अधीक्षक ने डीएमसीएच ओपीडी में नी क्लीनिक का किया उदघाटन
घुटने रोग से ग्रसित मरीजों का बेहतर रूप से किया जायेगा उपचार
दरभंगा. 25 फरवरी. डीएमसीएच अधीक्षक डॉ हरिशंकर मिश्रा ने ओपीडी में शुक्रवार को नी क्लीनिक का उदघाटन किया. घुटने से ग्रसित रोगियों को अब बेहतर परामर्श व चिकित्सा की जायेगी. विदित हो कि ओपीडी में रोजाना ऑर्थो से ग्रसित रोगियों की भीड़ रहती है. उसमें घुटने रोग से ग्रसित रोगी भी शामिल हैं. भीड़ के कारण उनका बेहतर उपचार नहीं हो पाता था, लेकिन अब उनको नी क्लीनिक में अलग से चिकित्सकीय परामर्श व उपचार किया जायेगा. इसकी शुरूआत आज से की गयी है. मालूम हो कि ओपीडी में पहले से ही ऑर्थो विभाग संचालित है. पहले घुटने रोग से ग्रसित रोगियों के लिये अलग चिकित्सा मुहैया नहीं करायी जाती थी. सामान्य रूप से दवा व परामर्श देकर घर भेज दिया जाता था, लेकिन अब उन मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिये नी क्लीनिक की शुरूआत की गयी है. विभागाध्यक्ष डॉ एसएन सर्राफ के अनुसार रोजाना ओपीडी में आने वाले 40 प्रतिशत मरीज घुटने रोग से ग्रसित होते है. अब उनको बेहतर चिकित्सकीय व्यवस्था उपलब्ध कराया जायेगा. यहां उनको आवश्यक्तानुसार दवा, व्यायायम के अतिरिक्त घुटना प्रत्यारोपण की सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा, ताकि अधिक से अधिक घुटना रोगियों को उपचार डीएमसीएच में ही किया जा सके. उनको बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. डॉ सर्राफ ने कहा कि सफलता पूर्वक प्रक्रिया होने के बाद आगे अस्पताल प्रशासन के सहयोग से स्पाइन रोगियों के ट्रीटमेंट की व्यवस्था करने की कोशिश की जायेगी.
युवाओ में भी ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या
ऑर्थो विभाग के अध्यक्ष डॉ सर्राफ ने बताया कि घुटना संबंधित शारीरिक समस्या पहले अधिक उम्र के लोगों को होती थी, लेकिन अब हर उम्र के लोगों को भी यह समस्या हो रही है. युवा वर्ग के लोग भी इस रोग से ग्रसित हो रहे है. कहा कि सबसे अधिक ऑस्टियोआर्थराइटिस का मामला सामने आता है. इसमें जोड़ों में दर्द और जकड़न पैदा करने वाली बीमारी है. अगर समय रहते यह रोग पकड़ में आ जाए तो व्यायाम समेत अनेक उपायों के जरिए इसे बढ़ने से रोका जा सकता है. यह रोग मुख्यत: जोड़ों की हड्डियों के बीच रहने वाली आर्टिकुलर कार्टिलेज को नुकसान पहुंचाता है.
आयुष्मान भारत योजना में टॉप पर रहेगा जिला
अधीक्षक डॉ एचएस मिश्रा ने कहा कि जिला में करीब 60 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं. आर्थिक रूप से विपन्न अधिकांश लोगों को घुटना रोग के उपचार के लिये लोग बाहर जाना पड़ता है. इसमें अपेक्षाकृत अधिक खर्चा होता है, लेकिन अब नी क्लीनिक की शुरूआत से मरीजों को बेहतर चिकित्सा दी जायेगी. खासकर गरीब लोगों को अधिक से अधिक लोगों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिले, ताकि जिला का स्थान टॉप पर पहुंच सके. और उनको घुटना रोग के उपचार के लिये बाहर नहीं जाना पड़े. इस कारण इस क्लीनिक की शुरूअता की गयी है.