राजकीय कामेश्वर सिंह आयुर्वेदिक चिकित्सालय, कामेश्वर नगर दरभंगा, संबद्ध इकाई राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान, मोहनपुर दरभंगा में विश्व स्तनपान सप्ताह 2022 के अवसर पर स्तनपान के प्रति जन- जागरूकता फैलाने हेतु कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वर्ल्ड एलाइंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन (वाबा )के द्वारा इस वर्ष का थीम कदम बढ़ाओ स्तनपान की ओर जन जागृति और सहयोग दिया गया है।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद एवं डॉ राजेश्वर दुबे के द्वारा दीप प्रज्वलन एवं भगवान धन्वंतरी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया। विश्व स्तनपान सप्ताह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्य प्रो. प्रसाद ने यह कहा की दुग्धपान शिशु एवं माता दोनों के लिए ही लाभदायक है एवं स्वास्थ्य वर्धक है। हमारे देश में जब पाश्चात्य संस्कृति का बोलबाला नहीं था तब भारत की माताएं भारतीय संस्कृति एवं परिवेश में रहकर स्वस्थ संतान को जन्म देती थी। प्रसव उपरांत माताएं स्तनपान अपने शिशु को कराती थी। इससे शिशु के शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता के विकास के साथ-साथ सर्वांगीण विकास होता था। वर्तमान समय में माताओं के द्वारा शिशु दुग्धपान के प्रति अरुचि बढ़ी है, परिणाम स्वरूप माताओं में नाना प्रकार के रोगों का प्रभाव बढ़ा है‌। जिसमें स्तन में गांठ एवं स्तन कैंसर प्रमुख है।

स्त्री एवं प्रसूति विभाग के सहायक अध्यापक डॉ विजेंद्र कुमार ने दुग्ध पान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा की प्रसव उपरांत मां के पहला दूध में बच्चे के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली एंटीबॉडी होती है। हर मां को 6 माह तक अपना दूध जरूर पिलाना चाहिए। डॉ राजेश्वर दुबे ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा की दुग्धपान से मां और पुत्र के बीच में एक आत्मिक संबंध स्थापित होता है।

डॉ मनीष कुमार आलोक, डॉ आनंद मिश्रा ने स्तनपान के प्रति महिलाओं को जागरूक करते हुए कहा कि खुद स्तनपान कराएं और दूसरे को भी स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करें। कार्यक्रम के संचालक डॉ दिनेश कुमार ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा की विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में स्तनपान का वर्णन वैज्ञानिक रूप से किया गया है। उत्तम दूध एवं दूषित दूध का सविस्तार वर्णन किया गया है ।वात,पित्त एवं कफ से दूषित दूध के दोष को दूर करने हेतु औषधियों का वर्णन किया गया।

इस कार्यक्रम के अवसर पर मोहनपुर कैंपस में दूध वर्धक शतावरी के बारे में महिलाओं को उसकी औषधीय गुण के बारे में जानकारी दी गई एवं उसका रोपण अर्चना कुमारी, अमृता कुमारी, रूपम कुमारी, मुन्नी कुमारी, डॉ दिनेश कुमार, बिरजू कुमार, अजय, मोनू, दिवाकर आदि के द्वारा किया गया।