कार्यरत व सेवानिवृत्त छह कर्मी हुए सम्मानित
#MNN@24X7 दरभंगा, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस के अवसर पर दरबार हाल में मंगलवार को आयोजित शिक्षक, पदाधिकारी एवं कर्मचारी सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ शशिनाथ झा ने कहा कि समाज व देश निर्माण मे शिक्षकों की अपार भूमिका है। शिक्षक द्रष्टा व सृष्टिकर्ता भी हैं। इस तरह शिक्षक दिवस हमें अपने कर्तव्यों का, उत्तरदायित्वों का एवं धर्मो का अहसास कराता है।
उन्होंने यह भी कहा कि आज शिक्षक स्वध्याय से विमुख हो चले हैं जो चिंता की बात है।जो शिक्षक खुद पढ़ेंगे , वही बच्चों को भी बेहतर शिक्षा दे सकते हैं।
सम्मानित किये गए छह कर्मी
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कार्यरत व सेवानिवृत्त छह कर्मियों को फूलमाला के साथ पाग, चादर, स्मृति चिह्न व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि सम्मानित होनेवालों में डॉ विमल नारायण ठाकुर, डॉ दिनेश्वर यादव, डॉ शिवलोचन झा, डॉ विनय मिश्र, प्रयाग सिंह, डॉ सन्तोष कुमार झा शामिल हैं। सम्मान पाने के बाद सभी ने शिक्षा व शिक्षक की भूमिका पर विचार रखे।
बता दें कि 2012 से शिक्षक दिवस पर प्रारम्भ किये गये इस सम्मान समारोह में प्रतिवर्ष विश्वविद्यालय के हित में सर्वोत्कृष्ट कार्य करने वाले कुल छह कर्मियों को सम्मानित किया जाता है जिनमें से एक सेवानिवृत्त शिक्षक, एक कार्यरत शिक्षक, एक पदाधिकारी, एक शिक्षक-पदाधिकारी, एक सेवानिवृत्त कर्मचारी और एक कार्यरत कर्मचारी नामित होते हैं। इसके लिए चयन समिति भी गठित है।
एनएसएस पदाधिकारी एवं आज के कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी डॉ सुधीर कुमार झा की देखरेख में सम्पन्न कार्यक्रम का संचालन व्याकरण विभाग की प्रध्यापिका डा0 साधना शर्मा ने किया जबकि स्वागत भाषण धर्मशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ दिलीप कुमार झा ने एवम धन्यवाद ज्ञापन कर्मचारी नेता डॉ रविन्द्र कुमार मिश्र ने किया। इसके पूर्व महाराजा डॉ सर कामेश्वर सिंह एवं डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्रों पर माल्यार्पण के साथ आरंभ हुए कार्यक्रम में डॉ दयानाथ झा ने मंगलाचरण तथा छात्राओं ने कुलगीत प्रस्तुत किया ।
मौके पर डॉ श्रीपति त्रिपाठी, डॉ सुरेश्वर झा, डॉ दीनानाथ साह, डॉ मीना कुमारी, डॉ पूरेन्द्र वारीक, डॉ कुणाल झा, डॉ यदुवीर स्वरूप शास्त्री, डॉ एल सविता आर्य, डॉ शम्भू शरण तिवारी, डॉ राजेश सिंह, डॉ रितेश चतुर्वेदी समेत विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी व कर्मी मौजूद थे।