•एचआईवी पॉजिटिव लोगों में टीबी होने का खतरा 16 से 27% ज्यादा
•टीबी एवं एचआईवी की दवाइयां सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में निःशुल्क उपलब्ध
•एचआईवी संक्रमित से ना करें भेदभाव
मधुबनी ,22 जून। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होती है। इसके कारण एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को टीबी (यक्ष्मा) बीमारी होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे व्यक्ति का टीबी जांच करवाना भी अनिवार्य है। टीबी के कारण, लक्षण एवं निदान पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए संचारी रोग पदाधिकारी डॉ जी.एम. ठाकुर ने कहा कि लोगों को एचआईवी के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। एचआईवी से शरीर का रोग निरोधक तंत्र कमज़ोर हो जाता है।
यह अन्य संक्रामक रोगों के लिए रास्ता खोल देता है। इसलिए यदि मरीज को एचआईवी व निष्क्रिय टीबी है, तो सक्रिय टीबी होने की अधिक संभावना है। यदि इन दोनों संक्रामक रोगों का इलाज नहीं किया जाता तो ये मिल कर अन्य गम्भीर बीमारियाँ पैदा कर सकते हैं। बताया एचआईवी पॉजिटिव लोगों में टीबी होने का खतरा 16 से 27% ज्यादा होता है। साथ ही ऐसे रोगियों में टीबी से मृत्यु का खतरा भी ज्यादा होता है।
ऐसे रोगियों को टीबी की दवा के साथ-साथ एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) एवं दवा भी नियमित रूप से खाने की आवश्यकता होती है। हर टीबी रोगी को एचआईवी जांच कराना आवश्यक होता है। यदि वह पॉजिटिव पाए जाते हैं तो तत्काल एआरसी सेंटर रेफर करना चाहिए। एचआईवी पॉजिटिव लोगों में एकीकृत परामर्श, जांच केंद्रों एवं एआरटी सेंटर पर लगातार टीबी के लक्षण की जांच की जाती है। टीबी एवं एचआईवी की दवाइयां समस्त सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में निःशुल्क उपलब्ध है।
एचआईवी संक्रमित से ना करें भेदभाव :
उन्होंने बताया कि एचआईवी से संबंधित एआरटी केंद्र में सभी प्रकार की सुविधा मरीजों को दी जा रही है। एचआईवी पीड़ित लोगों के साथ छुआछूत एवं भेदभाव नहीं रखना चाहिए । वे अन्य सामान्य लोगों की तरह अपनी योग्यता अनुसार कहीं भी काम कर सकते हैं। सरकारी या प्राइवेट नौकरी पा सकते हैं । पहले से कार्यरत किसी को भी एचआईवी हो जाता है तो उन्हें कार्य से निकाला नहीं जा सकता। उन्हें अन्य लोगों की तरह पूर्ण अधिकार प्राप्त है। एचआईवी व एड्स के प्रति सुरक्षा एवं सावधानी की जरूरत है। इस तरह के मरीज को समुचित उपचार के बारे में समझाना है। ताकि उसे सही उपचार किया जा सके।
टीबी (क्षयरोग) के लक्षण:
•लगातार 3 हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना
•खांसी के साथ खून का आना
•छाती में दर्द और सांस का फूलना
•वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना
•शाम को बुखार का आना और ठंड लगना
•रात में पसीना आना