‘पग पग पोखरि माछ मखान,
सरस बोल मुस्की मुख पान।
विद्या वैभव शान्ति प्रतीक,
ललित नगर दरभंगा थीक’।
#MNN@24X7 एहि पांतिसँ लोकप्रियता आ ख्याति प्राप्त केनिहार, मैथिली साहित्यक महान पुरोधा, आचार्य सोमदेवक निधनसँ मिथिला आइ मर्माहत अछि। हिनक जन्म दरभंगा जिलाक विरौल प्रखंडक जयंतीपुर दाथ गाम,नेउरी टोलमे भेल छलनि। ओना हिनक पैतृक आरा जिलाक 24/02/1934 केँ पिता जगदेव लाल श्रीवास्तव एवं माता सुदामा देवीक पुत्रक रूपमे भेलनि। हुनक निधन 13/11/2022 केँ पटनामे भ’ गेलनि। हिनक मूल नाम गौड़ीशंकर प्रसाद छलनि।
मैथिली साहित्यक पहिल जासूसी उपन्यास होटल अनारकली रचि ई मैथिली उपन्यास लेखनकेँ एकटा नव आयाम प्रदान केलनि। एकर अतिरिक्त मैथिलीमे हुनक महत्वपूर्ण कृति थिक-: चरैवेति- गीतिनाट्य, लाल एशिया, कालध्वनी, सहसमुखी चौकपर,(एहि कविता संग्रहपर 2002 मे साहित्य आकादेमी पुरस्कार भेटलनि)
सोम सतसई, सोमपदावली, मेघदूत अनुगीतिका-कविता संग्रह। सीतायन उर्फ मिथिलाक बेटी- नौटंकी नामदेव, हिन्दीमे-पका है यह कटहल, भूमिजा, पहिल अग्नि संकलन- अनुदित एवं सम्पादित।मुक्तधारा ,वैदेही,ठनका, मातृवाणी,अपन देश, कल्याणी, चिनगी आ मिथिला भूमि पत्रिकाक सम्पादन केलनि।
हिनक देहावसानसँ मैथिली साहित्यक एकटा मजगूत पाया ढहि गेल। एहि क्षतिक पूर्ति निकट भविष्यमे संभव नहिं लगैत अछि।
अपन पाछू आचार्य भरल पूरल परिवार छोड़ि गेलाह अछि। हिनक पुत्र कुमार ज्योति वर्धन सेहो साहित्यकार लेखक छथि। मैथिली साहित्यक हिनक धरोहर जोगेबाक आ बढ़ेबाक आशा मिथिला समाज आब हिनकासँ रखैत अछि। सोमदेव जीक सुपुत्र मैथिली साहित्य लेखन दिस प्रवृत्त छथि से आशा जगबैत अछि।
महामानवकेँ हमरा सभक नमन।
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©अखिलेश कुमार झा