#MNN@24X7 दरभंगा, हिन्दी एवं मैथिली साहित्य की स्वनामधन्य साहित्यकार पद्मश्री डा उषा किरण खां के निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान ने सोमवार को शोक जताया। उनके प्रति संस्थान परिवार की ओर से शोक संवेदना व्यक्त करते हुए महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि उनका निधन हिन्दी एवं मैथिली साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। उनके निधन से हिन्दी एवं मैथिली साहित्य जगत के उषा काल का अस्त हो गया। साहित्य जगत में उनके अमूल्य योगदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

स्नातकोत्तर मैथिली विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा रमेश झा ने उन्हें मिलनसार स्वभाव वाला मैथिली साहित्य के विकास का सच्चा हितैषी बताया। उन्होंने कहा कि उनके लेखन में मिथिला का इतिहास, कला, संस्कृति और समाज का सौंदर्य सहज ही दिखता है।

डा राजकिशोर झा ने कहा कि उद्दाम प्रेम के साथ स्थानीयता उनके कथानक, कहानियों और उपन्यासों का मूल बोध रहे। डा अरुण सिंह ने कहा कि ममता के भाव से भरी वह बहुगुण संपन्न व्यक्तित्व थी। उनके निधन से हमने एक संवेदनशील साहित्यकार को खो दिया।

प्रवीण कुमार झा ने कहा कि सरल, सहज एवं सौम्य व्यक्तित्व की धनी डा उषा किरण खां में घमंड का लेस मात्र भी नहीं था। नारी विमर्श की इस सख्त लेखिका ने मिथिला और बिहार ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय व सांस्कृतिक मर्यादा को भी देश-विदेश तक पहुंचाया। अमेरिका, रूस और माॅरीशस आदि देशों में रहने वाले मैथिलों के बीच भी इनके साहित्य का प्रकाश इनके व्यक्तित्व के साथ प्रकाशित होता रहा है।

प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई ने कहा कि वह कर्मनिष्ठ एवं धर्मनिष्ठ होने के साथ-साथ स्नेहिल स्वभाव का प्रतिरूप थी। हिन्दी एवं मैथिली साहित्य के संसार में अपने कृतित्व एवं व्यक्तित्व के लिए वह सदा अमर रहेंगी।

अध्यक्षीय संबोधन में एम एम टी एम काॅलेज के प्रधानाचार्य डा उदय कांत मिश्र ने कहा कि साहित्य जगत के एक निर्भीक एवं स्वाभिमानी हस्ताक्षर के रूप में वह हमेशा जीवंत रहेंगी। उनके कथा साहित्य में गांव, किसान, धान कुंटती महिलाएं, जातां पिसती महिलाओं की व्यथाएं सामाजिक व्यवस्था से गहरे लगाव को दर्शाती है।

मौके पर उनके चित्र पर माल्यार्पण करने उपरांत सामूहिक रूप से दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की चिर शांति तथा उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की गई। शोक सभा में हरिकिशोर चौधरी, विपिन बिहारी चौधरी, अंजनी चौधरी, मिथिलेश कुमार मिश्र, प्रेम कुमार, संजय कुमार झा, आशीष चौधरी, विजय कुमार, पुरूषोत्तम वत्स आदि ने भी शोक जताया।