जब गरीबों को 72 हजार का आय प्रमाण-पत्र नहीं बन रहा तो अमीरों का कैसे बन गया-सुरेंद्र प्रसाद सिंह।
2 सौ यूनिट बिजली फ्री मिले- उपेंद्र राय।
राशन में चीन, दाल, तेल आदि जोड़ा जाये-अनील चौधरी।
मांग पूरा होने तक अनिश्चितकालीन घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन जारी रहेगा-अशोक राय*
#MNN@24X7 समस्तीपुर, 10 सितंबर,
मुख्यमंत्री लघु उद्यमी योजना के लिए 72 हजार रुपए से कम का आय प्रमाण-पत्र बनाने, भूमिहीनों को वासभूमि देने, कच्चा मकान वाले को पक्का मकान देने, दिल्ली की तर्ज पर 2 सौ यूनिट बिजली फ्री देने एवं प्रीपेड मीटर पर रोक लगाने, वृद्धावस्था, मोसमाती एवं दिव्यांग पेंशन 3 हजार रूपए करने, जनवितरण प्रणाली में चावल, गेहूं के साथ चीनी, दाल तेल आदि देने, जमीन सर्वे में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगाकर पारदर्शी व्यवस्था करने, मनरेगा में भ्रष्टाचार रोकने आदि की मांग को लेकर जितवारपुर अंचल-प्रखंड पर खेग्रामस द्वारा सोमवार से शुरू घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा।
मंगलवार को ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता आंदोलन में पहुंचे। मौके पर खेग्रामस के अशोक राय की अध्यक्षता में सभा का आयोजन किया गया। संचालन खेग्रामस के जिला अध्यक्ष उपेंद्र राय ने किया। सभा को मो० ऐनुलहक, अशोक कुमार, सोनेलाल पासवान, वीरेंद्र शर्मा, टींकू यादव, सुदामा देवी, बिन्दा देवी, सविता देवी, गिरजा देवी, फूलों देवी, फुलझर देवी, माले प्रखंड सचिव अनील चौधरी, जिला कमिटी सदस्य राजकुमार चौधरी आदि ने किया।
सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि गरीबों को 72 हजार रुपए से कम का आय प्रमाण-पत्र नहीं बनाया जा रहा है लेकिन अमीरों से वसूली कर गरीबी का प्रमाण-पत्र बनाया जा रहा है। वही हाल भूमिहीनों को वासभूमि देने के मामले का है। वास भूमि के आभाव में लोगों का आवास का पैसा लौट जाता है। मोदी सरकार द्वारा 2022 तक सभी गरीबों को पक्का मकान देने की घोषणा की गई थी लेकिन 2024 बीतने को है। बड़ी आबादी आज भी कच्चे मकान में रहने को विवश हैं। उन्होंने कहा कि अमीर राज्यों में 2 सौ यूनिट बिजली फ्री है। राशन में चावल-गेहूं के साथ चीन, दाल, तेल आदि मिलता है लेकिन सबसे गरीब राज्य बिहार में सुविधा तो छोड़िए उल्टे प्रीपेड मीटर लगाकर उपभोक्ताओं का खून चुसा जा रहा है। यह अन्याय है और इस अन्याय के खिलाफ न्याय मिलने तक भाकपा माले का संघर्ष जारी रहेगा।