अब आशा व आशा फैसिलिटेटर ने निकाला ऐक्टू के बैनर से विजय जुलूस।
पारितोषिक को मानदेय में बदलना ऐतिहासिक हड़ताल की बड़ी जीत- आशा संयुक्त संघर्ष मंच।
अब आशा व आशा फैसिलिटेटर भी राज्य सरकार की मानदेय कर्मी-देवेन्द्र।
मासिक मानदेय में अपेक्षा के अनुकूल बदलाव नहीं- सविता कुमारी।
पटना की जीत हमारी है,अब दिल्ली की बारी है- डॉ उमेश।
बकाया,ड्रेस सहित अन्य मांगों पर सकारात्मक निर्णय,सामूहिक व व्यापक विमर्श के बाद हड़ताल समाप्त करने की घोषणा- संयोगिता चौधरी।
#MNN@24X7 दरभंगा 12 अगस्त 23, बिहार की करीब एक लाख आशा कार्यकर्त्ता एवं आशा फैसिलिटेटर 12 जुलाई से अर्थात एक माह से अधिक समय से अपनी 9 सूत्री माँगों की पूर्ति को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रही थी। हड़ताल की 9 सूत्री मांगों में खासकर पारितोषिक शब्द को बदलकर मासिक मानदेय करना, मानदेय राशि 1000 रु० प्रति माह को बढ़ाकर 10 हजार रु० प्रति माह करना, अश्विन पोर्टल लागू होने के पूर्व व बाद के सभी बकाया का भुगतान करना सहित अन्य मांग शामिल था।
इन मांगों पर विस्तृत वार्ता के बाद आज दरभंगा में विजय जुलूस निकाल कर एक दूसरे को मिठाई खिलाकर महागठबंधन सरकार को बधाई दिया। विजय जुलूस दरभंगा रोटरी क्लब से चलकर समाहरणालय होते हुए लहेरियासराय टावर पहुंचकर विजय सभा मे तब्दील हो गया। जुलूस का नेतृत्व बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता(गोपगुट) के जिलाध्यक्ष सविता कुमारी, संयोगिता चौधरी, रंजू झा, अंजू देवी, ऐक्टू के जिला प्रभारी डॉ उमेश प्रसाद साह एवं खेग्रामस राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह आंदोलन के नेता देवेन्द्र कुमार ने किया।
इस मौके पर विजय सभा को सम्बोधित करते हुए खेग्रामस राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह आंदोलन के नेता देवेन्द्र कुमार ने कहा कि पिछले हड़ताल में तत्कालीन भाजपाई स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय द्वारा मासिक मानदेय का वादा कर आशाकर्मियों को धोखा देकर छलपूर्वक मानदेय शब्द को बदलकर पारितोषिक कर दिया था। सम्पन्न वार्ता में पारितोषिक शब्द को पलटते हुए महागठबंधन सरकार मासिक मानदेय करने पर सहमत हो गयी है । आशा संयुक्त संघर्ष मंच का स्पष्ट तौर से मानना है कि पारितोषिक को मानदेय में बदलना बिहार के लाखों आशा व फैसिलिटेटरों के ऐतिहासिक हड़ताल की बड़ी जीत है।
ऐक्टू के जिला प्रभारी डॉ उमेश प्रसाद साह ने कहा कि अब आशा व आशा फैसिलिटेटर भी राज्य सरकार की मानदेय कर्मी हो गयी है, मानदेय कर्मी कहलाना बिहार के एक लाख आशकर्मियों के स्वाभिमान और उनकी मर्यादा से जुड़ी बात है। क्योंकि कड़ी मेहनत करने वाली एक लाख कामकाजी महिला आशा को मानदेय कर्मी से भी कमतर समझा जाता रहा है।
आशा संयुक्त संघर्ष मंच के नेत्री संयोगिता चौधरी ने कहा कि वार्ता में आशाओं को रिटायरमेंट बेनिफिट और रिटायरमेंट उम्र 60 से बढाकर 65 वर्ष करने पर सरकार विचार करेगी।
बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता(गोपगुट) के जिलाध्यक्ष सविता कुमारी ने कहा कि मासिक मानदेय में आशाओं की अपेक्षा के अनुरूप सरकार ने बदलाव नहीं किया है, आशा व आशा फैसिलिटेटरों को भुगतान हो रहे प्रति माह एक हजार राशि के अतिरिक्त डेढ़ हजार रु० प्रति माह का बढ़ोतरी करने पर सहमती बन गयी है।अब प्रतिमाह कुल 2500 रुपया मासिक मानदेय के तौर पर बिहार सरकार अपने खजाने से देगी।
बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता(गोपगुट) के नेत्री रंजू झा ने बताया की पटना की जीत हमारी है अब दिल्ली के मोदी सरकार की बारी है ,नेताओं ने कहा कि आशा हड़ताल की 9 सूत्री मांगों में केंद्र की मोदी सरकार से आशाकर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने तथा इंसेंटिव राशि मे कम से कम 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने जैसी महत्वपूर्ण मांग भी शामिल है, सम्पन्न वार्ता में बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री की ओर से एक प्रस्ताव व अनुशंषा से सम्बंधित पत्र केंद्र की मोदी सरकार को भेजे जाने पर सहमति बनी है।
नेताओं ने बताया कि एनएचएम के तहत संचालित आशा के प्रत्येक काम का दाम (इंटेंसिव) का निर्धारण वर्ष 2005 में पूरे देश मे आशा का काम शुरू होने के समय ही किया गया था । जसके बाद मोदी सरकार के 9 वर्ष साशन सहित कुल 17 वर्षों में इनके इंसेंटिव राशि मे एक बार भी ठोस पुनरीक्षण नहीं किया गया है जिसका नतीजा है कि बिहार सहित देशभर में कार्यरत लगभग 10 लाख से अधिक कामकाजी महिला आशा वर्कर आज भी 2005 के निर्धारित दर पर काम करने को अभिशप्त है।
नेताओं ने कहा कि हमारे प्यारे भारत देश के महान लोकतंत्र और 9 वर्षीय तथाकथिक राष्ट्रवादी मोदी सरकार के लिए इससे बड़े शर्म की और कोई बात नहीं हो सकती है। विजय सभा को विजयलक्ष्मी कुमारी, भाकपा(माले) नेता विनोद सिंह, प्रिंस कर्ण, अवधेश सिंह, रानी कुमारी, पूनम कुमारी, शोभा कुमारी, रंजना देवी, सहित दर्जनों आशा ने सम्बोधित किया।