#MNN@24X7 दरभंगा, 15 नवम्बर। मुख्य सचिव, बिहार श्री आमिर सुबाहनी की अध्यक्षता में सूबे के अति कुपोषित बच्चों को कुपोषण के दायरे से निकालकर उन्हें स्वस्थ्य करने के लिए पूर्णियाँ जिला द्वारा बनाये गए मॉडल को बिहार के दरभंगा सहित ग्यारह जिले में क्रियान्वयन करवाने हेतु संबंधित विभाग एवं जिलाधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गयी।
बैठक में बताया गया कि कुपोषित बच्चों को दो वर्ग में विभाजित किया जा सकता है, एक अति कुपोषित और दूसरा गंभीर रूप से अति कुपोषित।
मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (जीविका), बिहार श्री राहुल कुमार ने पावर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बिहार के विभिन्न जिलों के स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि जन्म के शुरूआती दो-तीन महीने से पाँच वर्ष तक यदि गंभीर रूप से कुपोषित बच्चें को पोषक/दवा देने पर उसे कुपोषण के दायरे से बाहर निकाला जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पूर्णियाँ जिला में इसका बेहतर प्रयोग किया गया है। इसके लिए सबसे पहले वैसे बच्चों की पहचान कर ली जाए तथा स्वास्थ्य विभाग, बाल विकास परियोजना एवं जीविका के द्वारा संयुक्त रूप से अभियान चलाकर उन बच्चों को कुपोषण के दायरे से निकाला जाए।
उन्होंने कहा कि इसके लिए माता एवं शिशु दोनों की निगरानी एवं अनुश्रवण आवश्यक है। नवजात शिशु को कम से कम छः माह तक माँ का दूध मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक संवर्धन एप भी बनाया गया है। सर्वप्रथम उनका वजन एवं लम्बाई की माप कर पता लगाया जा सकता है, कि उनकी स्वास्थ्य की स्थिति क्या है। इसके उपरान्त स्वास्थ्य जाँच तथा सामुदायिक जागरूकता के माध्यम से उनके स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ऐसे गंभीर रूप से अति कुपोषित बच्चों को एमोक्सीलीन, फौलिक एडिट, आई.एफ.एस. सीरफ, जिंग, विटामिन – ए एवं मल्टीविटामिन दिया जाना आवश्यक है। 16 सप्ताह का प्रोटोकॉल कार्यक्रम बनाया गया है। 16 सप्ताह तक उनकी देखभाल तथा पोषक तत्व प्रदान करने पर वे कुपोषण के दायरे से बाहर निकाले जा सकते है।
मुख्य सचिव ने कहा कि इसके लिए जिला स्तर पर आवश्यक दवाएँ एवं उपकरण का क्रय जिला स्वास्थ्य समिति की निधि से किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सभी जिले के पोषण पुनर्वास केन्द्र (एन.आर.सी.) को सुढृढ़ बनाया जाए, वहाँ यदि आवश्यक उपकरण की आवश्यकता हो, तो उसे राज्य स्वास्थ्य समिति आपूर्ति करें तथा पोषण पुनर्वास केन्द्र (एन.आर.सी.) को एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध रहें, ताकि जरूरत पड़ने पर गंभीर रूप से कुपोषित शिशु को पोषण पुनर्वास केन्द्र (एन.आर.सी.) लाया जा सके।
उन्होंने कहा कि इसके लिए संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाए तथा भी.एच.एस.एन.डी. का भी उपयोग किया जाए।
बैठक में वरीय पदाधिकारी आर.के. महाजन, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग प्रत्यय अमृत, अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग बिहार दीपक कुमार सिंह, कार्यकारी निदेशक स्वास्थ्य विभाग संजय सिंह उपस्थित थे तथा दरभंगा, सीतामढ़ी, अररिया, वैशाली, शेखपुरा, गोपालगंज, किशनगंज, कटिहार, पूर्णियाँ, बेगुसराय एवं गया जिला के जिलाधिकारी एवं संबंधित पदाधिकरी ऑनलाईन शामिल रहें।
एन.आई.सी., दरभंगा से ऑनलाईन उपस्थित जिलाधिकारी, दरभंगा राजीव रौशन ने बताया कि जिले के कुपोषित बच्चों को कैम्प मॉड में चिन्ह्ति कर उन्हें कुपोषण के दायरे से बाहर निकाला जाएगा तथा जिले में इस कार्यक्रम को शत-प्रतिशत सफल बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पूर्व में भी उनके द्वारा सभी बाल विकास महिला पर्यवेक्षिका को अपने साथ भार मापक मशीन के साथ आँगनवाड़ी केन्द्रों पर जाकर अपनी उपस्थिति में बच्चों का वजन लेने का निर्देश दिया गया था, जो शत-प्रतिशत सफल रहा। इसे और भी विस्तृत रूप से क्रियान्वित करवाया जाएगा।
दरभंगा एन.आई.सी. से उप विकास आयुक्त अमृषा बैंस, उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी डॉ. रश्मि वर्मा, केयर इण्डिया की जिला समन्वयक डॉ. श्रद्धा झा उपस्थित थे।
15 Nov 2022