरों की लाइन और लेंथ की धज्जियां उड़ाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी बहुत प्रभावित हैं।बीते दिनों यूनिसेफ द्वारा आयोजित कार्यक्रम के तहत ओरमांझी प्रखंड के इरबा पाहन टोली की 24 वर्षीय अंशु कच्छप को सचिन तेंदुलकर से आनलाइन बात की।

अंशु के प्रयासों की सचिन ने जमकर तारीफ की।सचिन ने कहा कि हमेशा संघर्षों से तप कर निकले लोग बहुत ऊंचाई पर जाते हैं।तुम्हारी कहानी दूसरों को भी संघर्ष के लिए प्रेरित करेगी।सचिन ने अंशु से कहा कि वह चुनौतियों से कभी हार नहीं माने और अपने लक्ष्य को पूरा करे। सचिन ने कहा कि अगर जीवन में सफल होना है तो खुद को फिट बनाए रखना भी बहुत जरूरी है। इसलिए फिट रहें।इस दौरान तेंदुलकर ने अपना अनुभव भी साझा किया।

भाग्यशाली हूं कि सचिन तेंदुलकर से बात करने का मौका मिला।

अंशु कच्छप ने बताया कि वह बहुत भाग्यशाली है कि उसे महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर से बात करने का मौका मिला। सचिन ने उससे फुटबाल करियर के साथ साथ संघर्ष की कहानी के बारे में पूछा। साथ ही मैने खुद को कैसे फिट रखा, इसकी भी जानकारी ली। मैने जब बताया कि कोरोना काल में जब सारी खेल गतिविधियां बंद थीं, तब घर के बगल में एक छोटे से मैदान में अकेल घंटों अभ्यास कर खुद को फिट रखने का प्रयास करती थी तो वह प्रभावित हुए। मेरे इस प्रयास को उन्होंने सराहा तथा आगे भी फुटबाल में बेहतर करने की शुभकामना दी।

जब बेहतर प्रदर्शन करते हैं तो लोगों की अपेक्षाएं बढ़ जाती: सचिन।

अंशु ने कहा कि मैने भी सचिन तेंदुलकर से प्रश्न किए और पूछा जब आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते थे तब पूरा देश आपसे अपेक्षा करता था कि आप जीत की गारंटी हैं। उस स्तर पर ये दबाव आप कैसे संभालते थे। सचिन ने जबाव दिया कि पहले मैने अपने आप को उस स्तर तक पहुंचने के लिए जमकर परिश्रम किया और मैदान में बेहतर खेल दिखाया। आप जब लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप प्रदर्शन करते हैं तब उनकी अपेक्षाएं बढ़ जाती है। फिर आप हर हालात का सामना करने में सक्षम हो जाते हैं। अपने लंबे क्रिकेट करियर के संबंध में कहा कि फिटनेस और प्रदर्शन यह दो चीजें हैं जो आपके खेल के करियर को लंबा करती हैं। अगर आप भी यह करने में सक्षम हैं तो आपका करियर भी लंबा होगा।

अंशु को कदम-कदम पर करना पड़ा संघर्ष,छेड़खानी भी हुई।

आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय महिला फुटबाल खिलाड़ी अंशु कच्छप ने फुटबाल खेलने की शुरुआत 2013 में की थी। परिवार से सहयोग न मिलने के बाद भी अंशु ने खेलना जारी रखा। शुरुआती दौर में अंशु को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।गांव में छोटे कपड़े पहन कर फुटबाल खेलने की मनाही थी।लड़के फब्तियां कसते थे,मैदान में शर्ट पहनकर खेलने आते-जाते समय कई बार छेडख़ानी का भी सामना करना पड़ा।कभी-कभी तो जानबूझकर गांव के मनचले मैदान में ही डेरा जमा लेते थे और परेशान करते थे।अंशु ने उनका डटकर मुकाबला किया और ना तो उनसे कभी डरी ना ही हार मानी। अंशु खुद खेलने के साथ ही आसपास के गांवों के लगभग 160 बच्चों को फुटबाल का प्रशिक्षण दे रही हैं।शाम चार बजे से लेकर छह बजे तक गांव के ही एक छोटे से मैदान में अंशु बच्चों, खासकर लड़कियों को फुटबाल की ट्रेनिंग देती है।

मैं गलत तत्वों का विरोध करते हुए फुटबाल खेलती रही : अंशु।

अंशु ने कहा कि वह गलत तत्वों का विरोध करते हुए फुटबाल खेलती रही।कई लोगों का साथ मिला।अंशु का कहना है कि सरकार से अगर मदद मिले तो वह और बेहतर तरीके से खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देकर उनके आगे बढऩे में मददगार बन सकती है। खिलाडिय़ों को जर्सी, बूट और पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है। कहीं से कोई मदद नहीं मिलने से यह सब पूरा नहीं हो पाता है।अंशु ने बताया कि फुटबाल प्रशिक्षक आनंद प्रसाद गोप इस काम में उसकी भरपूर मदद करते हैं।

जानें अंशु कच्छप की उपलब्धियां।

2018 में भारतीय महिला फुटबाल टीम के साथ इंगलैंड में खेली।

2019 में डेनमार्क में आयोजित डाना कप की विजेती भारतीय टीम की सदस्य रही।

अंशु आल इंडिया फुटबाल फेडरेशन से संबंधित डी लाइसेंसधारी फुटबाल कोच है।

अंशु जूनियर से लेकर सीनियर वर्ग तक के खेलों में झारखंड का प्रतिनिधित्व कर चुकी है।

(सौ स्वराज सवेरा)