मिथिला विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के हक–अधिकार का हनन कर रहा है विश्वविद्यालय प्रशासन – मयंक कुमार, जिला सचिव आइसा (दरभंगा)।
#MNN@24X7 दरभंगा मिथिला विश्वविद्यालय के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के मानदेय के संबंध में न्यायालय से निर्णय आ जाने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन की अनदेखी और घनघोर उपेक्षा के कारण मानदेय से वंचित विश्वविद्यालय के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी विगत 14 नवंबर से ही आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। अबतक विवि प्रशासन की ओर से वार्ता का कोई प्रयास नहीं किया गया है। कर्मचारियों के हड़ताल का संज्ञान लेते हुए आइसा दरभंगा ने धरना स्थल पर पहुंचकर कर्मचारियों की मांगों को सुना और विवि प्रशासन की कार्य नीति पर सवाल उठाया है।
आइसा के जिला सचिव मयंक कुमार ने इस संबंध में कहा कि यदि मानदेय के मामले में कोई समस्या आ रही थी तो उसका निदान न्यायालय ने इस वर्ष 18 मार्च को ही अपना निर्णय देकर कर दिया था। पिछेल 7–8 महीने से मिथिला विश्वविद्यालय प्रशासन ने न्यायलय के आदेश को अवहेलित कर रखा है। क्या विवि प्रशासन के लोग विधि–व्यवस्था से ऊपर हैं? विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले में बेहद संवेदनहीनता दिखाई है। पिछले 5–6 दिनों से कर्मचारी अनशन पर हैं लेकिन इनकी तरफ से कोई देखने तक नहीं गया है। यह विवि में बढ़ रहे अफसरशाही को समझने के लिए काफी है। कुलपति की चुप्पी गलत संदेश दे रही है। उन्हें इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़नी होगी। यह मामला न्यायालय के आदेश के उल्लंघन का तो है ही कर्मचारियों के मानवाधिकारों का भी यह स्पष्ट हनन है। यदि कर्मचारियों से वार्ता कर मानदेय का भुगतान अविलंब नहीं किया जाता है तो आइसा कर्मचारी आंदोलन को आगे बढ़ाएगा!
आइसा नेता विपिन कुमार ने कहा कि एसी कमरों में बैठे विवि प्रशासन के पदाधिकारियों को समझना होगा कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के भी परिवार हैं, बाल–बच्चे हैं। एक कर्मचारी के वेतन पर पूरा परिवार निर्भर करता है। चरम महंगाई के इस दौर में वेतन रोकना तो शोषण है।