आनंद मार्ग स्कूल अपनी नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं संस्कार युक्त शिक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात- डा चौरसिया।
आनंद मार्ग विद्यालय ‘नो प्रॉफिट नो लॉस’ के आधार पर न्यूनतम फीस में हो रहा है संचालित- स्नेहमाया।
#MNN@24X7 दरभंगा, किसी भी विद्यालय एवं उसके छात्रों के लिए वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का काफी महत्व होता है, क्योंकि उसमें बच्चे- बच्चियों को अपनी वर्ष भर की तैयारी को समाज के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त होता है। ऐसे कार्यक्रम हमारे दिमाग में अच्छे टॉनिक का काम करते हैं, जिनसे हमारी शारीरिक एवं मानसिक थकानें दूर हो जाती हैं तथा बिगड़ा हुआ मूड भी अच्छा हो जाता है। इससे छात्रों के जीवन में एकाग्रता आती है जो अध्ययन- अध्यापन के लिए भी काफी मददगार होती है। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के संस्कृत- प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया ने आनंद मार्ग स्कूल, रानीपुर, दरभंगा के वार्षिक सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कही।
डा चौरसिया ने कहा कि आनंद मार्ग स्कूल अपनी नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं संस्कार युक्त शिक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात रहा है। यह केवल मेंटेनेंस की न्यूनतम फीस पर गुरुकुल पद्धति से न केवल से सैद्धांतिक, बल्कि व्यावहारिक एवं समाजोपयोगी शिक्षा भी प्रदान करता है। यहां के शिक्षक अपने विचारों, कार्यों एवं आचरनों से भी बच्चों को ज्ञान- विज्ञान के साथ ही संस्कार प्रदान करते हैं। इस विद्यालय में छात्रों के चरित्र एवं व्यक्तित्व का भी सर्वांगीण विकास होता है।
सम्मानित अतिथि के रूप में आर एस एल, रांची से आयी अवधूतिका आनंद स्नेहमाया आचार्य ने आनंद मार्ग संस्था के उद्देश्यों एवं कार्यों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य जगत का हित, अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम, गरीब बच्चों के लिए विद्यालय तथा मुक्ति मोक्ष आदि है। हमारा विद्यालय ‘नो प्रॉफिट नो लॉस’ के आधार पर न्यूनतम फीस में संचालित होता है। जहां गरीब बच्चों को निःशुल्क आवास तथा पढ़ाई की व्यवस्था की गई है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रधानाचार्य अवधूतिका अनिमा आचार्य ने बताया कि गत तीन दिनों से यह कार्यक्रम चल रहा है, जिसमें पीटी- परेड, यम- नियम पर वर्ग, सामाजिक व्यवहार, ध्यान- आसन, शिक्षा- बोध, पशु- क्रूरता एवं पौधा- रक्षण रैली तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही आज समापन हो रहा है। हमारे यहां मानसिक, शारीरिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर शिक्षा दी जाती है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में भुक्ति प्रधान, दरभंगा के डॉ अरुण कुमार ने बताया कि विद्यालय में संस्था की गुरुकुल प्रकाशन तथा एनसीईआरटी की पुस्तकों से पढ़ाई होती है। उन्होंने बताया कि आनंद मार्ग गुरुकुल शिक्षा 1963 में स्थापित की गई थी। अतिथियों का स्वागत पाग- चादर, फूल- माला तथा पुस्तक- डायरी आदि प्रदान कर किया गया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए योगगुरु डा शंभू मंडल ने बताया कि वर्ग 1 से 5 तक के बच्चे-बच्चियों के द्वारा होली नृत्य, हम बच्चे हिंदुस्तान के.., सुनो गौर से दुनिया वालों.., देश रंगीला रंगीला.. तथा नन्हा मुन्ना राही हूं देश का सिपाही हूं.. आदि जैसे 25 से अधिक प्रेरक एवं मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए जा रहे हैं। कार्यक्रम में 150 से अधिक अभिभावक, शिक्षक- शिक्षिकाएं तथा बच्चे- बच्चियां उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन आचार्य रत्नमुक्तानंद अवधूत ने किया।